NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
 सुप्रीम कोर्ट 370 को रद्द करने की वैधानिकता पर करेगा विचार, मामला संविधान पीठ को सौंपा
पीठ ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि इसके ‘‘सीमा पार नतीजे ’’ होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपेंगे।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हमें पता है कि क्या करना है, हमने आदेश पारित कर दिया है। हम इसे बदलने नहीं जा रहे।’’
28 Aug 2019
kashmir

जम्मू-कश्मीर मसले पर सरकार और कोर्ट के स्तर पर हलचल काफी तेज़ हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द करके जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बुधवार को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया।

शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किये। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय पीठ केन्द्र की इस दलील से सहमत नहीं थी कि इस मामले में नोटिस जारी करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता न्यायालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। पीठ ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि इसके ‘‘सीमा पार नतीजे ’’ होंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपेंगे।’’ अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय ने जो कुछ भी कहा उसे पहले संयुक्त राष्ट्र भेजा गया था। इस मुद्दे पर दोनों ही पक्षों के वकीलों में बहस के बीच ही पीठ ने कहा, ‘‘हमें पता है कि क्या करना है, हमने आदेश पारित कर दिया है। हम इसे बदलने नहीं जा रहे।’’ पीठ ने यह भी कहा कि सारे मामला अक्टूबर के पहले सप्ताह में संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किये जायेंगे। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली पहली याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी।

इसके बाद जम्मू कश्मीर के एक अन्य वकील शाकिर शबीर भी इसमें शामिल हो गये। जम्मू कश्मीर के एक प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेन्स ने भी 10 अगस्त को राज्य की स्थिति में बदलाव को चुनौती देते हुये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। याचिका में दलील दी गयी कि राज्य के नागरिकों के अधिकार छीन लिये गये हैं। याचिका में कहा गया है कि संसद द्वारा पारित और बाद में राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेश ‘‘असंवैधानिक’’ है और इसे ‘‘शून्य और निष्क्रिय’’ घोषित करने का अनुरोध किया गया है।

यह याचिका नेशनल कांफ्रेन्स के लोक सभा सदस्य मोहम्म्द अकबर लोन और सेवानिवृत्त न्यायाधीश हसनैन मसूदी ने दायर की है। लोन जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष है। जबकि मसूदी जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। अन्य याचिकाओं में कुछ पूर्व रक्षा अधिकारियों और नौकरशाहों ने इस संबंध में सरकार के फैसले को चुनौती दी है। इन याचिकाओं में भी राष्ट्रपति के पांच अगस्त के आदेश को असंवैधानिक और शून्य घोषित करने का अनुरोध किया गया है। एक अन्य याचिका नौकरशाह से राजनीतिक बने शाह फैजल और उनकी पार्टी की सहयोगी तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व नेता शहला रशीद ने दायर की है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Kashmir crises
Jammu and Kashmir
Supreme Court
Modi Govt
Article 370
Article 370 Scrapped
Abrogation of Article 370

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License