NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
संघ परिवार साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कर रहा है रामनवमी का इस्तेमाल
हथियारों और भड़काऊ नारे के साथ बिहार, बंगाल, राजस्थान और दूसरी जगहों पर निकाले गए गए जुलूस ,कई जगह भड़की सांप्रदायिक हिंसा I
ऋतांश आज़ाद
28 Mar 2018
ram navmi

इस साल हिन्दू त्योहार रामनवमी को संघ परिवार – बीजेपी,VHP और बजरंग दल साम्प्रदायिक तनाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है I संघ परिवार के विभिन्न दल पूजा और उत्सव कमेटियों के नाम से जानबूझकर मुस्लिम बहुल इलाकों से होकर भड़काऊ नारों और हथियारों के साथ रैली निकलते हैं और जिससे कई बार दंगा भड़क जाते हैं I यह बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल में देखा गया जहाँ तृणमूल कांग्रेस भी इस सांप्रदायिक राजनीति के दबाव में आ गई और उन्होंने  खुद भी इस तरह की रैलियाँ निकाली I बिहार में भी इस तरह के ही आयोजन भागलपुर और औरंगाबाद में सांप्रदायिक घटनाओं में तब्दील हुए I उत्तर प्रदेश , राजस्थान और महाराष्ट्र के कई इलाकों से भी इस तरह की सांप्रदायिक घटनाओं की रिपोर्टें आ रही हैं I

बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद् के कई हथियार बंद कार्यकार्ता भड़काऊ नारे लगाते हुए और जानबूझकर दंगा करने की कोशिश करते हुए बंगाल के कई इलाकों से रैली निकालते हुए देखे गए I जबकि इनमें से ज़्यादातर रैलियों को प्रशासन से इजाज़त नहीं मिली थी I इसका परिणाम ये हुआ कि बंगाल के पुरुलिया ज़िले में दो गुटों के बीच पत्थरबाज़ी हुई और बजरंग दल और पुलिस के बीच झड़प हुई जिसमें एक शख्स की मौत हो गयी I इस घटना के एक दिन बाद बर्दवान के रानीजंग में एक और झड़प हुई जिसमें 5 पुलिस कर्मी घायल हुए , एक शख्स की मौत हो गई और कई दुकाने भी जलाई गयीं I ये सब तब हुआ जब एक रामनवमी की रैली एक मुस्लिम बहुल इलाके से निकली गयी I पुलिस का कहना है कि इस रैली में कई आपत्तिजनक नारे लगाये गए जिन पर स्थानीय लोगों ऐतराज़ जताया जिसके बाद दोनों तरफ से पत्थरबाज़ी शुरू हो गयी I मुर्शीदाबाद और 24 परगना इलाकों में भी इसी तरह की घटनायें हुई , जहाँ भगवा झंडे लिए कुछ हुडदंगियो ने स्वतंत्रता सेनानी और भारत के शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अब्दुल कलाम का पुतला तोड़ दिया और एक स्थानीय पुलिस थाने में घुसने का प्रयास भी किया I

बिहार में औरंगाबाद और भागलपुर ज़िलों में दो बड़ी सांप्रदायिक घटनायें हुई I औरंगाबाद में  इसी तरह झड़प तब शुरू हुई जब रामनवमी की बाइक रैली को जब मुस्लिम इलाके निकाला जा रहा था , इसके बाद एक समुदाय विशेष के लोगों की 20 दुकानों को जलाया गया I 26 मार्च को इस घटना के बाद इलाके में कर्फ्यू लगाया गया था I औरंगाबाद के अलावा बिहार के गया, सीवान और कियामूर में भी रामनवमी के जुलूस निकाले जाने के बाद सांप्रदायिक तनाव है I

इससे पहले 18 मार्च को हिन्दू नववर्ष के मौके पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बेटे ने बिहार के भागलपुर में एक जुलूस निकला I इस जुलूस में सांप्रदायिक नारे दिए गए जिसके बाद इलाके भी दंगे हुए I केंद्रीय मंत्री के बेटे पर FIR तो दर्ज़ हुई पर अब भी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है I

ऐसा लग रहा है कि दोनों राज्यों में यानि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और बिहार में नितीश कुमार की JDU , संघ की सांप्रदायिक रणनीति के सम्बन्ध में एक ही तरह का खेल खेल रहे हैं I ये ध्यान देने वाली बात है कि जहाँ एक तरफ़ JDU बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं वहीँ तृणमूल कांग्रेस खुद को उनसे अलग दिखने की कोशिश कर रही है I वैसे दोनों ये कह रहें हैं कि वह इन घटनाओं पर कड़ी कार्यवाही करेंगे पर सच्चाई ये है कि दोनों पार्टियाँ वही सांप्रदायिक कार्ड खेलने की कोशिश कर रही है, जिसमें बीजेपी माहिर है I

बंगाल में कई इलाकों में जहाँ पहले से ही तनाव था TMC के कार्यकर्ता बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं के साथ रामनवमी के जुलूस निकालते हुए दिखाई पड़े I ये साफ़ है कि रामनवमी के नाम पर बीजेपी और RSS क्या करने की कोशिश कर रही है I यह हिन्दू त्यौहार जो पारंपरिक तौर पर ख़ुशी मनाने का पर्व था , इसे RSS अपनी सांप्रदायिक राजनीति का दायरा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रही है I पिछले कुछ साल पहले तक रामनवमी बंगाल में बड़ा त्योहार नहीं था I RSS बंगाल में अपने पैर जमाने के लिए और इसे हिन्दू बंगालियों को धर्म के आधार पर अपने साथ लाने के लिए इस्तेमाल कर रही है I शस्त्रों के साथ जुलूस निकालने का ये तरीका भी नया है और ये साफ़ है कि इसका क्या मकसद हो सकता है I भड़काऊ नारे लगाते हुए मुस्लिम बहुल इलाकों से रैलियाँ निकालने की ये खतरनाक प्रथा अब सभी हिंदी भाषी राज्यों में दिखाई पड़ने लगी है और अब तो इसे बंगाल में भी इस्तेमाल किया जा रहा है I

पहले TMC बांग्लादेश के जमात ऊल मुजाहिद्दीन को शरण देने और इमामों को अनुदान देकर  मुस्लिम कट्टरपंथियों को खुश करने के प्रयास कर रही थी I लेकिन बंगाल में बीजेपी के उभार के साथ ही वह न सिर्फ हिंदुत्व की तरफ झुकती दिख रही है, बल्कि हिन्दू चरमपंथियों के साथ हाथ मिलाती भी दिख रही है , जैसा कि रामनवमी के जुलूसों में दिखा I वैसे ममता बनर्जी अब भी खुद को धर्मनिरपेक्ष दिखाने का प्रयास कर रही है I उन्होंने कहा है कि काफी सारे जुलूसों को इजाज़त नहीं दी गयी थी और जिन्होंने भी दंगा किया है उन्हें बक्शा नहीं जायेगा I पर उनकी पार्टी के लोगों द्वारा की गयी कार्यवाहियाँ अलग ही कहानी बयान कर रही हैं I

इसी तरह की कहानी बिहार भी दोहराई जा रही है जहां तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मुख्य मंत्री नितीश कुमार इस तरह की रैलियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करते हुए नहीं दिखे हैं I

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए CPI(M) के बिहार सचिव अवधेश कुमार ने कहा “इस तरह की हथियारबंद रैलियाँ रामनवमी के मौके पर बिहार में पहले नहीं होती थी I ये साफ़ तौर पर सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश है I भागलपुर में केंद्रीय मंत्री के बेटे ने भी पिछले हफ्ते इसी तरह दंगा शुरू कराया था I केंद्रीय मंत्री ने खुद ये कहा था कि उन्हें अपने बेटे के इस काम पर गर्व महसूस होता है I इस सब के बावजूद अब तक उनके बेटे को गिरफ्तार नहीं किया गया है I इसके अलावा नितीश कुमार ने उस शख्स को बिहार का DGP नियुक्त किया है जो 1989 के भागलपुर दंगों के दौरान वहाँ SP थे ,इससे नितीश कुमार की राजनीति क्या है ये साफ़ हो जाता है I”

बीजेपी
RSS
रामनवमी
TMC
पश्चिम बंगाल
सांप्रदायिकता
सांप्रदायिक हिंसा
jdu

Related Stories

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है

कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...

पीएम मोदी को नेहरू से इतनी दिक़्क़त क्यों है?

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License