NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुब्रम्यम स्वामी का राम मन्दिर
वीरेन्द्र जैन
14 Jan 2016
गत दिनों सुब्रम्यम स्वामी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में भाजपा के छात्र संगठन एबीव्हीपी के माध्यम से अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण पर एक सेमिनार का आयोजन किया।इस आयोजन के विरोध में आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन और काँग्रेस के छात्र संगठनएनएसयूआई ने  विरोध प्रदर्शन किया जो हिंसक टकराहट में बदलते बदलते रह गया। यह आयोजन इस रूप में सफल हुआ कि उक्त प्रदर्शन की खबरों से श्री स्वामी को वांछित प्रचार मिल गया। वे अशोक सिंघल के निधन के बाद से इस आन्दोलन में अपना दखल बढाने का अवसर तलाश रहे थे। यही कारण रहा कि उन्होंने पिछले दिनों इसी साल राम मन्दिर निर्माण की घोषणा करते हुए उसकी निर्माण प्रक्रिया के बारे में भी राज खोले।
 
इस बात को मीडिया ने जनता के सामने लाने में बहुत लापरवाही बरती है कि भाजपा ने बहुत चतुराई से राम जन्मभूमि मन्दिर अभियान को राम मन्दिर अभियान में बदल दिया था। अब वे सभाओं में बहुत भोले बन कर जनता से सवाल करते हैं कि बताओ अगर भारत के अयोध्या में राम मन्दिर नहीं बनेगा तो कहाँ बनेगा? उनके इस चतुर सवाल पर भोले धर्मान्ध जन उत्तेजित होकर राम मन्दिर निर्माण का संकल्प लेते हुए जयघोष करने लगते हैं। यह मुद्दा जहाँ से उठाया गया था वह बिन्दु यह था कि ध्वस्त कर दी गयी बाबरी मस्ज़िद वाली भूमि पर बाबर के आने से पहले कभी राम जन्मभूमि मन्दिर था। इस बारे में एक वर्ग का कहना था कि उस मन्दिर को तोड़ कर बाबरी मस्ज़िद बनायी गयी थी और दूसरे वर्ग का कहना था कि वहाँ कोई मन्दिर नहीं था, और अगर था भी तो वह ध्वस्त हो चुका था। 1949 में साम्प्रदायिक सोच वाले तत्कालिक जिलाधीश ने वहाँ मूर्तियां रखवा कर उस इमारत की भूमिका बदलने का प्रयास किया था। यही जिलाधीश बाद में जनसंघ के टिकिट पर सांसद बने थे तथा उनके बाद उनकी पत्नी सांसद बनीं।
 
जब 1984 में भाजपा लोकसभा में दो सदस्यों तक सिमिट गयी थी तब उसे इस मुद्दे की याद आयी थी और उसने इसे चुनाव में समर्थन जुटाने के लिए स्तेमाल किया। भले ही इसके पूर्व वे उत्तर प्रदेश की संविद सरकार में रहे थे व केन्द्र में जनता पार्टी सरकार के घटक भी रहे थे तब उन्हें इसकी याद नहीं आयी थी। बाद की कहानी तो सर्वज्ञात है कि किस तरह रथयात्रा की द्वारा पूरे देश मे हिंसक वातावरण बनाया गया, साम्प्रादायिक दंगे हुये, जिनमें मृतकों के अस्थिकलशों को देश भर में घुमा कर उत्तेजना निर्मित की गयी, बाबरी मस्ज़िद तोड़ी गयी, विरोध में मुम्बई के दंगे हुए जिनके दमन उपरांत व्यापक बम विस्फोट हुये, और भाजपा दो से दो सौ तक पहुँच गयी। इस के दस साल बाद जब भाजपा गुजरात में फिर कमजोर होने लगी और मुख्यमंत्री बदलना पड़ा तब फिर अयोध्या से लौटते कारसेवकों वाली ट्रैन में आगजनी के बाद दुष्प्रचार और व्यापक नरसंहार साथ साथ हुये और तेज ध्रुवीकरण से गुजरात में अपना स्थायी स्थान बना लिया। इसी का विस्तार आज देश में भाजपा सरकार के रूप में स्थापित है।
 
सुब्रम्यम स्वामी एक प्रतिभावान आत्मकेन्द्रित वकील हैं जो अपनी महात्वाकांक्षाओं को राजनीति की सीढी के सहारे पाना चाहते हैं। उनका इतिहास बताता है कि वे किसी व्यक्ति. दल, या विचारधारा में आस्था नहीं रखते और न ही कोई संगठन ही बनाते हैं। वे भारतीय लोकतंत्र, राजनेता और कानून की कमजोरियों को पकड़ कर अपना महत्व स्थापित करते हैं। उनके इतिहास में ध्वंश ही ध्वंश नजर आते हैं। वे किसी के पक्षधर नहीं हैं न ही उनका कोई मित्र है। वे दोस्त या दुश्मन किसी की भी त्रुटि को सामने लाकर उसके लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। हिन्दुत्ववादी राजनीति में स्थान बनाने वाले स्वामी की बेटी ने एक मुस्लिम युवक से विवाह किया है किंतु किसी ने भी इस विषय पर उनमें कभी असहिष्णुता नहीं देखी। वे ऐसे निर्भीक एक्टविस्ट हैं जो राजनीति और राजनीतिज्ञों के दोहरेपन पर हमले करते हैं, व दबायी छुपायी बातों को सामने लाते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी ने उन्हें भाजपा में लाकर एक बड़ा खतरा मोल ले लिया है क्योंकि वे बार बार ऐसे बयान देते हैं जिनके लिए भाजपा को सफाई देना पड़ती है कि वे उनके निजी विचार हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने साफ साफ कहा कि उन्हें वित्त मंत्री बनाने का वादा कर के पार्टी में लाया गया था। जब श्री कीर्ति आज़ाद को पार्टी ने नोटिस दिया तो उन्होंने आगे बढ कर उस नोटिस का उत्तर देने में मदद करने का प्रस्ताव दिया, अर्थात परोक्ष में उनका समर्थन किया। फ्रांस से राफेल विमान खरीदने के सौदे का सबसे पहला और मुखर विरोध उन्होंने उन तर्कों के साथ किया था जिससे ऐसा लगता था जैसे इस सौदे में कुछ गड़बड़ है।
 
राम मन्दिर के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय में सेमिनार का मतलब विषय को सुर्खियों में लाना ही था जिसे उसके विरोध ने ज्यादा ही सुर्खियां दिला दीं। वैसे तो पिछले अनेक वर्षों से इस सम्बन्ध में विश्व हिन्दू परिषद की बैठकें होती ही रहती होंगीं व पत्थरों को तराशा जाना तो पिछले बीस सालों से लगातार जारी ही है।
 
देश के किसी भी स्थान में धर्मस्थल निर्माण पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है और अयोध्या में तो दो हजार से ज्यादा मन्दिर हैं। अगर एक मन्दिर और भी बन जाये तो क्या अंतर आयेगा? अगर निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाये तो मन्दिर इसी साल बनने में कोई अड़चन नहीं है।
 
·         यह जनता का आन्दोलन नहीं अपितु भाजपा का चुनावी मुद्दा था जिसे वह अपनी योजना के अनुसार उभारता है
·         राम जन्मभूमि मन्दिर अभियान को राम मन्दिर निर्माण में बदल दिया गया है
·         कोर्ट में जो वाद चल रहा है वह मन्दिर निर्माण के बारे में नहीं, स्थान विशेष के बारे में है
·         अगर स्थान बदल लिया जाये तो भी कोई बड़ा विरोध नहीं होने वाला और मन्दिर बनाने का वादा निभ जायेगा
·         स्थान बदलने से सभी वर्गों का समर्थन मिल जायेगा
·         मन्दिर के लिए जो पत्थर तैयार किये गये हैं वे लाकिंग सिस्टम वाले हैं जिनसे कुछ ही दिन में राम मन्दिर बन सकता है
·         नये मन्दिर की भव्यता के आगे जन्मभूमि मन्दिर वाले कोर्ट के आदेश होने तक कुछ और प्रतीक्षा कर सकते हैं
·         मोदी के ग्लैमर से प्रभावित जयकारे से मन्दिर वाले चन्द लोगों की आवाज दब सकती है
 
कानूनाविद सुब्रम्यम स्वामी की ऐसी ही कोई योजना हो सकती है, इसलिए सेमिनारों के मुकाबले सेमिनारों से ही किये जाने चाहिए, या कोर्ट का सहारा लिया जाना चाहिए। 

 

भाजपा
राम मन्दिर
सुब्रम्यम स्वामी

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License