NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राफेल की खरीद प्रक्रिया का ब्योरा मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राफेल से जुड़ी प्रक्रियागत सूचना को सीलबंद कवर में पेश किया जाना चाहिए और यह सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 अक्टूबर तक अदालत में पहुंचनी चाहिए।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
10 Oct 2018
राफेल विमान।

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के संबंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश के.एम. जोसेफ की पीठ ने स्पष्ट किया कि मांगी गई जानकारी जेट विमानों की कीमत या उपयुक्तता से संबंधित नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राफेल से जुड़ी प्रक्रियागत सूचना को सीलबंद कवर में पेश किया जाना चाहिए और यह सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 अक्टूबर तक अदालत में पहुंचनी चाहिए।

इस निर्णय के मद्देनजर हम राफेल के बहाने ही यह जानने की कोशिश करते हैं कि रक्षा सामग्रियों के खरीद में निर्णय प्रक्रियाओं का क्या महत्व होता है।

साल 2007 में UPA सरकार के तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटिनी ने रक्षा विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करने के बाद 126  राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद को सरकारी मंजूरी दे दी।  भारत सरकार ने एयरक्राफ्ट खरीद के लिए टेंडर जारी किया। दावेदार क्रेता यानी कि कम्पनियों ने टेंडर भरा और नीलामी में शामिल हो गए।  कुछ कम्पनियों को नीलामी के पहले स्तर पर  ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।  बाहर निकाली गई कंपनियों में अमेरिका की एक कम्पनी को बाहर का रास्ता इसलिए दिखाया गया क्योंकि वह पाकिस्तान को एयरक्राफ्ट मुहैया करवा रही थी। छंटनी की ऐसी प्रक्रिया को बताना इसलिए जरूरी है ताकि समझा जा सके की देश के लिए रक्षा संसाधन की खरीददारी में प्रक्रियाओं की अहमियत क्या होती है?

साल 2012 में नीलामी की सारी प्रक्रियाओं के बाद सबसे किफायती दावेदार के रूप में फ्रांस की डासौल्ट कम्पनी उभरी। यानी कि भारत सरकार फ्रांस की dasault कम्पनी के साथ एअरक्राफ्ट खरीददारी के लिए करार करने के तरफ आगे बढ़ी।  इस करार के तहत dasault कम्पनी करीब 54,000 करोड़ रूपये में 18 राफेल यानी की मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को फाइनल कंडीशन में देने और 106 राफेल को बेंगलुरु में स्थित हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर बनाने के लिए राज़ी हुई।  चूँकि इसे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर बनाने का भी करार था इसलिए राफेल एयरक्राफ्ट से जुड़े टेक्नॉलजी ट्रान्सफर जैसे प्रावधान को भी करार में शामिल किया गया। 

राफेल से जुड़ा विवादों का सिलसिला यहाँ से शुरू होता है। अप्रैल 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी फ्रांस के दौरे पर गये। और dasault के साथ पुराने करार नामे को नज़रअंदाज़ करते हुए नया करार कर लिया। जिस करार की सबसे आधारभूत कमी यह कही जा रही है कि करार के लिए न ही रक्षामंत्री की सलाह ली गई, न ही टेंडर निकाला गया और न ही नीलामी हुई।  जबकि डिफेन्स प्रोक्यूरेमनट प्रोसीजर का पैराग्राफ 71 कहता है कि ऐसे स्ट्रेटेजिक करार कम्पीटेंट फिनांसियल अथॉरिटी के क्लीरेंस के बाद ही किये जा सकते हैं। इसके आगे पैराग्राफ 73 कहता है कि स्ट्रैटजिक सुरक्षा सौदों के खरीद का फैसला कैबिनेट कमिटी ऑफ़ सिक्योरिटी,डिफेंस प्रोक्यूर्मेंट बोर्ड के सलाह  के आधार पर करेगी। कहने का मतलब यह है कि ऐसा लगता है जैसे प्रधानमंत्री ने करार करने के लिए जरूरी हर तरह की प्रक्रिया को जानबूझकर अनदेखा कर दिया हो। इसके साथ यह भी होता है कि दसौल्ट कम्पनी के साथ नया करार होने के 2 हफ्ते बाद  भारत में राफेल का कलपुर्जे बनाने का काम यानी ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट अनिल अम्बानी की कम्पनी रिलायंस डिफेन्स के साथ कर लिया जाता है। जिस कम्पनी की असलियत यह होती है कि उसे डिफेन्स के लिए कलपुर्जे बनाने का जीरो अनुभव होता है। मोदी सरकार और डासौल्ट के साथ हुए नए करार में भ्रष्टाचार की बू इसी गठजोड़ से आती है। इसी की हकीकत जानने के लिए विपक्ष से लेकर नागरिक समाज तक भाजपा सरकार से राफेल से जुड़ा सवाल पूछ रही है।

(कुछ इनपुट आईएएनएस)

Rafael deal
Rafael Scam
Supreme Court
Narendra modi
Anil Ambani
Dassault

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License