NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
संघी हुड़दंगियों पर क्यों खामोश है बिहार की सरकार? 
पांच अगस्त को नागरिक प्रतिवाद पर हमला करने वाले संघ परिवार के हुड़दंगियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 
अनिल अंशुमन
14 Aug 2019
करगिल चौक पर नागरिक प्रतिवाद कार्यक्रम

9 अगस्त को बिहार भाकपा माले विधायक दल के नेता व कई अन्य वाम– लोकतान्त्रिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने राज्य के गृह सचिव से मिलकर गत 5 अगस्त को पटना के करगिल चौक पर नागरिक प्रतिवाद पर हमला करने वाले संघ परिवार के हुड़दंगियों के खिलाफ ज्ञापन दिया। जिस पर गृह सचिव ने भी अविलंब कारवाई करने का आश्वाशन दिया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

9 अगस्त को ही नागरिक प्रतिवाद कार्यक्रम के आयोजकों ने गांधी मैदान थाना में संघ परिवार के उक्त हुड़दंगियों द्वारा सोशल मीडिया में ‘मानहानि–दुष्प्रचार करने व धमकी देने’ के खिलाफ साइबर अपराध शाखा में भी केस दर्ज़ किया था, इस पर भी पूरा प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।

हैरानी की बात है कि जिस कश्मीर मसले पर केंद्र सरकार के फैसले का एनडीए के घटक दल जदयू के मुख्यमंत्री जी ने विरोध किया था उन्होंने भी इस घटना को कोई तवज्जो नहीं दी। जबकि यह नागरिक प्रतिवाद कश्मीर पर केंद्र की सरकार के उसी फैसले के विरोध में था। 

दूसरे, उनके सुशासन में यह पहली ऐसी घटना थी कि शांतिपूर्ण नागरिक कार्यक्रम पर संघी हुड़दंगियों द्वारा पुलिस के सामने सरेआम हमला किया गया हो। हालांकि कार्यक्रम कर रहे लोगों ने हमलावर हुड़दंगियों को खदेड़ कर भगा भी दिया था। 
 
सनद हो कि केंद्र सरकार की द्वारा कश्मीर को मिले धारा 370 जैसे संवैधानिक–लोकतान्त्रिक विशेषाधिकारों को खत्म किए जाने के खिलाफ देश भर में प्रतिवाद जारी है। 

‘संविधान और कश्मीर' पर हमले खिलाफ पटना के करगिल चौक पर भी नागरिक प्रतिवाद किया जा रहा था। जिसमें कई जाने माने वरिष्ठ नागरिक- बुद्धिजीवी, साहित्यकार, रंगकर्मी और छात्र– युवा संगठनों समेत सामाजिक- वाम दलों के सदस्य इकट्ठे हुए थे। 

सड़क के दूसरी ओर बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, एबीवीपी, हिंदू वाहिनी व संघ परिवार के मुट्ठी भर हुड़दंगी ‘गोडसे ज़िंदाबाद .... सारा कश्मीर हमारा है ... जय श्रीराम के' जैसे उन्मादी नारे लगाकर विजय उत्सव माना रहे थे। 

अचानक वहां मौजूद पुलिस के सामने ही एक हुड़दंगी टोली ने उन्मादी नारे लगाते हुए प्रतिवाद कार्यक्रम के एक हिस्से पर हमला बोलकर प्रतिवाद में शामिल महिला नेताओं को अश्लील गालियां देने लगा। जवाब में वामपंथी छात्र–युवाओं ने भी जब शक्ति प्रयोग किया तो वे भाग खड़े हुए। 

प्रतिवाद 3.jpg

‘प्रयास' नामक फर्जी वीडियो चैनल और व्हाट्सअप पर इस कार्यक्रम में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद' नारे लगाए जाने की अफवाह वायरल कर दी गयी। संयोगवश प्रतिवाद कार्यक्रम के लोगों ने पहले ही इस कांड का लाइव वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर दिया था। भागे हुए हुड़दंगियों ने अपने लोगों को फौरन यहां इकट्ठे होने की सूचना दी थी पर कोई नहीं आया। 

वहां मौजूद पुलिस द्वारा हमला करने वाले संघी हुड़दंगियों पर कोई कारवाई नहीं किए जाने के विरोध में तत्काल ही प्रतिवाद कार्यक्रम स्थल से ‘लोकतन्त्र बचाओ मार्च' निकाला गया। जो मुख्य मार्गों से होते हुए गांधी मैदान से सटे जयप्रकाश नारायण स्मारक स्थल पर पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गया। 

सभा के माध्यम से तानाशाही के खिलाफ संघर्ष के आदर्श प्रतीक जयप्रकाश नारायण की संघर्ष परंपरा की चर्चा करते हुए मोदी शासन के फासीवादी-सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति और नकली राष्ट्रवाद के खिलाफ एकजुट संघर्ष खड़ा करने का संकल्प लिया गया। 

इस सभा को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक प्रो. दिवाकर, भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेन्द्र झा व ऐपवा राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी समेत कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। 

नागरिक प्रतिवाद कार्यक्रम स्थल से महज चंद फासले पर ही पुलिस मुख्यालय– नियंत्रण कक्ष और डीसी- एसपी इत्यादि पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के कार्यालय अवस्थित हैं लेकिन किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया। 
    
नागरिक समाज के शांतिपूर्ण प्रतिवाद पर हमले की घटना भाजपा–एनडीए शासन के बढ़ते फासीवाद हरकतों की ही एक कड़ी होने के साथ ही ‘विरोध की आवाज़’ को दुष्प्रचारित कर संगठित – हुड़दंगी ‘मॉब’ से कुचलने का हथकंडा भी दिखा। जिसमें जेएनयू की भांति इस कार्यक्रम के बारे में भी अफवाह वायरल किया गया कि यहां देश विरोधी और पाकिस्तान-ज़िंदाबाद के नारे लगाए गए। 

साथ ही सोशल मीडिया से प्रतिवाद करने वालों को धमकी व अश्लील गालियां दी गईं। लेकिन ये सारी कवायद धरी की धरी रह गयी और संघी हुड़दंगियों उल्टे पांव भागना पड़ा। प्रतिवाद कार्यक्रम से उन्हें चुनौती भी दी गयी कि कश्मीर के सवाल पर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करने वाले नितीश कुमार के सामने जाकर अपना हुड़दंगी विरोध दिखाएं!

हाल के समय में संभवतः यह पहली घटना कही जाएगी जिसमें संघी हुड़दंगी चौकड़ी को उनकी सरकार का विरोध करने वालों के हाथों सरेआम पिटकर भागना पड़ा।
     
बिहार और विशेषकर राजधानी पटना हमेशा से शासन के लोकतन्त्र विरोधी करतूतों के खिलाफ जुझारू नागरिक प्रतिवादों का केंद्र रहा है। हर दौर के कुशासनों व उसके दमन के खिलाफ प्रचंड जन आंदोलनों का जीवंत साक्षी रहा है। 

इसी पटना में आपातकाल की तानाशाही के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुकार पर छात्र– नौजवानों के उठे प्रचंड संघर्षों ने केंद्र की सत्ता तक को हिलाकर रख दिया था। आज जबकि फिर से देश पर एक अघोषित आपातकाल व तानाशाही को थोपा जा रहा है और अबकी बार इसकी अलंबरदार वे ताक़तें हैं जो खुद को आपातकाल विरोधी चैंपियन कहतीं रहीं हैं। 

कटु सत्य है कि फासीवादी–सांप्रदायिक राजनीति को भले ही बिहार में भी लोकसभा की चुनावी सफलता मिल गयी हो लेकिन यह भी उतना ही निर्विवादित सत्य है कि इसी बिहार की मिट्टी में तानाशाही और फासीवादी प्रवृति के जबर्दस्त विरोध की मजबूत ऐतिहासिक परंपरा भी रही है।जिसकी अभिव्यक्ति आनेवाले समयों में सड़कों के जनप्रतिवाद में होना लाजमी है। 

                                   
         
 

Kashmir crises
Bihar
PATNA
left parties
Left Front
Protests

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका


बाकी खबरें

  • लव पुरी
    क्या यही समय है असली कश्मीर फाइल को सबके सामने लाने का?
    04 Apr 2022
    कश्मीर के संदर्भ से जुडी हुई कई बारीकियों को समझना पिछले तीस वर्षों की उथल-पुथल को समझने का सही तरीका है।
  • लाल बहादुर सिंह
    मुद्दा: क्या विपक्ष सत्तारूढ़ दल का वैचारिक-राजनीतिक पर्दाफ़ाश करते हुए काउंटर नैरेटिव खड़ा कर पाएगा
    04 Apr 2022
    आज यक्ष-प्रश्न यही है कि विधानसभा चुनाव में उभरी अपनी कमजोरियों से उबरते हुए क्या विपक्ष जनता की बेहतरी और बदलाव की आकांक्षा को स्वर दे पाएगा और अगले राउंड में बाजी पलट पायेगा?
  • अनिल अंशुमन
    बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध
    04 Apr 2022
    भाकपा माले विधायकों को सदन से मार्शल आउट कराये जाने तथा राज्य में गिरती कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराधों के विरोध में 3 अप्रैल को माले ने राज्यव्यापी प्रतिवाद अभियान चलाया
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में एक हज़ार से भी कम नए मामले, 13 मरीज़ों की मौत
    04 Apr 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.03 फ़ीसदी यानी 12 हज़ार 597 हो गयी है।
  • भाषा
    श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया
    04 Apr 2022
    राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से ‘‘गलत तरीके से निपटे जाने’’ को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License