NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
शिलांग हिंसा के पीछे क्या जातीय तनाव है?
अतीत के विपरीत केएसयू ने ग़ैर-स्थानीय लोगों के लिए कोई 'फरमान' जारी नहीं किया है।
विवान एबन
05 Jun 2018
शिलांग

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने रविवार को मीडिया को बताया कि शिलांग में हुई हिंसा में शामिल लोगों को 'पैसे' दिए गए थे और वे इस इलाक़े के नहीं थे। गुरुवार से शिलांग में ग़ैर-स्थानीय लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा हो रही है। हाल में इस झगड़े की शुरूआत तब हुई जब मुख्य रूप से पंजाबी इलाके में एक विवाद को सोशल मीडिया पर ग़लत तरीके से प्रस्तुत किया गया। ये हिंसा बाहरी-विरोधी रूप ले लिया। छिटपुट हमलों ने ग़ैर-स्थानीय समुदायों को एक छोड़ पर खड़ा कर दिया है। खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) और अन्य दबाव समूहों की भाषा में आवश्यक रूप से जातीय तनाव शामिल नहीं है। शिलांग के वाणिज्यिक हिस्से में स्थित इलाक़ा होने के चलते जो पुलिस बाज़ार के नज़दीक है, यह संभावना है कि 'शहरी विकास' के लिए भूमि को मुक्त कराना हिंसा का कारण हो सकता है। दबाव समूहों के बयान और हिंसा पर मुख्यमंत्री की टिप्पणियां इस पर और अधिक प्रकाश डाल सकती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्थरबाज़ों का संबंध शिलांग से नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि इन पत्थरबाज़ों को नक़दी और महंगे शराब दिए गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये जानकारी गिरफ़्तार किए गए लोगों से पूछताछ में सामने आई है। पुलिस के मुताबिक़ अधिकांश युवा पश्चिम खासी पहाड़ियों और शहर के बाहरी इलाके के हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कई नेताओं के साथ बैठकें की गई थीं। संबंधित नेताओं ने युवाओं से घर लौटने और हिंसा से बचने की अपील की थी। हालांकि इन अपीलों का पालन नहीं किया गया था। इस तरह नेताओं और साथ ही सरकार ने माना कि इन युवाओं का संबंध शिलांग से नहीं था। संगमा मानते हैं कि राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस स्थिति का लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि सरकार को अस्थिर करने के लिए इसमें कांग्रेस शामिल थी या नहीं।

हालांकि केएसयू ने इस हिंसा को 'सार्वजनिक क्रांति' कहा है। हिन्नियूट्रेप यूथ काउंसिल (एचवाईसी), केएसयू और भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) मेघालय प्रदेश ने इलाके के निवासियों को कहीं और स्थानांतरित करने की पूरी कोशिश की थी। केएसयू ने कहा है कि जब तक यह नहीं किया जाता है तब तक स्थिति सामान्य होने की संभावना नहीं है। बीजेवाईएम ने ज़ोर देकर कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब पंजाबी लेन के निवासियों ने 'जनजातियों से ज़्यादती' की है।

शिलांग टाइम्स के संपादक को लिखे एक पत्र में शिलोंग के एक निवासी एनके केहर ने कहा कि राज्य में ज़्यादातर अल्पसंख्यक स्वेच्छा से नहीं आए थे, बल्कि विभिन्न कर्तव्यों को पूरा करने के लिए ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान लाए गए थे। कई लोगों ने कहीं और बेहतर अवसरों की तलाश में शिलांग को छोड़ दिया है। इन समुदायों ने शिलांग के निर्माण में भी योगदान दिया है। इससे पहले संपादक को एक अन्य पत्र रेनर दखार ने भेजा था। इस पत्र में गुरुवार की शाम को हुई हिंसा के प्रकाश में 'फ़र्ज़ी ख़बरों' की ओर इशारा किया था।

इस प्रकार कोई भी इस हिंसा के पीछे सामान्य जातीय तनाव नहीं कह सकता है। जातीयता एक कारक हो सकता है और दबाव समूहों द्वारा दिए गए कुछ बयान इसकी ओर संकेत करते हैं। हालांकि, यहां ध्यान देने योग्य दिलचस्प बात यह है कि दबाव समूह विशेष रूप से केएसयू ने यह नहीं बताया कि 'बाहरी लोगों' को मेघालय या शिलांग छोड़ना चाहिए। इसके बजाय उसने किसी अन्य इलाके में पुनर्वास की वकालत की है। यह उन फरमानों से अलग है जो वे अतीत में जारी करते थे। असम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद 1985 और 1987 के बीच केएसयू के लिए 'नेपाली' प्रमुख लक्ष्य थे। 10,000 निवासियों को उनके दस्तावेजों की जांच किए बिना राज्य से 'निर्वासित' किया गया था। इस प्रकार वर्तमान हिंसा अतीत से बिल्कुल अलग है। इसके बजाय इसे रियल एस्टेट से जोड़ा जा सकता है। हालांकि जब तक पुलिस जांच में कुछ सही नतीजा सामने नहीं आता तब तक हिंसा के मूल कारण का अनुमान ही लगाया जा सकता है।

द शिलांग टाइम्स के संपादक पेट्रीसिया मुखिम ने हिंसा के लिए राज्य में मौजूद जाति-केंद्रित व्यवहार (एथनोसेंट्रिज्म) को जिम्मेदार ठहराया है। द स्टेट्समैन में एक लेख ने हिंसा का उल्लेख किया। लिखा गया कि 1979 में गठन के बाद से मेघालय हिंसा का साक्षी है। विभिन्न समय पर विभिन्न समूहों ने जाति केंद्रित भावनाओं का सामना किया जिसके परिणामस्वरूपदंगा और हिंसा हुई। उन्होंने उन परिस्थितियों का भी उल्लेख किया जिसके तहत पंजाबी लेन के निवासी राज्य में आए। उन्होंने लिखा कि शुष्क शौचालयों को साफ करने के लिए औपनिवेशिक काल के दौरान उन्हें लाया गया। उनके लेख के मुताबिक़ पंजाबी लेन के निवासियों ने उन्हें ज़्यादा खुले स्थानों पर स्थानांतरित करने के सभी प्रयासों का विरोध किया है और इसके बजाय उन्होंने घनी 'बस्ती' मेंही रहने का चयन किया जहां वे वर्तमान में रह रहे हैं।

शिलांग
शिलांग हिंसा
भारतीय सेना
मेघालय
KSU

Related Stories

मेघालय में कर्फ्यू हटा, छह जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक जारी

कैंटोनमेंट की सड़कों को आम जनता के लिए खोले जाने के पीछे क्या अचल संपत्ति मुख्य कारण है ?

उत्तरपूर्व में हिंदुत्वा का दोगुला खेल

मेजर गोगोई मामला : PUDR ने कहा ताक़त का गलत इस्तेमाल किया गया है

जारी रक्षा "सुधार" भारतीय सेना के गोलाबारूद की कमी की समस्या का हल नहीं कर सकते हैं


बाकी खबरें

  • एम.ओबैद
    बिहार होली के दौरान 32 लोगों की मौत: परिजनों ने ज़हरीली शराब को बताया कारण, प्रशासन ने कहा बीमारी
    21 Mar 2022
    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों के परिजन मौत की वजह ज़हरीली शराब बता रहे हैं जबकि प्रशासन ने इसकी वजह बीमारी बताई है।
  • सोनिया यादव
    बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल
    21 Mar 2022
    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार ये दावा करते हैं कि आरजेडी के लालू-राबड़ी शासनकाल के मुक़ाबले उनकी सरकार में अपराध कम हुए हैं। हालांकि, नीतीश कुमार के दावों के इतर बिहार पुलिस के आंकड़े कुछ और ही…
  • एस एन साहू 
    प्रधानमंत्री ने गलत समझा : गांधी पर बनी किसी बायोपिक से ज़्यादा शानदार है उनका जीवन 
    21 Mar 2022
    महात्मा गांधी का यश उन पर फिल्म बनाने का विचार करने से बहुत पहले ही दुनिया भर में फैल गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन लोगों के साथ सुर में सुर नहीं मिलाना चाहिए जो गांधी को बदनाम करते हैं।
  • परमजीत सिंह जज
    पंजाब ने त्रिशंकु फैसला क्यों नहीं दिया
    21 Mar 2022
    पंजाब चुनाव अवधारणाओं का एक उत्कृष्ट नमूना है। लोग-बाग़ इस बार मौजूदा राजनीतिक अभिजात्य वर्ग को सत्ता में वापस लौटते नहीं देखना चाहते थे। 
  • भाषा
    राज्यसभा चुनाव: ‘आप’ ने हरभजन सिंह, राघव चड्ढा सहित पांच लोगों को बनाया उम्मीदवार
    21 Mar 2022
    आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि सोमवार है। राज्यसभा की छह राज्यों में 13 सीटों के लिए 31 मार्च को मतदान होना है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License