NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकार बदलने पर भी कायम है खनन माफिया की सत्ता
मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ दशक से रेत के अवैध उत्खनन एवं व्यापार का मुद्दा उठता रहा है, लेकिन कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग पाया है।
राजु कुमार
14 Sep 2019
sand mining
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : mpbreakingnews

मध्यप्रदेश में एक बार फिर रेत के अवैध उत्खनन का मामला सुर्खियों में है। भोपाल से सटे सीहोर और होशंगाबाद जिले में रेत का अवैध उत्खनन पिछले डेढ़ दशक से चल रहा है, लेकिन सरकार बदलने के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग पाया है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिवार पर अवैध उत्खनन के गंभीर आरोप लगाए थे। तब ‘‘चौहान’’ लिखे हुए डंपर चर्चा के विषय रहते थे। अभी यह मामला होशंगाबाद कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और एसडीएम रवीश श्रीवास्तव के बीच अवैध रेत उत्खनन के मुद्दे पर हुए विवाद के कारण सामने आया है।

एसडीएम ने मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि कलेक्टर ने अपने बंगले पर उन्हें 12-13 सितंबर की रात को 3 घंटे बंधक बना कर रखा। उन्होंने सिपाहियों द्वारा गाड़ी की चाबी छीनने, मोबाइल से बात नहीं करने देने सहित अन्य कई आरोप लगाए हैं। कलेक्टर ने रात में ही एसडीएम से प्रभार लेकर डिप्टी कलेक्टर को प्रभार सौंप दिया। ऐसा कहा जा रहा है कि पत्र में मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष भाजपा विधायक डॉ. सीतासरण शर्मा के भतीजे खनन कारोबारी वैभव शर्मा का जिक्र है।

एसडीएम के अनुसार उन्हें खबर मिली कि प्रतिबंध के बावजूद रेत का अवैध धंधा चल रहा है, तो वे कार्रवाई के लिए खनिज अधिकारी एवं नायब तहसीलदार को बुलाए। लेकिन वे नहीं आए और इन्हें कलेक्टर ने बंगले पर बुला लिया। वे कोई कार्रवाई नहीं कर सके, इसके लिए उन्हें वहां से जाने नहीं दिया गया। इस मामले में कलेक्टर ने रेत के अवैध कारोबार के खिलाफ कार्रवाई से रोकने के आरोप को गलत बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने एसडीएम को ऑफिशियल काम से बुलाया था।

इस मामले पर भाजपा और कांग्रेस में राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर पहले रेत के अवैध उत्खनन करने वालों को संरक्षण देने के आरोप लगते थे, लेकिन अब वे भी इस पर बयान देने लगे हैं। उनका कहना है कि प्रदेश में प्रशासनिक अराजकता चरम पर है। उन्होंने कर्मिक विभाग को पत्र लिखने की बात भी की। भाजपा के प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर का कहना है कि प्रदेश में रेत का अवैध उत्खनन बेरोकटोक जारी है। जिन अधिकारियों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है, वे ही इसके फलने-फूलने का अवसर दे रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा था कि प्रदेश में यह धंधा पिछले 15-20 सालों से चल रहा है। प्रदेश में पुलिस अधिकारी एवं खनिज अधिकारी रेत, गिट्टी एवं पत्थर के अवैध उत्खनन में शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि वे 15 सालों तक इसके खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे, लेकिन वर्तमान सरकार में मंत्री होने के बावजूद वे अवैध उत्खनन रोकने में असफल महसूस कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 15 साल से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा की हार के कारणों में एक बड़ा कारण प्रदेश में बढ़ते अवैध उत्खनन और भ्रष्टाचार भी था। आम लोगों में यह संदेश गया था कि बेखौफ खनन माफियाओं को सत्ता का संरक्षण हासिल है, इसलिए न तो उन पर कार्रवाई होती है और न ही अवैध उत्खनन का सिलसिला रुक रहा है।

मध्यप्रदेश में चल रहे अवैध उत्खनन का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों आ गया था, जब मुरैना में खनन माफिया ने आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार को ट्रैक्टर से कुचल दिया था। 8 मार्च 2012 को होली के दिन घटित इस घटना के बाद मुख्यमंत्री से अपेक्षा थी कि वे इस मामले पर गंभीरता से एक्शन लेंगे और अवैध खनन के कारोबार पर अंकुश लगाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। स्थिति यह हो गई कि इस साल लोकसभा में किए गए एक सवाल के जवाब में खनन मंत्रालय ने माना कि अवैध उत्खनन के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है।

2015 में शाजापुर में माइनिंग इंस्पेक्टर जब अवैध उत्खनन रोकने गई, तो बदमाशों ने उनकी टीम पर लाठियों और पत्थरों से हमला किया। इसी साल कुछ माह पहले मुरैना में डिप्टी रेंजर को अवैध खनन में लगे ट्रैक्टर ने कुचल कर मार दिया। मुख्यमंत्री का गृह जिला सीहोर अवैध उत्खनन के मामले में लगातार सुर्खियों में रहता है। जिले के संयुक्त कलेक्टर और खनिज विभाग के प्रभारी गिरीश शर्मा ने जब अवैध उत्खनन के खिलाफ अभियान चलाया, तो उनका तबादला कर दिया गया। इसके बाद जिले में बेखौफ उत्खनन का खेल चलता रहा। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री कमल पटेल ने भी अवैध खनन को लेकर आवाज उठाई। यहां तक कि पवित्र नर्मदा नदी से अवैध रेत उत्खनन को लेकर साधु-संतों तक ने नाराजगी जताई।

प्रदेश में अवैध उत्खनन की जड़ में भ्रष्टाचार है। चहेते लोगों को खनन का पट्टे दिलवाना, तयशुदा क्षेत्र और तयशुदा मात्रा से कई गुना ज्यादा क्षेत्र में खनन को प्रोत्साहन देना और अवैध कारोबारियों को संरक्षण देना। बिना संरक्षण के खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद नहीं होते और न ही ईमानदार अधिकारियों के तबादले होते। अवैध खनन के सैकड़ों मामले आते हैं और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती रही है।

आज भी प्रतिबंध के बावजूद सीहोर के नसरूल्लागंज, शाहगंज और होशंगाबाद के कई इलाकों से सैकड़ों ट्रैक्टर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है और प्रशासन उन पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद सरकार ने रेत भंडारण पर रोक लगा रखी है। फिर भी होशंगाबाद में कुछ कारोबारियों को रेत परिवहन की अनुमति मिल गई। ये कारोबारी जब सीहोर जिले की सीमा में आते हैं, तो यहां के कलेक्टर के आदेश पर उन डंपर को जब्त कर लिया जा रहा है। ऐसे में दो जिला प्रमुखों के बीच भी विवाद दिखाई दे रहा है।

पिछले महीने मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में कहा था कि रेत के धंधे में राजनीतिक लोग आ गए हैं। ये न पार्टी के होते हैं और न ही जनता के। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात भी उन्होंने की थी। अवैध उत्खनन प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार बदलने के बाद इस पर अंकुश लगेगा और ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन जो स्थिति दिख रही है, उससे लोगों में निराशा आई है। अवैध उत्खनन पर सरकार द्वारा बड़ी कार्रवाई का अभी भी इंतजार है।

mining mafia
Madhya Pradesh
Congress
BJP
Illegal mining
Corruption
Madhya Pradesh government
Shivraj singh

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License