NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकारी ख़र्च पर त्योहारों के दौर में पार्क में नमाज़ पर आपत्ति!
ऐसे न जाने कितने दृश्य या उदाहरण हैं ये बताने के लिए एक धर्म विशेष के कार्यक्रमों को सार्वजनिक तौर पर मनाने के लिए कोई बंदिश या रोक-टोक नहीं है, बल्कि ज़िला प्रशासन और राज्य सरकारें इनके लिए विशेष प्रबंध करती हैं।
मुकुल सरल
26 Dec 2018
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy: google

दृश्य 1 : सड़क के बीचो-बीच टेंट लगाया जा रहा है। पूछने पर पता लगा कि यहां देवी का जागरण होना है। और रास्ता? आने-जाने के रास्ते का क्या? उसके लिए आपको पहले कट से ही ‘कट लेना’ होगा।

दृश्य 2 : पार्क में मंच सजा दिया गया है। दरी और कालीन बिछा दी गईं हैं। यहां एक बाबा का प्रवचन होना है। (इस दौरान कृपया शांति बनाए रखें, बच्चों के झूले और खेल बंद कर दिए जाएं।)

दृश्य 3 : यूपी पुलिस के एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर रहे हैं (कांवड़ियों के उत्पात को कृपया नज़रअंदाज़ कर दिया जाए)।

इसी तरह कांवड यात्रा के लिए बड़े पैमाने पर रूट डायवर्जन होता है। सभी प्रमुख मार्गों पर महीने भर भारी यातायात बंद रहता है। कांवड़ियों के स्वागत-सत्कार के लिए हरिद्वार से लेकर देश के तमाम हिस्सों में सड़कों पर भंडारे होते हैं। जगह-जगह उनके आराम के लिए टेंट लगाए जाते हैं। इतना ही नहीं हर महीने न जाने कितने धार्मिक जुलूस, शोभायात्राएं सड़कों पर निकलती हैं। अब कुंभ के लिए महीनों पूरा शहर जाम रहेगा।

ऐसे न जाने कितने दृश्य या उदाहरण हो सकते हैं ये बताने के लिए एक धर्म विशेष के कार्यक्रमों को सार्वजनिक स्थान या सार्वजनिक तौर पर मनाने के लिए कोई बंदिश या रोक-टोक नहीं है, बल्कि इन्हें सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए ज़िला प्रशासन और राज्य सरकारें सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ अन्य कई तरह के विशेष प्रबंध करती हैं। इतना ही नहीं सार्वजनिक स्थलों पर नेता धड़ल्ले से अपनी सभाएं करते हैं। चुनाव में तो जीना दूभर हो जाता है।

हम आपसे ये बातें क्यों कर रहे हैं। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में आने वाले उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर नोएडा में पार्क में नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी गई है। इसको लेकर पुलिस ने कंपनियों को नोटिस भेजा है।

नोएडा सेक्टर 58 की पुलिस चौकी अधिकारी ने आदेश जारी किया है कि यहां के पार्क में शुक्रवार को पढ़ी जाने वाली नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकेगी।

आदेश पत्र में यूं तो किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक की बात कही गई है लेकिन नमाज़ का विशेष उल्लेख किया गया है। या यूं कहें कि पूरा आदेश ही नमाज़ के संबंध में हैं।

पूरा पत्र इस तरह है :

“ कंपनी प्रबंधक

अवगत कराना है कि सेक्टर 58 स्थित अथॉरिटी के पास में प्रशासन की तरफ से किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि जिसमें शुक्रवार को पढ़ी जाने वाली नमाज़ की अनुमति नहीं है। प्राय: देखने में आया है कि आपकी कंपनी के मुस्लिम कर्मचारी पार्क में एकत्रित होकर नमाज़ पढ़ने के लिए आते हैं। जिनको पार्क में सामूहिक रूप से मुझ एसएचओ द्वारा मना किया गया है एवं इनके द्वारा किए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थन पत्र पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई है।

अत: आपसे ये अपेक्षा की जाती है कि आप अपने स्तर से अपने समस्त मुस्लिम कर्मचारियों को अवगत कराएं कि वो नमाज़ पढ़ने के लिए पार्क में न जाएं। यदि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं तो ये समझा जाएगा कि आपने उनको अवगत नहीं कराया गया है। ये व्यक्तिगत कंपनी की ज़िम्मेदारी होगी।

पंकज राय

प्रभारी निरीक्षक

थाना सेक्टर-58, नोएडा

दिनांक : दिसंबर 2018”

Police letter.jpg

अब इस पत्र से क्या जाहिर हो रहा है? यही कि पार्क में नमाज़ से ही आपत्ति है।

आदेश पर विवाद होने के बाद नोएडा पुलिस का कहना है कि ये एक शिकायत पर लिया गया फैसला है, इससे किसी को कोई परेशानी नहीं है। पुलिस के मुताबिक, पार्क अथॉरिटी का है इसलिए किसी भी धर्म के लोगों को अगर उसका उपयोग करना है तो उसके लिए अथॉरिटी से इजाजत लेनी होगी। हालांकि इन्हीं पार्कों में अन्य धार्मिक गतिविधियों के अलावा आरएसएस की शाखा और ब्रह्मकुमारी की गतिविधियां भी बेरोक-टोक होती रहती हैं।

यहां आपको ये भी बता दें कि नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरकारी स्कूल के मैदान में सालों से नवरात्र और दशहरा उत्सव होता आ रहा है। इन दिनों में यहां स्कूल के मैदान के एक हिस्से में दुर्गा पंडाल लगता है और दूसरे हिस्से में रामलीला होती है। इस दौरान या तो स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है या पढ़ाई ठप रहती है। इसी मैदान में दशमी के दिन रावण का दहन भी होता है, जबकि उसकी बगल में ही नोएडा स्टेडियम में ज़िले भर की बड़ी रामलीला होती है।

हालांकि ऐसे मुद्दे बार-बार प्रतिक्रिया देने लायक नहीं है। वास्तव में ये गैरज़रूरी मुद्दे हैं। लेकिन इन्हें ही इस समय प्रमुख मुद्दे बनाया जा रहा है। जानबूझकर उठाया जा रहा है ताकि रोज़ी-रोटी के असली सवालों को दबाया जा सके। और जब सरकार या उसके इशारे पर इस तरह की कार्रवाइयां की जा रहीं हो तो न चाहते हुए भी इस पर बात करनी ज़रूरी हो जाती है।

कर्ज़ माफ़ी और अपनी उपज के वाजिब दाम को लेकर किसानों ने अभी बड़ा आंदोलन किया और दिल्ली में बड़ा मार्च निकाला। श्रमिक और अन्य कर्मचारी नए साल की शुरूआत में 8-9 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल कर रहे हैं। बैंककर्मी और अधिकारियों ने भी अपनी समस्याओं को लेकर आज हड़ताल की है।

यही वजह है कि राम मंदिर के साथ हिन्दू-मुसलमान से जुड़े ऐसे मुद्दे जानबूझकर उठाए जा रहे हैं। कभी शहरों के नाम बदले जा रहे हैं, कभी सड़कों के। कभी लव जिहाद एक बड़ा मुद्दा था, कभी घर वापसी, कभी जिन्ना, कभी कुछ और। अब गाय एक बड़ा मुद्दा तो है ही नमाज़ को लेकर भी बार-बार विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

इससे पहले हरियाणा के गुरुग्राम में भी खुले में नमाज़ पढ़ने पर इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने नमाज़ को लेकर काफी विवाद किया था और नमाज़ पढ़ते लोगों को रोक दिया गया था।

इसी तरह का विवाद बढ़ाने की कोशिश गायक सोनू निगम ने यह कहकर की थी कि अजान की आवाज़ से उनकी नींद खराब होती है। हालांकि कई पत्रकारों ने मौके पर जाकर बताया कि सबसे करीब मस्जिद से भी अजान की आवाज़ उनके घर तक नहीं आती।

हालांकि कोर्ट ने भी सभी मंदिर और मस्जिद पर शक्तिशाली लाउडस्पीकर लगाने पर रोक लगाते हुए कुछ शर्तों के साथ प्रशासन से पूर्व अनुमति लेने के आदेश दिए थे, लेकिन इस मामले में भी प्रशासन द्वारा पूरी तरह निष्पक्षता नहीं बरती गई।

केंद्र में मोदी सरकार और यूपी में योगी सरकार बनने के बाद ढूंढ-ढूंढकर ऐसे मुद्दे केंद्र में लाने की कोशिश की जा रही है जिससे कुछ हिन्दू-मुस्लिम विवाद हो।

तीन तलाक का मुद्दा भी इसी तरह पेश किया गया हालांकि मुस्लिम समाज ने इसपर संयमित प्रतिक्रिया ही दी। इससे पहले हज सब्सिडी को भी इसी तरह पेश किया गया जैसे मुस्लिम समाज को बहुत भारी छूट दी जाती है, जबकि इस सब्सिडी का बड़ा फायदा इंडियन एयरलाइंस को ही होता था। यहां यह भी याद रखना चाहिए कि हिन्दू और अन्य समाज के धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी केंद्र और राज्य सरकार अपनी ओर से काफी मदद करती है। अभी प्रयागराज (इलाहाबाद) में शुरू हो रहे अर्द्धकुंभ जिसे योगी जी ने कुंभ का नाम दिया है के लिए सरकारी खजाने से करोड़ों-अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 2018 की शुरुआत में ही पेश हुए यूपी के बजट में कुंभ के लिए 1500 करोड़ की राशि आवंटित कर दी गई थी। इसके अलावा खुद को बड़ा हिन्दूवादी साबित करने के लिए योगी सरकार अयोध्या और मुथरा में बड़े पैमाने पर होली-दिवाली उत्सवों का आयोजन कर रही है। 

तो एक तरफ़ जहां सरकारी खर्च पर होली-दिवाली उत्सवों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं एक प्रार्थना सभा यानी नमाज़ को

सार्वजनिक तौर पर धार्मिक गतिविधि के तौर पर दर्शा कर रोक लगाई जा रही है। और कई मीडिया संस्थान भी इसे मुसलमानों का शक्ति प्रदर्शन बताकर ऐसे मुद्दों का सांप्रदायिक करण करने में सरकार की मदद कर रहे हैं। ये उस यूपी का हाल है जहां इस समय कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बेटियों को ज़िंदा जलाया जा रहा है। पुलिस इंस्पेक्टर की सरेआम हत्या की जा रही है। वहां इन मुद्दों पर बात न होकर पार्क में नमाज़ पर विवाद खड़ा किया जा रहा है।

अभी रुकिए चुनाव से पहले के अगले चार महीने इस तरह के कई मुद्दे आपके-हमारे सामने आएंगे।  

NAMAZ
NOIDA NAMAZ ISSUE
NAMAZ BAN
UP
UP police
yogi government
Hindutva Agenda
Muslims
पार्क में नमाज़ पर रोक

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License