NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
अफ्रीका
रूसी 'आक्रमण' पर मार्केल को चेतावनी
सौजन्य: consortiumnews.com
06 Sep 2014

शीत युद्ध की नयी काली छाया और आधिकारिक वाशिंगटन में व्यापक रूस विरोधी हिस्टीरिया की वजह से स्थिति काफी गंभीर है ।अमेरिकी खुफिया दिग्गजों ने एक असामान्य कदम उठाया जिसके तहत उन्होंने जर्मन चांसलर मर्केल को इस 30 अगस्त को रूस द्वारा यूक्रेन में तथाकथित “दखल” के बारे में अमेरिकी और उक्रेनियन मीडिया के उन खोखलों दावों की विश्वसनीयता को चुनौती देते हुए एक ज्ञापन भिजवाया।

ज्ञापन : एंजेला मेर्केल, चांसलर ऑफ़ जर्मनी

द्वारा : विवेकशील दिग्गज इंटेलिजेंस प्रोफेशनल्स (वीआईपीएस)

विषय : उक्रेन और नाटो

हम अधोहस्ताक्षरी अमेरिकी खुफिया के लंबे समय के दिग्गजों में से हैं। हम सितम्बर 04-05 2014 नाटो शिखर सम्मेलन से पहले यह खुला पत्र लिखने का असामान्य कदम उठा रहें हैं ताकि आपको हमारे विचारों से अवगत होने का अवसर मिल सके।

 आपको जानने की जरूरत है, उदहारणत: कि यूक्रेन में प्रमुख रूसी "दखल" के आरोपों की विश्वसनीयता को किसी भी विश्वसनीय खुफिया एजेंसियों का समर्थन नहीं है। उलटे यह "खुफिया" सूचना अपने आप में एक संदिग्ध खबर प्रतीत होती है, यह एक राजनीति से "प्रेरित" वैसी ही खबर है जैसे इराक पर अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले "का औचित्य साबित करने के लिए" 12 साल पहले हुस करती थी।

हमने इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं देखा; और हम अब रूसी दखल का भी कोई विश्वसनीय सबूत नहीं देख पा रहें हैं। बारह साल पहले, पूर्व चांसलर गेर्हार्ड स्च्रोएदेर, जोकि ईराकी जनसंहारक हथियारों के सबूत की दुर्बलता के प्रति जागरूक थे, ने इराक पर हमले में शामिल होने से मना कर दिया था। हमारे विचार में आपको भी अमरीका गृह विभाग और नाटो द्वारा रूस पर युक्रेन के दखल के लगाए गए आरोपों पर संदिग्ध होना चाहिए।

चित्र सौजन्य:  א (Aleph)

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने ही वरिष्ठ राजनयिकों और कार्पोरेट मीडिया की बयानबाजी को शांत करने के लिए 29 अगस्त  को उस वक्त कोशिश की, जब उन्होंने युक्रेन में हाल की गतिविधि के बारे में सार्वजनिक रूप से बताया कि यह स्थिति तो निरंतर रूप से महीनों से चली आ रही है,इसमें कोई बदलाव नहीं है।

ओबामा का, हालांकि, उनके प्रशासन में नीति निर्माताओं के ऊपर नियंत्रण काफी कमजोर है –अफसोस की बात है, कि इन लोगों में इतिहास की समझ बहुत कम है, युद्ध के बारे में बहुत कम जानते हैं,  और एक नीति के तहत ही रूस विरोधी आक्षेप लगाते हैं। एक वर्ष पहले, तेजतर्रार विदेश विभाग के अधिकारियों और मीडिया में उनके मित्र ओबामा को करीब-करीब संतुष्ट करा चुके थे की वह सीरिया पर एक बड़ा हमले करे, लेकिन एक बार फिर, झूठी "खुफिया" खबर, पूरी तरह संदिग्धता के घेरे में थी।

क्योंकि मोटे तौर पर बढ़ती शोहरत, और ख़ुफ़िया सूचना पर बढती निर्भरता की वजह से उसका नकली होने का विश्वास है, हमारा ऐसा मानना है कि यूक्रेन की सीमाओं से परे बढ़ती शत्रुता की संभावना पिछले कुछ दिनों से काफी बढ़ गयी है। इसलिए हमारा ऐसा भी मानना है कि जोकि अधिक महत्वपूर्ण है, अगर आप और अन्य यूरोपीय नेता अगले सप्ताह नाटो शिखर सम्मेलन में विवेकपूर्ण संदेह की डिग्री के आधार पर हम इस संभावना से बच सकते है

असत्य के साथ अनुभव

उम्मीद है, आपके अपने सलाहकारों में नाटो महासचिव ऐन्डर्स फोघ रासमुस्सेन ने विश्वसनीयता के लिए रिकॉर्ड की जांच की होगी। हमें प्रतीत होता है कि रासमुसेन के भाषणों को वाशिंगटन तैयार कर रहा है। यह इराक पर अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के पहले दिन यह स्पष्ट था। जब, डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने, अपनी संसद से कहा कि “"इराक के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं। हम जानते हैं इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिस पर हम विश्वास करें।”

फोटो कुछ भी कहे लेकिन वह भी धोखा दे सकती है। हमारा उपग्रह और अन्य प्रकार की कल्पनाशील चीजों के संकलन, विश्लेषण, और तथा अन्य तरहों की ख़ुफ़िया सूचनाओं पर सूचना के सम्बन्ध में  काफी अनुभव है। 28 अगस्त को नाटो द्वारा जारी छवियों के आधार पर यूक्रेन पर रूस के दखल करने के का बहुत ही ओछा आधार प्रदान करता है। अफसोस की बात है, वे उसी तरह, कुछ भी साबित नहीं कर पायी, जब, फ़रवरी 5, 2003 को संयुक्त राष्ट्र में कॉलिन पॉवेल ने छवियों के जरिए एक मजबूत लेकिन निराधार साक्ष्य पेश करने की कोशिश की थी।

उसी दिन, हम अपने पूर्व सहयोगी विश्लेषकों "जो खुफिया तंत्र के राजनीतिकरण के लिए काफी उत्साहित थे" की राष्ट्रपति बुश को चेतावनी दी, और स्पष्ट तौर पर कहा कि युद्ध को न्यायोचित ठहराने के लिए "पावेल की प्रस्तुति सबूतों के कहीं भी नज़दीक नहीं है"। हमने बुश से "चर्चा को व्यापक करने के लिए आग्रह किया और कहा यह उन महानुभावों के विपरीत हैं जो युद्ध चाहतें हैं  और हम कोई ऐसा बाध्यकारी कारण नहीं देखते हैं क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि इससे  अनपेक्षित परिणाम भयावह होने की संभावना है।

आज इराक की स्थिति भयावह से भी बदतर है

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हालांकि अब तक, यूक्रेन में संघर्ष पर अपने आपको काफी रिजर्व रखा है, हमारे लिए यह याद रखना काफी होगा कि रूस भी "दहशत और खौफ" पैदा करने के काबिल है, यूक्रेन की वजह से युद्ध होने के जरा सा भी  मौका है तो समझदार नेताओं को बहुत ध्यान से सोचने की जरूरत है। 

नाटो और अमेरिका द्वारा जारी तस्वीरें रूस की दखल का अच्छा उपलब्ध 'सबूत' है तो, हमारा संदेह है कि एक ख़ास प्रयास नाटो शिखर सम्मेलन के लिए किया जा रहा है ताकि रूस पर कार्यवाही की जा सके और रूस उसे हमलावर और अनुचित कदम मानेगा। कार्यवाही की चेतावनी एक सूचक है जिससे की आप भलीभाती परिचित हैं। इसमें यह जोड़ना सही होगा कि है किसी को सावधान रहने की जरूरत है कि रासमुसेन, या यहां तक ​​कि विदेश मंत्री जॉन केरी, किस बात की हिमायत कर रहे हैं।

हमें भरोसा है कि आपके सलाहकारों ने आपको 2014 की शुरुआत से ही यूक्रेन में संकट के बारे में जानकारी दी होगी, और कैसे यूक्रेन के नाटो का सदस्य बन जाने की संभावना ही क्रेमलिन के लिए वह अभिशाप हो जाता है। 1 फ़रवरी 2008 के एक केबल के अनुसार जिसे विकिलीक्स ने मास्को में अमेरिकी दूतावास से विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस को जारी किया था, जिसमें अमेरिकी राजदूत विलियम बर्न्स को विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने में बुलाया और यूक्रेन को  नाटो की सदस्यता देने के सम्बन्ध में रूस के कड़े विरोध के बारे में बताया।

लावरोव ने चेतावनी दी कि यह मुद्दा देश को संभवतः दो हिस्सों में विभाजित कर सकता है, कुछ और जिसकी वजह से दावों,  गृह युद्ध, हिंसा आदि बड़े पैमाने पर हो सकती है ऐसी स्थिति में रूस को हस्तक्षेप के लिए तय करना के लिए बाध्य होना होगा।" बर्न्स ने अपने केबल में असामान्य शीर्षक दिया, "Nyet का अर्थ Nyet है: रूस नाटो के विस्तार के लिए लाल रेखा है, " और तत्काल वरीयता के साथ वाशिंगटन को इसे भेज दिया। दो महीने बाद, बुखारेस्ट में नाटो नेताओं ने शिखर सम्मेलन में "जॉर्जिया और यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर दी।"

29 अगस्त को, यूक्रेनी प्रधानमंत्री अर्सेन्य यात्सेंयुक ने अपने फेसबुक पेज पर दावा किया कि, संसद के अनुमोदन के साथ उनका अनुरोध मान लिया गया है और नाटो की सदस्यता का रास्ता खुल गया है। यात्सेनुक, ज़ाहिर है, कीव में 22 फ़रवरी तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री बनने के लिए वाशिंगटन का पसंदीदा उम्मीदवार था।

”यातस एक लड़का है" यह तख्तापलट के कुछ ही हफ्तों पहले राज्य सहायक सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने कहा था, यूक्रेन में अमेरिका के राजदूत जेफ्री प्यात्त  के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में यह बात पकड़ी गयी थी। आप याद कर सकते हैं की जिस बातचीत में नुलैंड ने कहा था कि "यूरोपीय संघ भाड़ में जाओ।"

रूसी "आक्रमण" का समय

कुछ ही हफ़्तों पहले कीव द्वारा पारंपरिक ज्ञान बरसाया जा रहा था कि, यूक्रेनी बलों का  दक्षिणी यूक्रेन में तख्तापलट विद्रोहियों से लड़ने में ऊपरी हाथ है, मोटे तौर पर इसे एक सफाई करने कार्य बताया गया। लेकिन आक्रामकता की उस तस्वीर को कीव के सरकारी सरकारी सूत्रों ने ही लगभग पूरी तरह से जन्म दिया था। जबकि दक्षिणी यूक्रेन से जमीन से बहुत कम रिपोर्टों आ रही थी। एक बात थी, हालाँकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेनको के हवाले से सरकार के चित्रण की विश्वसनीयता के बारे में संदेह उठा था।

18 अगस्त को "यूक्रेन के राष्ट्रपति की प्रेस सेवा" के अनुसार, पोरोशेनको “देश के पूर्व में सत्ता के संचालन में शामिल यूक्रेनी सैन्य इकाइयों को फिर से इकट्ठा करने का आह्वान किया।आज हम हमारे क्षेत्र और जारी सेना हमलों का बचाव करने के लिए सेना के पुनर्निर्माण करने की ज़रूरत है, " पोरोशेनको ने कहा, और आगे कहा कि "हमें नई परिस्थितियों में एक नए  सैन्य अभियान पर विचार करने की जरूरत है।"

अगर "नई परिस्थितियों" मतलब यूक्रेनी की सरकारी बलों द्वारा सफलता से है, तो फिर सेना "को पुनर्व्यवस्थित करने की" ", या फिर से संगठित की" आवश्यकता क्यों पड़ी? इसी समय, जमीन पर सूत्रों का हवाले से सरकारी बलों के खिलाफ विरोधी तख्तापलट विद्रोहियों  द्वारा सफल हमलों की कई ख़बरें मिलनी शुरू हुयी। सूत्रों के मुताबिक, काफी हद तक सच है कि अयोग्यता और गरीब नेतृत्व की वजह से सरकार और सेना  भारी क्षति का सामन करना पड़ा।

दस दिन बाद, या तो उन्हें घेर लिया गया / या पीछे हट गए, तो इस बात के लिए उन्होंने  "रूसी आक्रमण" का बहाना बनाया। सही इसी के लिए नाटो ने संदिग्ध तस्वीरें जारी किए और न्यूयॉर्क टाइम्स के 'माइकल गॉर्डन जैसे संवाददाताओं ने कहा कि "रूस आ रहा हैं।" (माइकल गॉर्डन इराक पर युद्ध को बढ़ावा देने वाला सबसे प्रबल प्रचारकों में से एक था।)

 

कोई आक्रमण नहीं - लेकिन बहुत सारे अन्य रूसी

दक्षिणी यूक्रेन में विरोधी तख्तापलट विद्रोहियों को  काफी स्थानीय समर्थन प्राप्त है, आंशिक रूप से यह समर्थन प्रमुख जनसंख्या केन्द्रों पर युक्रेन के सरकारी तोपखाने हमले के परिणाम के रूप में बढ़ा था। हमारा विश्वास है कि रूसी समर्थन सीमा पार शायद और भी बढ़ रहा है, जिसमें  काफी उत्कृष्ट रणभूमि खुफिया तंत्र शामिल है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस समर्थन में टैंक और तोपखाने भी शामिल है या नहीं - ज्यादातर विद्रोहियों ने बेहतर नेतृत्व किया है क्योंकि वे  सरकारी बलों को हारने में  आश्चर्यजनक रूप से सफल रहे।

 

साथ ही, हमें कोई शक नहीं है कि कब और कैसे विद्रोहियों को उनकी जरूरत है, तब रूसी टैंक आ जायेंगें।

 

यही कारण है कि यह स्थिति संघर्ष विराम के लिए एक ठोस प्रयास की मांग कर रही है, जैसा की आप जानती हैं कि कीव अब तक इसमें देरी कर रहा है। इस मौके पर क्या किया जाना चाहिए? हमारे विचार में, पोरोशेनको और यात्सेंयुक को कहा जाना चाहिए कि नाटो की सदस्यता अभी उनको नहीं दी जा रही है - और नाटो का रूस के साथ कोई छद्म युद्ध छेड़ने इरादा नहीं है - और विशेष रूप से यूक्रेन की चीर टैग सेना के समर्थन में तो कतई नहीं। नाटो के अन्य सदस्यों को भी यही बात कह देनी चाहिए।

स्टीयरिंग ग्रुप के लिए,  विवेकशील दिग्गज इंटेलिजेंस प्रोफेशनल्स

विल्लियम बिन्नी, भूतपूर्व तकनिकी निदेशक, विश्व भू राजनीतिक और सैन्य विश्लेषण, एनएसए; सह संस्थापक, SIGINT स्वचालन अनुसंधान केंद्र (सेवानिवृत्त)।

लार्री जॉनसन, सी।आई।ए। और राज्य विभाग (सेवानिवृत्त)

डेविड मैकमाइकल,  राष्ट्रीय खुफिया परिषद (सेवानिवृत्त।)

रे मेकगोवेर्न, पूर्व अमेरिकी सेना / खुफिया अधिकारी और सीआईए विश्लेषक (सेवानिवृत्त)। एलिजाबेथ मुर्रे, मध्य पूर्व के लिए उप राष्ट्रीय खुफिया अधिकारी (सेवानिवृत्त)

टॉड ई। पियर्स, मेजर, अमेरिकी सेना के जज एडवोकेट (सेवानिवृत्त)।

कुलीन रोवली, वकील और विशेष एजेंट, एफबीआई (सेवानिवृत्त)।

अन्न राइट, कर्नल, अमेरिकी सेना (सेवानिवृत्त); विदेश सेवा अधिकारी (इस्तीफा दे दिया)

 

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

यूरोप
जर्मनी
एंजेला मर्केल
कीव
पेट्रो
ईयू
अमरीका
ओबामा
रूस
उक्रेन

Related Stories

अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फिलिस्तीन पर हुई गंभीर बहस

उत्तर कोरिया केवल अपनी ज्ञात परमाणु परीक्षण स्थल को खारिज करना शुरू करेगा

लेनिन की सिर्फ मूर्ति टूटी है, उनके विचार नहीं

दिल्ली मेट्रो को लाभ कमाने वाले साधन के तौर पर क्यों नहीं देखा जाना चाहिए

राष्ट्रीय वार्ता की सीरियाई कांग्रेस संवैधानिक समिति के गठन के लिए सहमत हैं

संदर्भ पेरिस हमला – खून और लूट पर टिका है फ्रांसीसी तिलिस्म

मोदी का अमरीका दौरा और डिजिटल उपनिवेशवाद को न्यौता

शरणार्थी संकट और उन्नत पश्चिमी दुनिया

मोदी का अमरीका दौरा: एक दिखावा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License