NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कटाक्ष: झूठ की सीमा न कहो इसको!
आखिरकार, बनारस है तो यूपी में और यूपी में चुनाव आ रहा है और चुनाव में मोदी की पार्टी जिस घोड़े पर दांव लगा रही है, उसकी तारीफ़ अगर मोदी जी भी नहीं करेंगे तो क्या उनके विरोधी करेंगे।
राजेंद्र शर्मा
18 Jul 2021
cartoon

भाई ये विरोधी भी एकदम हद्द ही करते हैं। कह रहे हैं कि मोदी जी को बनारस में जाकर योगी जी की तारीफ नहीं करनी चाहिए थी। बनारस में जाकर ही तारीफ करनी थी, योगी जी की ही तारीफ करनी थी, तो तारीफ भी कर लेते, पर कम से कम कोविड की दूसरी लहर का मुकाबला करने में कामयाबी के लिए तारीफ नहीं करनी चाहिए थी। और अगर बनारस जाकर ही करनी थी, योगी जी तारीफ ही करनी थी, कोविड की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिए ही तारीफ करनी थी, तो हल्की-फुल्की तारीफ भी कर लेते।

आखिरकार, बनारस है तो यूपी में और यूपी में चुनाव आ रहा है और चुनाव में मोदी की पार्टी जिस घोड़े पर दांव लगा रही है, उसकी तारीफ अगर मोदी जी भी नहीं करेंगे तो क्या उनके विरोधी करेंगे। चुनाव के लिए अपने गधे को भी घोड़ा बताना ही पड़ता है। सो कर लेते थोड़ी तारीफ भी। ‘‘प्रशंसनीय’’ कह तो दिया था, देश में सबसे ज्यादा टीका लगवाने के लिए; उतने पर ही रुक जाते। पर मोदी जी को योगी जी के कोविड योग को ‘‘अभूतपूर्व’’ नहीं कहना चाहिए था। लेकिन क्यों? क्योंकि झूठ की भी एक सीमा होती है!

हम पूछते हैं कि योगी जी के कोविड योग को ‘‘अभूतपूर्व’’ कहने में झूठ की सीमा कहां से आ गयी? माना कि योगी जी के राम राज में कोरोना की दूसरी लहर में श्मशान-कब्रिस्तान सब छोटे पड़ गए और लाशें गंगा मैया में भी नहीं समायीं, तो मैया के तट ने रेत का आंचल ओढ़ा कर सुला लीं। माना कि जब लोग आक्सीजन के लिए तड़प-तड़पकर पर रहे थे, तो योगी के राम राज ने एलान कर दिया कि कमी किसी भी चीज ही नहीं है, न आक्सीजन की, न दवा की, न अस्पताल में बैड की। अब से जो कमी-कमी चिल्लाएगा, योगी जी के राम राज्य की बदनामी करने के लिए सीधे जेल जाएगा; कोरोना चाहे छोड़ भी दे, पर राम राज्य के डंडे से नहीं बच पाएगा।

माना कि जब लोग अस्पतालों में भर्ती के लिए मिन्नतें कर रहे थे, तब योगी राज ने हुकुम निकाला था कि जो सीएमओ की पर्ची लेकर आएगा, सिर्फ वही अस्पताल में दाखिला पाएगा। और जब आक्सीजन की मारा-मारी मची, तो एक और हुकुम निकला, सरकारी हुकुम के बिना कोई आक्सीजन नहीं दे पाएगा।

माना कि बिना अस्पताल, बिना दवा, बिना आक्सीजन के, राम राज्य में मरीज पीपल और बड़ के पेड़ के नीचे खटिया बिछा रहे थे और सीधे पेड़ों से आक्सीजन पा रहे थे। माना कि यह सब सही है। माना कि इसके अलावा भी और भी बहुत कुछ सही है। मसलन गिनती मैनेजमेंट, मरने वालों तो मरने वालों, बीमारी की चपेट में आने वालों से लेकर टैस्टों तक की गिनती का मैनेजमेंट। लेकिन इस सब के बाद भी योगी जी के कोरोना प्रबंधन को मोदी जी का ‘‘अभूतपूर्व’’ कहना झूठ कैसे हो जाएगा? और प्लेन झूठ भी कहां, भाई लोग तो इसे झूठ की सीमा लांघना साबित करने पर तुले हुए हैं। कमाल है!

कहीं इसे झूठ की सीमा इसलिए तो नहीं कहा जा रहा है कि योगी जी के कोविड प्रबंधन को, मोदी जी ने ‘‘अभूतपूर्व’’ कहा है। माना कि मोदी जी पीएम हैं और सिर्फ  गुजरात तथा बनारस के ही नहीं, पूरे इंडिया दैट इज भारत के पीएम हैं। कहते हैं कि पीएम के पद की अपनी भी कोई मर्यादा वगैरह होती है। लेकिन, इसमें झूठ की सीमा कहां से आ गयी। और ‘‘अभूतपूर्व’’ कहने भर से झूठ की सीमा कहां से आ गयी। पीएम के झूठ के लिए यह सीमा खींची किस ने है--पूछता है नया इंडिया! क्या झूठ की यह सीमा यूरोप वालों ने ही नहीं खींची है? उनके अखबारों-चैनलों ने, उनकी पत्रिकाओं ने, श्मशानों में जलती चिताओं, आक्सीजन के लिए तड़पते लोगों और मोदी-योगी पार्टी की चुनाव रैलियों और उनके परिवारियों के कुंभ की भीड़ों की, दानिश सिद्दीकी जैसों की तस्वीरों की कवर स्टोरियां छाप-छापकर? (मोदी जी क्यों जताएं शोक, ऐसे एंटीनेशनलों के जाने पर!) मोदी जी यूरोपियों की खींची झूठ की यह सीमा कैसे मान लें, जबकि उनकी सरकार को पहले दिन से पता है कि यह सब भारतविरोधी टूल किट का मामला है। इक्कीसवीं सदी, मानवता आदि-आदि की दुहाइयों की आड़ में ये एंटी-इंडिया ताकतें, उनके लिए झूठ की सीमा को छोटा से छोटा करने की साजिशें रचे जा रही हैं।

भारत में जब अंगरेजी राज था, तब तो भाई लोगों ने झूठ की सीमा इतनी आगे रखी थी कि उस तक कोई पहुंच ही नहीं पाता था। स्पेनिश फ्लू याद है या जलियां वाला बाग या बंगाल का अकाल? क्या हुआ था और क्या बताया था? तब कहां पर थी झूठ की सीमा! और अब मोदी जी बारी आयी तो योगी जी के राम राज्य की मामूली चूकों की तरफ से आंख मूंदकर उसे ‘‘अभूतपूर्व’’ कहते ही, रैफ्री बनकर सीटी बजाने लगे--झूठ की सीमा पार हो गयी, झूठ की सीमा पर हो गयी! मोदी जी क्यों स्वीकार कर लें झूठ की ऐसी तंग सीमा! झूठ की इतनी छोटी सीमा मानेंगे तो फिर चुनाव के लिए अपने घोड़ों की तारीफ कैसे करेंगे? और मोदी जी भी तारीफ नहीं करेंगे तो चुनाव में उनके घोड़े जीतेंगे कैसे? वास्तव में यही तो साजिश है। झूठ की सीमा में उलझकर, मोदी जी और उनके घोड़े पब्लिक को भरमा ही नहीं पाएं और या तो चुनाव हार जाएं या योगी ने जैसे जिला और ब्लाक पंचायतों में जीत मचायी है, वैसी जीत मचाने से ही काम चलाएं। मोदी जी झूठ-वूठ की सीमाओं के चक्कर में हर्गिज नहीं आएंगे और जहां तब बने झूठ से ही काम चलाएंगे। झूठ से भी काम नहीं चले तो फिर तो जीत मचाने का योगी दांव ही सही।

और प्लीज मोदी भक्तों को यह समझाने की सवा चतुराई कोई नहीं करे कि मोदी जी ने बनारस में झूठ की सीमा पार करना तो दूर, सिर्फ सच बोला है, सोलह आना सच। योगी राज का कोविड प्रबंधन ‘‘अभतपूर्व’’ ही तो था--शव वाहिनी गंगा की कसम। इसे भक्तों ने योगी राज की प्रशंसा मान लिया, तो इसमें मोदी जी का क्या कसूर!   

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।) 

sarcasm
UP ELections 2022
Yogi Adityanath
Narendra modi
BJP
Satire
Political satire

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License