NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकार के लाख दावों के बावजूद देसी मवेशियों की संख्या में गिरावट 
देसी नस्ल के मवेशियों को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी योजनाओं के बावजूद देसी मवेशियों की संख्या में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है। 
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Aug 2019
animal crises
Image courtesy: DailyAddaa

केंद्र में पहली बार सत्तारूढ़ होने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने 28 जुलाई 2014 को राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की थी। इस मिशन के तहत सरकार देसी नस्ल के दुधारू पशुओं को बढ़ावा देकर दूध के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है। साथ ही इसके तहत स्वदेशी गायों के संरक्षण और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित किया जाता है। योजना के तहत सरकार ने 2000करोड़ रुपये का बजट रखा था। 

हालांकि योजना के पांच साल बाद भी जमीन पर परिणाम नहीं दिख रहे हैं। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देसी मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है।

पशुधन गणना 2019 की अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक देसी मवेशियों की संख्या देश में 13 करोड़ 98 लाख है।

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 2012 में पिछली पशुधन गणना की तुलना में देसी मवेशियों संख्या में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है।

1992 से शुरू हुआ यह सिलसिला अब भी जारी है। 1992 में देसी मवेशियों की संख्या 18 करोड़ 93 लाख थी, जो 2012 में घटकर 15करोड़ 11 लाख हो गई। नई गणना में अब यह 13 करोड़ 98 लाख है। 

आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 के बाद विदेशी और संकर पशुओं (क्रॉस ब्रीड) की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2012 में इनकी संख्या तीन करोड़ 97 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर पांच करोड़ 14 लाख हो गई।

1992 से 2019 के बीच विदेशी और संकर मवेशियों की संख्या में 238 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। जबकि देसी मवेशियों के संख्या इस दौरान 26 फीसदी घटी।

हालांकि यह आंकड़े अभी अंतरिम हैं। सूत्रों के मुताबिक फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो इस महीने के आखिर तक तैयार हो जाएगी।

नर मवेशियों की संख्या में गिरावट 

2019 की गणना के मुताबिक नर मवेशियों की संख्या में भी गिरावट आई है। 1992 में नर मवेशियों की संख्या 10 करोड़ 16 लाख थी,जो 2019 की गणना के मुताबिक घटकर 4 करोड़ 66 लाख ही रह गई है। वहीं दूसरी ओर मादा मवेशियों की संख्या 1992 में 10करोड़ 29 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर 14 करोड़ 46 लाख हो गई।

गणना के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में भैंसों के संख्या में भी बढ़ोत्तरी आई है। 2012 में भैसों की संख्या 10 करोड़ 87 लाख थी, जो2019 में बढ़कर 11 करोड़ एक लाख हो गई। 2019 गणना के मुताबिक देश में कुल पशुधन संख्या 53 करोड़ 32 लाख है।

कैसे हुई गणना

पशुधन गणना 2019, एक अक्टूबर 2018 से 17 जुलाई 2019 की बीच हुई। इस बार आंकड़े इकट्ठा करने के लिए कम्प्यूटर टैबलेट का इस्तेमाल किया गया। टैबलेट पर लिया गया डेटा सीधे केंद्र के सरवर पर अपलोड किया गया।

इस पूरी प्रक्रिया के लिए नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने एक एंड्रॉइड एप्लीकेशन विकसित की। करीबन 57 हजार गणनाकार या गणनाकर्मी और 11 हजार सुपरवाइजर को गणना के काम पर लगाया गया था।

इस दौरान 89,075 शहरी वार्ड और 6,66,028 गांवों के कुल 26 करोड़ से अधिक घरों और 44 लाख से अधिक गैर-घरों से आंकड़े लिए गए।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 

अगर हम आंकड़ों को ध्यान से देखें तो यह साफ है कि किसान और पशुपालक अधिक दूध देने वाले मवेशियों को महत्व दे रहे हैं। 

इसे लेकर पशुपालक महेश कुमार कहते हैं, 'खेती की लागत बढ़ने के कारण अब वैसे दिन नहीं रहे कि किसान देसी पशुओं के चारे का खर्च उठा पाएं। अब किसान पशुपालन सिर्फ खेती के घाटे को पूरा करने के लिए और कुछ पैसा कमाने के लिए कर रहे हैं। विदेशी और क्रास बीड पशु ज्यादा दूध देती हैं। 300 से 305 दिनों के एक चक्र में ऐसी गाएं 7 से 8 हजार लीटर दूध देती हैं वहीं देसी नस्ल की गाएं 2 हजार लीटर ही दूध देती हैं। इसलिए किसान देसी मवेशियों की तुलना में हाईब्रिट और विदेशी नस्लों को पाल रहे हैं।' 

कुछ ऐसी ही राय भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता धमेंद्र मलिक की भी हैं। वे कहते हैं, 'अगर हम देसी की बात कर रहे हैं तो यह मुख्यतया गायों को लेकर है। भैसों में अब भी हमारी ही नस्लें पाली जा रही हैं लेकिन गायों में किसान देसी से दूर जा रहे हैं। किसानों का फायदा देसी नस्ल की गायों से ज्यादा बैलों से होता था। देसी बैल खेती के लिए बेहतर होते थे लेकिन अब किसानी आधुनिक यंत्रों, ट्रैक्टर आदि से हो रही है तो इसलिए इनकी उपयोगिता खत्म हो गई। दूसरी बात सरकार ने प्रोत्साहन के लिए योजना तो बनाई लेकिन वास्तविकता में इसका लाभ किसानों को कितना मिला इसकी तो जांच की जानी चाहिए। सरकार को चाहिए कि गोमूत्र से लेकर देसी गायों के दूसरे उपयोग के बारे में किसानों को जागरूक और प्रशिक्षित करें जिससे कि वह देसी नस्ल के मवेशियों के पालन के लिए प्रेरित हों। अभी देसी नस्ल मतलब घाटे का सौदा है। ऐसे में किसान इससे दूर ही होता जाएगा।' 

BJP
Narendra modi
Decline in the number of domestic cattle
animals safety
Indian Farmer's Union

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License