NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी (पीओए) कानून में किया परिवर्तन लेकिन, केंद्र इस पर चुप क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों (अत्याचार निवारण) अधिनियम में अग्रिम जमानत की व्यवस्था की है जो अधिनियम की धारा 18 के खिलाफ है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Mar 2018
Translated by महेश कुमार
sc/st act.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों (अत्याचार निवारण) अधिनियम में अग्रिम जमानत की व्यवस्था की है जो अधिनियम की धारा 18 के खिलाफ है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति ए.के. गोयल और जस्टिस यु.यु. ललित की एक पीठ ने डॉ. सुभाष काशीनाथ महाजन  राज्य के एक मामलें में टिपण्णी करते हुए कहा गया है कि, "जब तक अग्रिम जमानत इस्तेमाल वास्तविक मामलों तक सीमित नहीं होगा और ऐसे मामलों में जहां पहले से कोई भी प्रथम द्रष्टयता सबूत मौजूद नहीं है अगर उन्हें जेल में डाला जाता है तो, वहां निर्दोष नागरिकों के लिए कोई सुरक्षा उपलब्ध नहीं होगी।"

सर्वोच्च न्यायालय ने अत्याचार अधिनियम के तहत दायर किए गए मामलों के संबंध में निर्देश दिए कि – अब एक सरकारी नौकर 'नियुक्ति प्राधिकारी' द्वारा स्वीकृत 'अनुमोदन' के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकता है जबकि 'गैर-सरकारी नौकर की गिरफ्तारी' के मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) द्वारा अनुमोदन की आवश्यक होगी। इसके अलावा, निर्णय में कहा गया कि 'निर्दोष' आरोपी के किसी भी गलत निहितार्थ से बचने के लिए, एक प्रारंभिक जांच संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीएसपी) द्वारा की जा सकती है।

कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि कानून को कमजोर करने में सरकार की भूमिका है। "अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी कर दिया था। हालांकि, अटॉर्नी जनरल अदालत में पेश नहीं हुए, और न ही सॉलिसिटर जनरल। केवल अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल औपचारिकता के तौर पर अदालत में गए थे, "सुरजेवाला को यह कहते हुए उद्धृत किया गया।

हालांकि अधिनियम 1989 में लागू हुआ था, लेकिन वास्तविक रूप से यह केवल मार्च 1 995 में देश में छह साल के बाद शुरू हुआ था। इस अधिनियम के बावजूद, सभी राज्यों में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध की घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध और अत्याचार 2015 में 38,670 से बढ़कर 2016 में 40,801 हो गयी, जबकि अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार 2015  में 6,276 से बढ़कर 2016 में 6,568 हो गयी है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराधों की भारी संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद, ज्यादातर मामले या तो पुलिस स्टेशनों या अदालतों में लंबित हैं।

अकेले 2016 में, एससी समुदाय के खिलाफ अपराध के 56,299 मामलों में जो जांच की जा रही थी (पिछले वर्षों से लंबित मामलों सहित) पुलिस ने केवल 31,042 मामलों में चार्जशीट दर्ज की थी। एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के मामले में, 9,096 मामलों में से, केवल 5,277 मामलों में चार्जशीट उस वर्ष दायर की गई थी। इस प्रकार, जबकि इस अधिनियम का उद्देश्य, एक त्वरित और प्रभावशाली जांच के सख्त कार्यान्वयन से बचा हुआ है और उसे ठीक से धरातल पर लागू नहीं किया जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में कानून में संसोधन वंचित तबकों को न्याय नहीं दिला पायेगा।

अनुसूचित जाति
अनुसूचित जनजाति
न्यायालय
भाजपा
दलित उत्पीड़न

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?

आज़मगढ़ : रिहाई मंच का रासुका के खिलाफ दौरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License