NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
स्मृति शेष : मुशीरुल हसन का जाना...
“कोई हमारी जवाबों को माने या न माने इससे हमारे जीवन का किस्सा नहीं बनता। बल्कि हमारे जीवन का किस्सा इससे बनता है कि जिन सवालों और जवाबों पर हमने गुफ्तुगू की, वह गुफ्तुगू हमारे इस दुनिया से अलविदा कहने के बाद भी जारी रहे।”
अजय कुमार
10 Dec 2018
Mushirul Hasan
Image Courtesy: Flickr

किस जीवन का किस्सा बनता है? इस सवाल के अनंत जवाब हो सकते हैं, लेकिन मुशीरुल हसन के शब्दों में कहें तो इसका जवाब यह है कि हम जैसे अकादमिक दुनिया के लोग अपने काम से बहुत सारे सवालों और जवाबों का उधेड़-बुन करते हैं। कोई हमारी जवाबों को माने या न माने इससे हमारे जीवन का किस्सा नहीं बनता। बल्कि हमारे जीवन का किस्सा इससे बनता है कि जिन सवालों और जवाबों पर हमने गुफ्तुगू की, वह गुफ्तुगू हमारे इस दुनिया से अलविदा कहने के बाद भी जारी रहे। इसी गुफ्तुगू के बदलौत हम इस दुनिया के हसीन इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं और मुझे फख्र है कि मैंने इतिहास के क्षेत्र में ऐसे काम किये हैं, जिस पर आने वाली पीढ़ियां भी गुफ्तुगू करेंगी।

आज इस प्रख्यात इतिहासकार और जामिया मिलिया के पूर्व कुलपति मुशीरुल हसन का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। प्रोफ़ेसर मुशीरुल हक का जन्म 15 अगस्त 1949 में हुआ था। लिखने-पढ़ने का माहौल प्रोफेसर हसन को उनके घर से ही मिला। उनके पिता बड़े इतिहासकार थे। मुशीरुल हसन का शुरूआती जीवन कलकत्ता (कोलकाता) के गलियों में गुजरा और अपनी पढाई के लिए उन्हें अलीगढ़ के माहौल का सहारा मिला। यहाँ अलीगढ के माहौल का जिक्र इसलिए क्योंकि मुशीरुल हक का मानना था कि अलीगढ़ के माहौल ने उनके भीतर इतिहास से लगाव पैदा किया। मुशीरुल कहते थे कि घर का माहौल जरुर इतिहास की तरफ झुका हुआ था लेकिन मेरे जीवन में इतिहास से लगाव अलीगढ़ के माहौल से पैदा होना शुरू हुआ। मुशीरुल कहते हैं कि अलीगढ़ से डिग्री मिलने के बाद हर नौजवान की तरह मेरा जीवन भी संघर्ष के दौर से गुजरा। बहुत अधिक संशय था कि किस शहर की तरफ रुख किया जाए और किस तरह की नौकरी का चुनाव किया जाए। इसी समय तकरीबन साढ़े 19 साल की उम्र में दिल्ली के रामजस कॉलेज में मुझे पढ़ाने का मौका मिला। मैं रामजस कॉलेज में पहला मुस्लिम शख्स था, जिसे पढ़ाने का मौका मिला था। इसके बाद मुझे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट की पढ़ाई करने का मौका मिला। कैम्ब्रिज की पढ़ाई ने मेरी दुनिया बदल दी। यहाँ के नोबेल सम्मानित प्रोफेसरों के रहन-सहन से मैंने सीखा कि बड़ा बनने के साथ बड़ा होने का स्वाभाव पैदा नहीं होता बल्कि झुकाने का स्वाभाव पैदा होता है।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की शैक्षिक पृष्ठभूमि इतिहास विषय की रही है। इनके देहांत पर रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है- “अलविदा प्रोफ़ेसर मुशीरूल हसन...एक ज़माना था मुशीरूल हसन साहब का। उन्हें सुनने के लिए भीड़ लगती थी। उनका लिखा अंडरलाइन कर पढ़ा जाता था। उनकी किताबें लाँच होती थीं। ख़बरें बनती थी। टीवी की बहस बग़ैर मुशीर साहब के कहाँ पूरी होती थी। अख़बार और जर्नल उनके लेख से भरे रहते थे। एक दुर्घटना के बहाने ज़िंदगी उन्हें पर्दे के पीछे ले गई। ज़माने तक उनका लिखा पढ़ने को नहीं मिला। लोग भूलने लगे। आज सुबह वे इस दुनिया को ही छोड़ गए। मगर जो लिख कर गए हैं उससे एक आलमारी भर जाए। आधुनिक भारत के बड़े और क़ाबिल इतिहासकारों में से रहे हैं। एक शानदार इतिहासकार हमारे बीच से गया है। अपने विषय के इस क़द्दावर शख़्स को अलविदा। काफ़ी कुछ सीखा। जाना। उसके लिए आभार।“

मुशीरुल हसन का इतिहास विषय पर कहना रहा कि भारतीय इतिहास के साथ सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसे सबसे पहले अंग्रेजों ने लिखा। अंग्रेजों ने इसे एक ख़ास मकसद से लिखा। इस मकसद को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास के साथ बहुत अधिक छेड़छाड़ की, जैसे कि मध्यकालीन इतिहास के बारें में यह बताया गया कि यह इस्लामी इतिहास है। यहीं से साम्प्रदायिकता की सारी जड़े निकलती हैं। इन जड़ों को काटने का तरीका यही है कि इसपर जमकर वैचारिक और तार्किक बहस और शोध किए जाए। इसी सोच से सजे दिमाग की वजह से मुशीरुल हसन ने भारत-पाक विभाजन, इस्लामी इतिहास और साम्प्रदायिकता जैसे विषयों पर कई किताबें लिखीं और भारत सरकार ने उन्हें उनके कामों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया।

प्रोफेसर मुशीरुल ने 1992 से 1996 के बीच जामिया मिलिया इस्लामिया के उपकुलपति और 2004 से 2009 के बीच संस्थान के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दी। इस समय को याद करते हुए जामिया के पूर्व छात्र कहते हैं ‘बटाला हाउस काण्ड के समय जब दिल्ली पुलिस शक के आधार पर जामिया के छात्रों को निशाना बना रही थी, तब प्रोफेसर मुशीरुल ने जामिया के अंसारी सभागार में छात्रों के साथ खड़े होते कहा था कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस को मुझे गिरफ्तार करना पड़ेगा। प्रोफेसर मुशीरुल को याद करते हुए आए वक्त जामिया की गलियों में इस बात पर चर्चा होती रहती है।’

Mushirul Hasan
Former Jamia VC Mushirul Hasan
History
historian
Jamia Milia Islamia

Related Stories

अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश

कब तक रहेगा पी एन ओक का सम्मोहन ?

क्या ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है?

एक काल्पनिक अतीत के लिए हिंदुत्व की अंतहीन खोज

कश्मीरी अख़बारों के आर्काइव्ज को नष्ट करने वालों को पटखनी कैसे दें

पूंजीवाद की अश्लील-अमीरी : एक आलोचना

क्यों मोदी का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे शर्मनाक दौर है

भारतीय मुसलमानों से 'ख़तरे' को भड़काने के लिए संघ परिवार कर रहा है मोपला विद्रोह का इस्तेमाल

मोदी सरकार ने दिखाया है कि हमें विभाजन के दर्द को किस तरह याद नहीं करना चाहिए

क्यों 14 अगस्त बंटवारे की विभीषिका को याद करने का सही दिन नहीं है?


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License