NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
अपराध
उत्पीड़न
मज़दूर-किसान
भारत
झारखण्ड में सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच के लिए आदिवासी समुदाय का विरोध प्रदर्शन   
गत तीन मई के बाद से शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जब राजधानी से लेकर प्रदेश के कई इलाकों में इस महामारी संक्रमण की स्थिती में भी ‘ रूपा तिर्की को न्याय दो, सीबीआइ जांच कराओ ! जैसी मांगों को लेकर आदिवासी समुदाय और उसके संगठनों के लोग जगह - जगह बैनर,पोस्टरों के साथ सड़कों पर निरंतर प्रतिवाद नहीं  कर रहें हों। 
अनिल अंशुमन
13 May 2021
rupa

झारखण्ड प्रदेश में बेलगाम महामारी संक्रमण के ताज़ा अपडेट के अनुसार राज्य के सारंडा सरीखे सुदूरवर्ती आदिवासी बाहुल्य गांवों में भी संक्रमण का तेजी से फैलाव होने की ख़बरें आ रहीं हैं।जिससे हो रही मौतों के मामले को सरकार की मंत्री जोबा मांझी द्वारा ध्यान दिलाये जाने पर मुख्यमंत्री ने स्थानीय प्रशासन के आला अधिकारीयों को त्वरित संज्ञान लेने के आदेश जारी किया है।  
                                                                                                                             
लेकिन जाने क्यों प्रदेश के साहेबगंज की महिला थाना प्रभारी और तेज़ तर्रार युवा महिला आदिवासी सब इन्स्पेक्टर रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत की सीबीआइ जाँच की मांग पर वे लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। 

जबकि गत तीन मई के बाद से शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जब राजधानी से लेकर प्रदेश के कई इलाकों में इस महामारी संक्रमण की स्थिती में भी ‘ रूपा तिर्की को न्याय दो, सीबीआइ जांच कराओ ! जैसी मांगों को लेकर आदिवासी समुदाय और उसके संगठनों के लोग जगह - जगह बैनर,पोस्टरों के साथ सड़कों पर निरंतर प्रतिवाद नहीं  कर रहें हों  .           

सनद हो कि 3 मई की लगभग रात 9 बजे जेपीएससी 2018 बैच की सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की साहेबगंज सदर स्थित अपने पुलिस क्वार्टर में संदिग्धावस्था में मृत पायी गयी।सोशल मिडिया में वायरल हुई तस्वीरों में उनका शव लगभग अर्धनग्न अवस्था में उनके बिछावन पर रस्सी से संन्देहास्पद स्थिति में लटका हुआ दीख रहा है। लाश की तस्वीरों में शव के गले में दो निशान होने, बिछावन पर कोई सलवट नहीं होने, बिछावन पर दोनों घुटने मुड़े हुए हाल में रहने, शारीर पर जगह जगह ज़ख्मों के निशान होने के साथ साथ मुंह,नाक से झाग निकलने के निशान भी साफ़ दीख रहें हैं.

जिन्हें दर्ज नहीं करके स्थानीय पुलिस व मीडिया ने उस समय भी प्रथमदृष्टया इसे आत्महत्या बताया और बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही साबित किया गया  जिसकी जानकारी साहेबगंज एसपी ने प्रेस वार्ता कर मिडिया को बताया कि उक्त मामला पूरी तरह से साफ़ है कि अपने निजी मित्र व अपने बैचमेट एसआई दीपक कनौजिया की हरकतों और ब्लैकमेलिंग से तंग आकर रूपा तिर्की ने रस्सी से लटककर आत्महत्या कर ली। जिसके लिए उसे उकसाने के आरोप में शिव कुमार कनौजिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर किया गया है। 

अपनी बेटी की मौत की खबर सुनकर वहां पहुंचे पूरे  परिवार व परिजनों ने एक स्वर से कहा कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि एक सुनियोजित ह्त्या है . रूपा जैसी होनहार और दिलेर आदिवासी लड़की आत्महत्या कर ही नहीं सकती है। उसे किसी साजिश के तहत मारकर आत्महत्या का रंग दिया गया है और पुलिस पुरे मामले को कतिपय प्रेम प्रसंग साबित कर असली अपराधियों को बचाने के लिए लीपापोती कर रही है। 

राजधानी रांची से सटे रातू निवासी रूपा तिर्की के रिटायर्ड फौजी पिता-माता व छोटी बहनों के साथ कई अन्य परिजनों ने उसी समय सदर एसपी को लिखित आवेदन देते हुए रूपा की दो सहकर्मी महिला पुलिस अधिकारी व झामुमो विधायक प्रतिनिधि को ह्त्या का जिम्मेवार ठहराते हुए मामले की सीबीआइ जाँच की मांग की।जिसपर आज तक ना तो साहेबगंज एसपी ने कोई संज्ञान लिया है और ना ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गयी है। 

कई स्थानीय न्यूज़ बेवसाइटों व सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यमों द्वारा हर दिन जारी हो रहे बयानों में हेमंत सोरेन द्वारा रूपा तिर्की के परिजनों की फ़रियाद नहीं सुने जाने पर तीखी प्रतिक्रियाएं लगातार जारी हैं। ‘ जस्टिस फॉर रूपा तिर्की ‘ और ‘ रूपा तिर्की को इंसाफ़ दो ‘ नाम से चलाये जा रहे सोशल मिडिया कैम्पेन में हजारों हैशटेक फेसबुक – ट्वीट पोस्ट किये जा चुके और अभी भी संख्या बढ़ती ही जा रही है  हैं। 

रूपा तिर्की के निवास क्षेत्र रातू-पिस्का नगड़ी और राजधानी रांची समेत राज्य के कई आदिवासी इलाकों में  हेमंत सरकार होश में आओ , सीबीआई जांच कराओ  ! जैसे नारों के साथ सड़कों पर कैंडल मार्च व प्रतिवाद प्रदर्शनों का सिलसिला भी थम नहीं रहा। कई आदिवासी और सामाजिक संगठनों के लोग काफी रोष के साथ मुख्यमंत्री की चुप्पी पर पूछ रहें हैं कि आदिवासी प्रधान राज्य , राज्यपाल,मुख्यमंत्री और साहेबगंज जिला एसपी तक सभी आदिवासी होते हुए भी पुलिस जैसे महत्वपूर्ण विभाग में काम करने वाली आदिवासी पुलिस अधिकारी रूपा तिर्की को न्याय नहीं मिल रहा है ?

एक होनहार आदिवासी लड़की की साजिश के तहत की गयी नृशंश ह्त्या को दूसरा रंग देने के लिए तथाकथित प्रेम -प्रसंग का मामला दिखाकर उसकी सामाजिक छवि क्यों कलंकित की जा रही है? कुछेक स्थानों पर तो मुख्यमंत्री और हत्याकांड के नामज़द दोषियों के पुतले भी जलाए जाने की भी खबरें हैं।            

मीडिया में यह भी खबर आयी है कि इस प्रकरण में झामुमो के जिस विधायक के प्रतिनिधि के संलिप्त होने के आरोप है, उक्त विधायक ने भी पूरे मामले की सीबीआइ जाँच नहीं कराये जाने पर आमरण अनशन करने की धमकी भी दी है।झामुमो विधायिका सीता सोरेन ने भी मृतिका के परिजनों को इन्साफ और असली दोषियों की कड़ी सज़ा देने की मांग उठायी है। रूपा तिर्की के निवास क्षेत्र मांडर के विधायक व चर्चित आदिवासी नेता ने भी इस सवाल को मुखरता के साथ उठाकर सरकार से लगातार मांग कर रहें हैं। 

प्रदेश के प्रतिपक्षी दल भाजपा के कई सांसद और विधायक दल नेता समेत कई विधायकों, नेताओं ने हेमंत सोरेन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए विरोध प्रदर्शित कर रहें है। झारखण्ड प्रदेश के सभी वामपंथी दलों ने भी रूपा तिर्की हत्याकांड की भर्त्सना करते हुए मुख्यमंत्री से अविलम्ब सीबीआई जाँच कराने की मांग की है। 

आदिवासी महिला मुद्दों पर सोशल मिडिया में निरंतर सक्रीय रहनेवाले फेसबुक बेवसाईट ‘सखुवा डॉट कॉम ‘ ने 10 मई को ऑनलाइन प्रतिरोध डिस्कशन कर इस मुद्दे को काफी मुखरता से उठाते हुए कहा है कि झारखंडी जनता को आश्चर्य हो रहा है कि जिस उम्मीद से एक आदिवासी मुख्यमंत्री का चुनाव किया है वह अभी तक एक आदिवासी बेटी की मौत पर चुप कैसे है ? सदियों से दोहरे शोषण का शिकार होनेवाली आदिवासी महिलाओं की दारुण स्थिति इसी से समझी जा सकती है कि जब इस समुदाय की एक बेटी अपनी कड़ी मिहनत से पुलिस विभाग जैसे महक़मे के ऊँचे पद पर पहुँचती है तो वह जातीय दमन का शिकार हो सकती है।ऐसे में एक आम आदिवासी लड़की कैसे सुरक्षित रह सकेगी?हम सब झारखण्ड सरकार और मुख्यमंत्री की बेरुखी से काफी आहत हो रहें है .                

आदिवासी महिला मुद्दों पर निरंतर सक्रीय रहनेवाली गोड्डा कॉलेज में सह प्राध्यापिका रजनी मुर्मू ने क्षोभ भरे लहजे में कहा कि पुरे मामले में हेमंत सोरन और उनकी सरकार के साथ साथ झामुमो का रवैया आदिवासी महिलाओं के प्रति काफी निराश करनेवाला है। 

इस प्रकरण में जहां रूपा तिर्की के परिजनों का साफ़ कहना है कि मामले की सीबीआई जांच की मांग से अलग हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। 

अहम पहलू यह भी है कि कई स्थानीय सोशल मिडिया चैनलों में यह बात काफी प्रमुखता से उठायी जा रही कि इस हत्याकांड के पीछे कई ऐसे अहम राज हैं जिन्हें गायब कर पूरा प्रकरण ‘ प्रेम प्रसंग  ‘ दर्शाया जा रहा है।

रूपा तिर्की मानव तस्करी केस को लेकर काफी सक्रीय थीं और जांच के सिलसिले में वे राजस्थान भी गयीं थीं।इस केस में कई रसूखदार राजनेता,पुलिस, प्रशासन और सफेदपोश बनकर मानव तस्करी का रैकेट चलानेवाले बड़े लोगों के चहरे बेनकाब होने थे. 

इसी क्रम में  जब रसूखदार डीहू यादव के एक सहयोगी को गिरफ्तार किया तो उसे छोड़ने के लिए काफी राजनितिक और विभागीय दबाव दिया जा रहा था  3 मई की रात मरने से पहले डयूटी से क्वार्टर पहुंचकर उसने मां को फोन कर कहा था कि मैंने पानी पी है तो कैसा कैसा लग रहा है !    


                                                          
 यह एक कड़वा सत्य है कि झारखण्ड प्रदेश में पहले भी सत्ता व शासन-प्रशासन संरक्षित खनिज लूट, अवैध पत्थर, खनिज इत्यादि के खनन और मानव तस्करी इत्यादि जैसे संगठित धंधों पर हाथ डालनेवाले सरकारी कर्मियों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और राजनेताओं की संदेहास्पद मौत की घटनाएं होती रही हैं। जिनका आज तक न मुक्क़मिल जांच हुई और न ही कोई दोषी कभी पकड़ा गया। उक्त सन्दर्भों में भी रूपा तिर्की को इन्साफ और मामले की सीबीआई जांच की मांग पर झारखण्ड सरकार और मुख्यमंत्री चुप हैं तो  सवाल बनता है !    

Jharkhand
rupa kirti
Hemant Soren
rupa kirti case in jharkhand
human trafficking

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

झारखंड : ‘भाषाई अतिक्रमण’ के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब, मगही-भोजपुरी-अंगिका को स्थानीय भाषा का दर्जा देने का किया विरोध

'सोहराय' उत्सव के दौरान महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता का जिक्र करने पर आदिवासी महिला प्रोफ़ेसर बनीं निशाना 

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

झारखंड: बेसराजारा कांड के बहाने मीडिया ने साधा आदिवासी समुदाय के ‘खुंटकट्टी व्यवस्था’ पर निशाना

झारखंड: ‘स्वामित्व योजना’ लागू होने से आशंकित आदिवासी, गांव-गांव किए जा रहे ड्रोन सर्वे का विरोध

झारखण्ड : शहीद स्मारक धरोहर स्थल पर स्कूल निर्माण के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों का विरोध


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License