NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
RTI कार्यकर्त्ताओं के मुताबिक मोदी सरकार संशोधन कर कानून को कमज़ोर करने की फिराक़ में
RTI कार्यकर्ताओं ने माँग की है कि बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार भारत सरकार की पूर्व विधायी परामर्श नीति के अनुसार आरटीआई संशोधन विधेयक सार्वजनिक करे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 May 2018
RTI

मोदी सरकार सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 में संशोधन करने की कोशिश कर रही है जिसने सार्वजनिक प्राधिकरणों को उत्तरदायी बनाए रखने के लिए लाखों लोगों को अधिकार दिया है। इस संशोधन को लेकर आरटीआई कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है कि प्रस्तावित संशोधन क़ानून को कमजोर कर देगा।

25 मई को द नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इनफॉर्मेशन (एनसीपीआरआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार द्वारा प्रस्तावित आरटीआई अधिनियम 2005 में "प्रतिकूल" संशोधन के संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा।

इस अधिनियम को कमज़ोर न करने के लिए मोदी सरकार से आग्रह करते हुए एनसीपीआरआई से जुड़े कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार संसद में पेश होने से पहले आरटीआई संशोधन विधेयक के मसौदे को समीक्षा और चर्चा के लिए सार्वजनिक करे।

मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए एनसीपीआरआई ने प्रस्तावित संशोधनों में सबसे ज़्यादा चिंता इस बात को लेकर ज़ाहिर की है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें नियमों के ज़रिए सूचना आयुक्तों के वेतन का फैसला करेगी। यह ऐसा क़दम है जो आयुक्तों के कार्यों में स्वायत्ता और आज़ादी से समझौता करना है।

ये आरटीआई अधिनियम नागरिकों को सवाल पूछने और सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी लेने की अनुमति देता है। सूचना आयोग अंतिम प्राधिकार है जो सूचना की मांग पर फैसला लेता है। सूचना के अधिकार का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत वर्णित मौलिक अधिकार में है।"

एनसीपीआरआई के पत्र में कहा गया, "ये आरटीआई कानून वर्तमान में सभी सूचना आयोगों के प्रमुख और केंद्रीय सूचना आयोग के आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के स्तर पर जबकि राज्य सूचना आयुक्तों को राज्य के राज्य के मुख्य सचिव के स्तर पर दिया जाता है।"

"आरटीआई अधिनियम के तहत आयुक्तों को दिया गया दर्जा उन्हें अपने कार्यों को स्वायत्ततापूर्वक करने के लिए सशक्त बनाना है और इस क़ानून के प्रावधानों का अनुपालन के लिए उच्चतम कार्यालयों की भी आवश्यकता है। सूचना आयुक्तों के वेतन का फैसला करने के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों को सशक्त बनाना सूचना आयोगों की आज़ादी को पूरी तरह नष्ट कर देगा।”

देश में सूचना आयोग अव्यवस्थित स्थिति में हैं। मुख्य सूचना आयुक्त सहित आयुक्तों के पद कई राज्य के सूचना आयोगों में खाली पड़े हैं।

भारत सरकार के कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा जारी संशोधन विधेयक में मसौदे के नियमों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

प्रस्तावित संशोधन में कई ऐसे अन्य मुद्दे हैं जिससे सरकार से जानकारी मांगने की प्रक्रिया में जटिलता आएगी। इन मुद्दों को पहले भी आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा उठाया गया है।

लेकिन संशोधन विधेयक को सार्वजनिक नहीं किया गया है और जनता से अभी तक कोई टिप्पणी और सुझाव नहीं मांगा गया है।

"महत्वपूर्ण कानूनों को इस तरह बदलने का यह विधायी तरीका लोगों के जनतांत्रिक जानने के अधिकार तथा विधायी प्रक्रिया भाग लेने को नज़रअंदाज़ करता है साथ ही ये प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों की सार्वजनिक समीक्षा को रोकता है।"

अरुणा रॉय, अंजली भारद्वाज, निखिल डे, वेंकटेश नायक, शैलेश गांधी और शेखर सिंह समेत कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि मोदी सरकार भारत सरकार के पूर्व विधायी परामर्श नीति को ध्यान में रखते हुए संशोधन विधेयक सार्वजनिक करे।

एनसीपीआरआई ने बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार को याद दिलाया, "साल 2014 में भारत सरकार द्वारा एक पूर्व विधायी परामर्श नीति अपनाई गई थी, जिसमें यह आवश्यक है कि सभी मसौदे (अधीनस्थ विधान सहित) सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए 30 दिनों तक सार्वजनिक किया जाए और टिप्पणियों का सारांश कैबिनेट की मंज़ूरी से पहले संबंधित संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला जाए।"

पत्र में कहा गया है, "कानून बनाने की प्रक्रिया में सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता और महत्व को दुनिया भर में लोकतांत्रिक सरकारों द्वारा व्यापक रूप से अपनाई जाती है।"

हर साल क़रीब छह मिलियन से से ज़्यादा आरटीआई आवेदन भेजे जाते हैं। एनसीपीआरआई के अनुसार वैश्विक स्तर पर "व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला पारदर्शी विधान"आरटीआई अधिनियम है। "सिस्टम में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए क़ानून का इस्तेमाल किया गया है।"

एनसीपीआरआई ने कहा, "हम आपको यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि आरटीआई अधिनियम 2005 को किसी भी तरह से कमज़ोर न हो।"

"संसद के समक्ष पेश करने से पहले परिवर्तनों का प्रस्ताव देने के कारणों के साथ प्रस्तावित आरटीआई संशोधन विधेयक का मज़मून व्यापक चर्चा और सार्वजनिक बहस के लिए तुरंत सार्वजनिक किया जाना चाहिए। प्रस्तावित कानून पर सार्वजनिक टिप्पणियां और सुझावों को आमंत्रित करने के लिए एक प्रभावी सहभागिता सलाहकार प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।"

सूचना के अधिकार के महत्व का अंदाज़ा देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलें और उनकी हत्याओं की बढ़ती संख्या के आधार पर लगाया जा सकता है। यह सार्वजनिक अधिकारियों को उत्तरदायी बनाकर रखता है। वास्तव में गुजरात जहां बीजेपी पिछले दो दशक से सत्ता में है और महाराष्ट्र जहां बीजेपी पिछले डेढ़ दशक से सत्ता पर क़ाबिज है,आरटीआई कार्यकर्ताओं पर सबसे ज़्यादा हमले हुए हैं।

RTI
आरटीआई
आरटीआई क़ानून
मोदी सरकार

Related Stories

ओडिशा: अयोग्य शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित होंगे शिक्षक

बुंदेलखंड में LIC के नाम पर घोटाला, अपने पैसों के लिए भटक रहे हैं ग्रामीण

दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ महिलाओं का प्रदर्शन, आरटीआई के 16 साल और अन्य ख़बरें

आरटीआई अधिनियम का 16वां साल: निष्क्रिय आयोग, नहीं निपटाया जा रहा बकाया काम

जब जज ही निशाने पर हों, तो फिर आरटीआई एक्टिविस्ट, व्हिसलब्लोअर की क्या बिसात

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

आरटीआई से खुलासा: संकट में भी काम नहीं आ रही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना

जम्मू-कश्मीर में आरटीआई क़ानून : एक मौक़ा जिसे गँवा दिया गया

मोदी राज में सूचना-पारदर्शिता पर तीखा हमला ः अंजलि भारद्वाज

क्या खान मंत्रालय ने खनन सुधारों पर अहम सुझावों की अनदेखी की?


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License