NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
LAC की हक़ीक़त और मीडिया की ‘दीवानगी’
मौजूदा स्थिति यह है कि ग्लवान घाटी में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 2 किलोमीटर पीछे और भारतीय सेना 1.5 किलोमीटर पीछे हट गई है।
अजय कुमार
07 Jul 2020
cartoon click

हमेशा की तरह मीडिया में नरेंद्र मोदी की खूब वाह-वाही हो रही है। हालिया स्थिति बताय बिना यह राय फ़ैलाने की पूरी कोशिश की जा रही है कि नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद चीन पीछे हट गया है। इस मुद्दे पर जुड़ी खबरों के हेडिंग को पढ़कर यह निष्कर्ष निकल रहा है कि भारत के दबाव में आकर चीन ने अपने कब्जे वाले क्षेत्र को छोड़ दिया है। हेडिंग तो ऐसे है कि कोई सामान्य पाठक पढ़कर यह निष्कर्ष भी निकाल सकता है कि भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा तनाव का खात्मा हो चुका है और चीन ने अपने कदम पीछे हटा लिए हैं। लेकिन क्या ऐसा ही हुआ है? क्या प्रधानमंत्री के भाषण के बाद चीन पीछे हटा है? क्या लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का निर्धारण कर दिया गया है? क्या अजीत डोभाल की अगुवाई के बाद चीन ने अपने कदम पीछे हटाएं हैं। ऐसे तमाम सवालों के जवाब के लिए हमें राय पढ़ने की बजाए सबसे पहले यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि आखिरकार हुआ क्या है?

मौजूदा स्थिति यह है कि ग्लवान घाटी में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 2 किलोमीटर पीछे और भारतीय सेना 1.5 किलोमीटर पीछे हट गई है। पहले भारतीय सेना पेट्रोल पॉइंट 14 तक पेट्रोल कर पाती थी। इसी पॉइंट पर 15 जून की रात भारत के 20 जांबाज सैनिकों की हिंसक झड़प में हत्या हो गई थी। इसके बाद 30 जून को भारत और चीन दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर लेवल बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों देशों के सेनाओं के बीच मोरेटोरियम यानी स्थगन प्रस्ताव पर सहमति बानी। इस स्थगन प्रस्ताव के मुताबिक यह तय हुआ कि अगले 30 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं द्वारा पेट्रोल पॉइंट 14 तक केवल पैदल पेट्रोलिंग की इजाजत होगी।

सेना के अधिकारियों का कहना है कि चीन ने पहले से ही भारत द्वारा माने जा रहे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के अंदर कब्जा किया हुआ था। अब चीन उस कब्जे वाले क्षेत्र से दो किलोमीटर पीछे हट गया है। यानी जल्दी से अगर लंबे समय के लिए कोई हल नहीं निकलता है तो इसका मतलब यह होगा कि भारतीय सेना उस इलाके में पेट्रोलिंग करने के अधिकार को स्थाई रूप से गंवा देगी, जिसे वह अपना कहती थी।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपे सेना के अधिकारी के बयान के मुताबिक भारत ने ग्लवान घाटी के फिंगर पॉइंट 14 तक सड़क बना ली थी। यहीं से भारतीय सेना डेढ़ किलोमीटर पीछे हट रही है। यहीं से भारतीय सेना पहले पैदल पेट्रोलिंग की शुरुआत भी किया करती थी। दोनों देशों के स्थगन प्रस्ताव के बाद भारतीय सेना अब उस दूरी तक पेट्रोलिंग नहीं कर पाएगी जहां तक वह पहले पेट्रोलिंग कर पाती थी। इसलिए इसे एक परमानेंट समाधान नहीं मानना चाहिए। न ही ऐसा होना चाहिए कि यह किसी परमानेंट समाधान की तरफ बढ़े।

15 जून को हुई हिंसक झड़प वाली जगह से 3.5-4  किलोमीटर इलाके को बफर जोन की तरह बना दिया गया है। इस बफर जोन में भारत की ओर से 30 और चीन की ओर से 30 सैनिक मौजूद रहेंगे। इससे अधिक सैनिक यहां पेट्रोलिंग नहीं करेंगे। इतने कम सैनिक रखने का मकसद यही है कि दोनों देशों के सैनिक आमने - सामने वाली स्थिति में न आएं। 4 किलोमीटर के बफर जोन के 1 किलोमीटर बाद दोनों देशों ने 50 सैनिक रखने पर सहमति जताई है। यानी ग्लवान घाटी के तनाव वाले इलाके के 6 किलोमीटर के इलाके में दोनों देशों की तरफ से 80 सैनिक मौजूद हैं। बाकी सारे सैनिकों को पीछे करने की बात तय हुई है।  

अब यहां समझने वाली बात यह है कि दोनों देशों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमति 30 जून को ही हो गई थी। उसी दिन से सैनिकों को पीछे किया जा रहा था। प्रधानमंत्री का लद्दाख में भाषण शुक्रवार यानी 3 जुलाई को हुआ था। 5 जुलाई को दोपहर में भारत और चीन की तरफ से नियुक्त स्पेशल रेप्रेज़ेंटेटिव की आपसी बातचीत के बाद इसे दोनों देशों द्वारा आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया गया। कहने का मतलब यह है कि यह कहा जाना बिल्कुल ठीक नहीं है कि प्रधानमंत्री के भाषण से दबाव में आकर चीन पीछे हट गया।

इसके साथ यह भी कहा जाना बिल्कुल ठीक नहीं है कि चीन के पीछे हटने के साथ भारत को वह जमीन मिल गई जिस पर भारत अपना दावा कर रहा था।

इस पूरी वस्तुस्थिति को समझने के बाद आप खुद सवाल पूछिए कि भारत जिस जमीन पर दावा कर रहा था, चीन ने वहां कब्जा जमाए रखा था, चीन उस जमीन से 2 किलोमीटर पीछे हट गया, भारत उस जमीन से डेढ़ किलोमीटर पीछे हट गया तो फायदा किसे हुआ और नुकसान किसे हुआ? दो कदम आगे बढाकर एक कदम पीछे कर लेने से फायदा किसका होता है और नुकसान किसका क्या भारत द्वारा दावा की जा रही जमीन भारत को मिल गई? हाल फिलहाल कूटनीतिक तौर पर आगे कौन है भारत या चीन?  यहीं पर रुक जाना चाहिए या भारत-चीन के बीच सहयोग और शांति स्थापित करने के लिए उच्च स्तरीय बातचीत के जरिये सीमा तनाव के स्थायी हल की तरफ बढ़ना चाहिए। 

LaC
Galwan Velley
Indo-China Tension
border issue
Media
Indian media
modi sarkar
Narendra modi
Indian army

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License