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सर्दियों में मुफ्त कर दें दिल्ली मेट्रो सेवा : पर्यावरणविद्
"सर्दी ने अभी ठीक तरीके से दस्तक भी नहीं दी है और अभी से प्रदूषण का स्तर गंभीर हो चुका है, आगे जैसे-जैसे तापमान घटेगा, स्थिति और खराब होगी।”
रीतू तोमर, आईएएनएस
23 Oct 2018
Delhi Metro दिल्ली मेट्रो
Image Courtesy: Indian Express

अमूमन हर साल दशहरे के बाद दिल्ली सहित तमाम राज्यों में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ना शुरू हो जाता है। हर साल सरकार प्रदूषण कम करने के लिए बड़े-बड़े ऐलान करती है, कभी पटाखों पर तो कभी पराली जलाने पर प्रतिबंध। लेकिन इन सबका प्रदूषण पर कुछ खास असर नहीं होता। पर्यावरणविद् कहते हैं कि पिछली बार सरकार ने दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था तो इस बार सर्दियों में मेट्रो में आम लोगों के लिए सफर को नि:शुल्क करने का उपाय भी करके देखा जाना चाहिए। 

पर्यावरणविद् व सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एन्वायरमेंट (सेफ) के सदस्य विक्रांत तोंगड़ कहते हैं कि 15 सितंबर से पराली जलाने का सिलसिला शुरू होता है और 15 नवंबर तक आते-आते हालात बदतर हो जाते हैं। ऐसे में सरकार हर बार आनन-फानन में आपात कदम उठाकर अपनी पीठ थपथपाती है, लेकिन ग्राउंड लेवल पर इनका कुछ असर असल में नहीं होता।

तोंगड़ कहते हैं, "सर्दी ने अभी ठीक तरीके से दस्तक भी नहीं दी है और अभी से प्रदूषण का स्तर गंभीर हो चुका है, आगे जैसे-जैसे तापमान घटेगा, स्थिति और खराब होगी। इस बार प्रदूषण से राहत मिलती नजर नहीं आती। अभी हवा की गति कम है, इसलिए प्रदूषण का अभी ज्यादा पता नहीं चल पा रहा है।"

उन्होंने आईएएनएस से कहा, "हमारी सरकार देर से ही जागती है। अब फुर्ती दिखाने से हम प्रदूषण को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे। इसके लेकर काफी पहले से प्रयास शुरू करने चाहिए थे। सड़कों को झाडू से साफ करने के बजाय वैक्यूम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बसों आदि के टिकट कम करने चाहिए। सरकार को चाहिए कि सर्दी के इन दो से तीन महीनों में मेट्रो में सफर को नि:शुल्क कर दिया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग मेट्रो का सफर कर पाएंगे। यकीन मानिए, इससे प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो जाएगा, क्योंकि लोग अपने निजी या अन्य वाहनों को छोड़कर मेट्रो का सफर करना शुरू कर देंगे।"

यह पूछने पर कि सरकार मेट्रो को कुछ महीनों के लिए नि:शुल्क कर घाटा क्यों सहेगी? जवाब में उन्होंने कहा, "क्यों नहीं? क्या सरकार प्रदूषण से हो रहे नुकसान को गंभीरता से नहीं लेती क्या? जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है। प्रदूषण से मौतें हो रही हैं और ऐसे में अगर सरकार नफा-नुकसान के बारे में सोचेगी तो इससे ज्यादा हास्यास्पद और कुछ नहीं हो सकता।"

एक अन्य पर्यावरणविद् अनुराधा राव कहती हैं, "पिछले साल दिवाली के समय प्रदूषण का जो स्तर था, वह इस साल दशहरे पर ही हो गया है। रविवार को दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब की श्रेणी में पहुंच गई। इसी से समझ लीजिए कि इस बार सर्दियों में हालात बहुत बिगड़ने वाले हैं। पराली पर पूर्ण रोक के साथ भारी जुर्माना लगाने की भी जरूरत है।"

आंकड़ों की बात की जाए तो 2017 में दिवाली पर वायु सूचकांक 326 रहा, जबकि 2016 की दिवाली पर यह 426 रहा। इस तरह 2016 में दिवाली पर प्रदूषण का स्तर सर्वोच्च रहा। ऐसा अनुमान है कि इस साल दिवाली पर प्रदूषण का स्तर 2016 के स्तर से अधिक रहेगा। अब देखना यह है कि 2016 में दिवाली पर जहां पीएम10 का स्तर 448 से 939 के बीच 2017 में 331 से 951 के बीच रहा। वहीं, इस बार यह कहां तक पहुंचेगा।

विक्रांत तोंगड़ कहते हैं, "राहुल गांधी वायु प्रदूषण को लेकर फेसबुक पोस्ट करते हैं, जो अच्छी बात है लेकिन जरूरी है कि राजनीतिक दल प्रदूषण को लेकर एक मुहिम शुरू करें। डीटीसी बसों में किराया घटाना और मेट्रो में यात्रा को दो से तीन महीनों के लिए निशुल्क करना कारगर कदम साबित हो सकते हैं।"

 

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