NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
सीबीएसई का फ़रमान: लोकतंत्र के बारे में पढ़ने से 'वर्कलोड' बढ़ेगा
राजनैतिक विज्ञान की किताब के तीन अध्याय, 'लोकतंत्र और विविधिता ', 'जन -संघर्ष एवं आंदोलन' और 'लोकतंत्र की चुनौतियाँ' में से कोई प्रश्न 2020 की बोर्ड परीक्षा में नहीं आएगा।

मुकुंद झा
17 Apr 2019
cbse
Image Courtesy: scroll.in

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2019-20 सत्रों के लिए कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में लोकतंत्र और विविधता पर अध्यायों को हटाने का फ़ैसला किया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राजनैतिक विज्ञान की किताब के तीन अध्याय, 'लोकतंत्र और विविधिता ', 'जन -संघर्ष एवं आंदोलन' और 'लोकतंत्र की चुनौतियाँ' में से कोई प्रश्न 2020 की बोर्ड परीक्षा में नहीं आएगा।

सीबीएसई द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अध्यायों को समय-समय पर होने वाले टेस्ट में शामिल किया जाएगा, लेकिन बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं किया जाएगा। उनका तर्क है की निर्णय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा छात्रों पर पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने के लिए की जा रही रणनीति का हिस्सा है।

जो अध्याय हटाए गए उसमें 'लोकतंत्र और विविधता' अध्याय में 'राजनीतिक सुधार' और 'लोकतंत्र को फिर से परिभाषित करना' शामिल है, जबकि अध्याय, जन-संघर्षो एवं आंदोलन 'लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन', महत्वपूर्ण भूमिका की समझ पैदा करता है कि ये कैसे आंदोलन हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। ये इनकी ऐतिहासिक सफ़लता के बारे भी बताता है। लोकतंत्र के विस्तार में लोगों के संघर्ष कैसे महत्वपूर्ण हैं यह भी बताता है। इसी तरह से 'लोकतंत्र की चुनौतियाँ' में भारतीय परिस्थितियों के संदर्भ में इस व्यवस्था में क्या कठनाई हैं और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के सत्ता और लोगों के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है।

इसको लेकर हमने कई शिक्षकों से बात की। सभी ने लगभग एक ही बात दोहराई कि जिन अध्यायों को हटाया गया है, वो किसी भी समाज की लोकतांत्रिक व्यवस्था को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। इनके वैकल्पिक हो जाने से न इसे छात्र ठीक से पढ़ेंगे न ही शिक्षक इसको अधिक महत्व देंगे। क्योंकि हमारी स्कूली शिक्षा लगभग परीक्षा के हिसाब से ही चलती है शिक्षक अधिक फ़ोकस उन्हीं अध्यायों पर करते हैं, जो परीक्षा में आने वाले हैं। ख़ासतौर पर बोर्ड के परीक्षा में यह प्रवृत्ति देखी जाती है क्योंकि छात्रों का जैसा परिणाम आएगा, उसी से शिक्षक का मूल्यांकन होता है। इसलिए सभी शिक्षक बच्चो को बोर्ड की तैयारी के मुताबिक़ ही पढ़ते है।

एक शिक्षक जो कई वर्षों से दिल्ली के स्कूल में समाजिक विज्ञान पढ़ते हैं उन्होंने कहा ये तीनों अध्याय हटाए गए। इसके पीछे कोई ठोस कारण ही दिखता है। इन सभी अध्यायों को हटाने के पीछे राजनैतिक कारण अधिक लग रहे हैं। उन्होंने कहा जब से केंद्र में राइट विंग की सरकार आई है तब से ही अलग अलग तरीक़ों से शिक्षा की लोकतांत्रिक व्यवस्था को हटाने या कमज़ोर करने की साज़िश चल रही है। उन्होंने कहा इसके लिए संघ और भाजपा से जुड़े लोगों को सीबीएसई और एनसीईआरटी जैसे संस्थानों में बैठाया गया है।

ये जो किताबें बच्चे पढ़ते हैं इसको तैयार करने के लिए एक शिक्षाविदों की टीम गठित होती है, वही फ़ैसला करती है कि क्या पढ़ें और क्या नहीं? ऐसे में सीबीएसई का यह फ़ैसला न केवल अव्यवहारिक बल्कि ग़लत भी है।

उन्होंने आगे कहा, "शिक्षा से जुड़े कई लोगों ने सीबीएसई के इस क़दम को ग़लत बताया है बल्कि इन अध्यायों का बच्चों के पिछले संघर्षों को समझने में अपना महत्व है। इन विषयों से बच्चों के ज्ञान का पूर्ण मूल्यांकन हो सकेगा। जो किया जा रहा है वो ठीक नहीं है और इसका दुष्प्रभाव दीर्घकालिक होगा।”

ये सभी अध्याय सामाजिक विज्ञानों में आपस में जुड़े हुए हैं और इन अध्यायों के हटने से छात्रों की समझ ख़राब होगी। पाठ्यक्रम में परिवर्तन अनियोजित और जल्दबाज़ी  है। "राजनीतिक सामाजिकरण के उद्देश्य से लोकतांत्रिक स्थापना की समझ बिलकुल शून्य रह जाएगी।"

 

CBSE
education
Delhi
NCRT
BJP

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

नई शिक्षा नीति बनाने वालों को शिक्षा की समझ नहीं - अनिता रामपाल

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License