NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?
क्या सोशल मीडिया आपको जागरूक बना रहा है? क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है? क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है? इन सब सवालों पर ही वरिष्ठ लेखक पत्रकार सिरिल सैम और परंजॉय गुहा ठाकुरता ने संयुक्त रूप से अंग्रेजी में कुछ लेख लिखे हैं। हम न्यूज़क्लिक हिन्दी के पाठकों के लिए इनका अनुवाद एक सीरीज के तौर पर पेश कर रहे हैं। आज पढ़िए पहली कड़ी।
सिरिल सैम, परंजॉय गुहा ठाकुरता
30 Jan 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy: India Today

22 सितंबर, 2018 को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान के कोटा में अपनी पार्टी के सोशल मीडिया वॉलिंटियर्स से संवाद कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान कहा, ‘हम जनता तक हर संदेश पहुंचा पाने में सक्षम हैं। चाहे वह अच्छा हो या बुरा। चाहे वह सच्चा हो या फर्जी।’

अमित शाह के इस बयान के मायनों को समझना के लिए यह याद करना होगा कि सबसे पहले उन्होंने ऐसी बातें 2017 के फरवरी-मार्च में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले कही थीं। उन्होंने कहा था कि भाजपा के समर्थकों ने बहुत बड़े व्हाट्सऐप समूह बना रखे हैं। इन समूहों से 32 लाख लोग जुड़े हुए हैं। 

हर दिन सुबह आठ बजे इन समूहों में ‘जानिए सच’ के नाम से एक संदेश भेजा जाता था। इन संदेशों के जरिये यह बताया जाता था कि विभिन्न अखबारों और वेबसाइट में भाजपा के बारे में क्या ‘फर्जी’ बातें प्रकाशित हुई हैं। 

भाजपा के एक ‘स्मार्ट’ कार्यकर्ता ने एक दिन इन व्हाट्सऐप समूहों पर एक फर्जी जानकारी यह डाल दी कि उस समय के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को थप्पड़ मारा है। इसके बाद यह संदेश वायरल हो गया और इसकी जानकारी अमित शाह तक पहुंची।

अमित शाह ने कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। इसके बावजूद इस फर्जी सूचना से एक खास तरह का वातावरण बन गया। अमित शाह से संवाद के दौरान श्रोताओं ने इसका उल्लेख किया तो शाह ने उन्हें बड़े प्यार से फटकारते हुए कहा, ‘ऐसा करना तो चाहिए कि लेकिन ऐसा मत करिए! आप समझ रहे हैं न कि मैं क्या कह रहा हूं?’

इसके बाद अमित शाह ने कहा, ‘हम ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हमारे व्हाट्सऐप ग्रुप में 32 लाख लोग हैं। यही वजह है कि हम ऐसी चीजों को वायरल कर पाते हैं।’ हिंदी में दिए गए अमित शाह का वह भाषण ज्यों का त्यों कई मीडिया वेबसाइट पर उपलब्ध है। जो आंकड़ा उन्होंने बताया था, वह हैरान करने वाला है। 

कुछ समय पहले व्हाट्सऐप के वैश्विक प्रमुख क्रिस डेनियल्स ने इकनोमिक टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में यह दावा किया यह प्लेटफॉर्म ऐंड टू ऐंड इन्क्रिप्टेड है और भारत के तकरीबन 20 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐंड टू ऐंड इन्क्रिप्शन का मतलब यह होता है कि जो संदेश भेज रहा है और जिसे भेज रहा है, उसके अलावा बीच में कोई तीसरा व्यक्ति या यहां तक की व्हाट्सऐप कंपनी भी इन संदेशों को नहीं पढ़ सकती। डेनियल्स ने यह भी कहा, ‘लोगों को कई बार इस बात से हैरानी भी होती है कि व्हाट्सऐप पर 90 फीसदी संदेशों का आदान-प्रदान दो लोगों के बीच ही होता है। अधिकांश समूहों में दस से भी कम लोग हैं।’

अगर डेनियल्स द्वारा दिए गए आंकड़ों पर यकीन करें तो इतना तय लगता है कि अमित शाह और भाजपा के समर्थकों, शुभचिंतकों और कार्यकर्ताओं ने व्हाट्सऐप का जितनी सफलता से इस्तेमाल किया है उतनी सफलता से दुनिया में किसी और ने नहीं किया। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा और प्रभावी राजनीतिक अभियान चलाने का काम कर रही है।

पिछले कुछ समय से फेसबुक के डिजिटल एकाधिकार को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है। व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसे डिजिटल प्लैटफॉर्म का स्वामित्व भी फेसबुक कंपनी के पास ही है। ऐसे में आज विश्व में फेसबुक के कामकाज की निगरानी की बात चल रही है। कहा जा रहा है कि फेसबुक का एकाधिकार नेट निरपेक्षता की धारणा के विपरीत है। 

फेसबुक इस्तेमाल करने वाले जिन लोगों ने अपनी जानकारियां इस प्लेटफॉर्म पर डाली हैं उनके दुरुपयोग का मामला भी सामने आया है। कैंब्रिज एनालिटिका और ऐसी दूसरी कंपनियों ने इन जानकारियों का दुरुपयोग किया। इसके बाद से भारत में भी फेसबुक की गतिविधियों पर लगातार सवाल उठाया जा रहा है। 

Social Media
#socialmedia
#सोशल_मीडिया
Facebook
Facebook India
WhatsApp
whatsapp messages
Real Face of Facebook in India
#Facebook

Related Stories

विज्ञापन में फ़ायदा पहुंचाने का एल्गोरिदम : फ़ेसबुक ने विपक्षियों की तुलना में "बीजेपी से लिए कम पैसे"  

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

कानून का उल्लंघन कर फेसबुक ने चुनावी प्रचार में भाजपा की मदद की?

रामदेव विरोधी लिंक हटाने के आदेश के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया की याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को अलग किया

यूपी चुनावः कॉरपोरेट मीडिया के वर्चस्व को तोड़ रहा है न्यू मीडिया!

डेटा निजता विधेयक: हमारे डेटा के बाजारीकरण और निजता के अधिकार को कमज़ोर करने का खेल

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

फ़ेसबुक/मेटा के भीतर गहरी सड़न: क्या कुछ किया जा सकता है?

आज तक, APN न्यूज़ ने श्रीनगर में WC में पाकिस्तान की जीत का जश्न बताकर 2017 का वीडियो चलाया


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License