सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने नवम्बर 2016 में सिनेमाघरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य कर दिया था।
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अपने पहले के आदेश को बदलते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सिनेमाघरों में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने नवम्बर 2016 में दिए अपने ही आदेश में बदलाव करते हुए यह नया आदेश दिया।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने नवम्बर 2016 में सिनेमाघरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य कर दिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा भी शामिल थे।
न्यायालय ने मंगलवार को यह आदेश केंद्र सरकार की उस याचिका के बाद दिया जिसमें सरकार ने इसके लिए अंतर-मंत्रिमंडलीय समिति के गठन की बात कही है जो यह तय करेगी कि राष्ट्रगान कब बजाना चाहिए या कब इसे सम्मान के साथ गाया जाना चाहिए। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि पहले के आदेश की समीक्षा हो सकती है।
महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह सिनेमा हॉलों में राष्ट्रगान बजाए जाने के आदेश को संशोधित कर इसे 'करना होगा' के दायरे से निकालकर 'किया जा सकता है' में लाए।
न्यायालय ने 2016 में अपने आदेश में सिनेमा हॉल में उपस्थित सभी दर्शकों को सिनेमा दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजने पर खड़े होने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने श्याम नारायण चौकसे की याचिका को निपटाते हुए उन्हें इस मामले को अंतर-मंत्रिमंडलीय समिति के पास ले जाने की इजाजत दी।