NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
समाज
भारत
राजनीति
सीटू और एटक ने सरकार के ESI के योगदान में कटौती करने के निर्णय पर आलोचना की
ट्रेड यूनियन के अनुसार, यह निर्णय ESI के त्रिपक्षीय गवर्निंग बॉडी के निर्णय से मेल नहीं खाती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Jun 2019
ESIC
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो साभार: esic.nic

शुक्रवार को जारी एक प्रेस रिलीज़ में सीटू (सेंटर फॉर ट्रेड उनियनस) और AITUC (आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस) ने सरकार द्वारा ईएसआई के योगदान को कम करने के फैसले की कड़ी निंदा की है। ट्रेड यूनियनों ने इस कदम को “एकतरफा और मनमाना” बताया है।

गुरूवार को सरकार ने कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारी राज्य बिमा योजना के लिए योगदान की कुल दर को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत करने की घोषणा की थी।

नामांकित श्रमिको के वेतन का ईएसआई में योगदान 4.75 प्रतिशत से घटकर 3.25 प्रतिशत हो गया है। वहीं श्रमिकों का योगदान 1.75 प्रतिशत से घटकर 1 प्रतिशत हो गया है।   

जबकि सीटू का कहना है कि यह कदम ईएसआई की त्रिपक्षीय गवर्निंग बॉडी मीटिंग के सर्वसम्मत निर्णय से मेल नहीं खाती है। इस निर्णय के पक्ष में दिए गए सारे कारणों को AITUC ने झूठा बताया है।

पिछले साल 18 सितम्बर को हुई ESI की 175 वीं त्रिपक्षीय गवर्निंग बॉडी मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि ईएसआई में नियोक्ता के योगदान को घटाकर 4 प्रतिशत की जाये और वहीं कर्मचारियों का योगदान 1% प्रतिशत तक घटाया जाये। इस निर्णय से ईएसआई का कुल सालाना योगदान 5 प्रतिशत हो गया।

प्रेस बयान में यह भी बताया गया कि केंद्रीय श्रम मंत्री के मौजूदगी और अध्यक्षता में 2019-20 वित्तीय वर्ष की ESI बजट को फरवरी 2019 में आयोजित 177वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग में 5 प्रतिशत की योगदान के आधार पर अंतिम रूप दिया गया था।

नियोक्ता द्वारा ईएसआई को दिए गए योगदान के निर्णय में अचानक बदलाव के कारण सरकार के प्रति नियोक्ता लॉबी को लाभ पहुँचाने के ‘गलत इरादे’ की ओर कई प्रश्न खड़े करता है।

ऐसे निर्णय का कोई वकालत नहीं

सीटू के महासचिव तपन सेन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, ईएसआई योजना के वास्तविक उद्देश्य को न समझने के लिए सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, “ईएसआई में नियोक्ता के योगदान को एक [परोपकारी] योगदान के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए। यह मजदूरी का एक हिस्सा है जो श्रमिकों को सुविधाओं के रूप में मिलता है। सरकार ने मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा के अधिकार को कम कर दिया है।”

स्व-वित्तपोषण होने के बावजूद भी कर्मचारी राज्य बिमा निगम में    योगदान में कमी के परिणामस्वरूप योजना को चलने के लिए अपने प्रशासनिक खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।

सेन ने ESIC के प्रति इसी तरह के डर को दोहराते हुए हुआ कहा , “कर्मचारी राज्य बिमा निगम सरकार का पैतृक संस्थान नहीं है।”

सरकार कैसे बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने जिम्मेदारियों से भाग रही है, इस पर AITUC के महासचिव अमरजीत कौर ने न्यूज़क्लिक से बात की। उसने कहा कि मांग कभी भी ईएसआई में योगदान में कटौती करने की नहीं थी, बल्कि यह सेवाओं की बेहतरी के लिए थी।

उन्होंने कहा कि, “अधिशेष संग्रह का तर्क, जिसके आधार पर सरकार द्वारा कटौती को उचित ठहराया गया था, सब झूठा है। कौर ने यह भी कहा, “जब रिक्तियां अभी तक नहीं भरी  जा सकी हैं, तब कोई अधिशेष संग्रह नहीं हो सकता है, जब अस्पतालों में आवश्यक उपकरण नहीं है और जब ईएसआई योजना के तहत आने वाले प्रत्येक कर्मचारी तक पहुंचने के लिए सेवाओ का विस्तार नहीं किया जाता है।”   

2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद, ESIC के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 तक केवल 3 ESIC और 82 ESI औषधालय बनाये गए हैं। इसी अवधी में, 1.47 करोड़ लोगों ने ईएसआई योजना के तहत बिमा कराया, जिसके कारण जनवरी 2017 में 15000 रूपये से 21000 रूपये तक पात्रता स्तर के  संशोधन के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

न्यूज़क्लिक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय सचिव विरेश उपाध्याय से भी बात की। उन्होंने अंतर्राष्टीय श्रम सम्मलेन में भाग लेने के लिए श्रम और रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार के प्रतिनिधिमंडल के साथ स्विट्ज़रलैंड में होने के कारण कोई भी टिप्पणी देने से इंकार कर दिया।

संसद द्वारा कर्मचारियों के राज्य बिमा अधिनियम, 1948 (ईएसआई अधिनियम) की घोषणा, स्वतंत्र भारत में श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा पर पहला बड़ा कानून था। यह बीमारी, प्रसूति, विकलांगता आदि की घटनाओं के प्रभाव के खिलाफ कर्मचारियों की सुरक्षा के कार्य को पूरा करने के लिए बनाया गया है।

scheme workers
esic
eis
shramik
government employees
Public Sector Employees
CITU
CITU Workers Strike
AITUC

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर

दिल्ली: सीटू के नेतृत्व वाली आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन ने आप सरकार पर बातचीत के लिए दबाव बनाया


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License