NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सूखाग्रस्त माराठवाड़ा के किसान चारा शिविरों की मांग क्यों कर रहे हैं ?
मरती हरियाली और पानी की कमी से फसल पैदावार में मुश्किलें आ रही हैं। साथ में चारा की कीमतें भी बढ़ रही है, जिसकी वजह से किसान अपने पशुओं को बेचना चाहते हैं और उन्हे अपने पशुओं के लिए कम कीमत पर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं।
वर्षा तोरगाल्कर
01 Dec 2018
Translated by महेश कुमार
cow

पुणे: हरी घास की तलाश में, विजय शिंगन अपनी दो गायों और एक बैल के साथ अपने गांव पखारसंगवी से तीन किमी दूर लातूर के पास आया। पिछले कुछ हफ्तों से, वह हरी घास की तलाश कर रहा है ताकि उसके पशु चारा चर सकें। सूखे के कारण, मराठवाड़ा में सारी हरियाली सूख गई है, जिससे पशुओं को अपना पेट भरने के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है। शिंगन का कहना है कि वह चारा खरीदने में असहाय है क्योंकि हाल ही में चारा बहुत महंगा हो गया है।

इस साल, सूखे से परेशान रहे  मराठवाड़ा के  आठ जिलों में 768 मिमी औसत के मुकाबले कुल 534 मिमी बारिश हुई है। इस तरह से क्षेत्र में आमतौर पर 22 प्रतिशत कम वर्षा हुयी है।

31 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार ने 36 जिलों में से 26 जिलों को सूखे से प्रभावित घोषित किया था और मराठवाड़ा के सभी आठ जिलों को सूखे से प्रभावित सूची में शामिल किया था। इस तरह से कुल 151 तालुकों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, जिनमें से 47 मराठवाड़ा में हैं। कुल मिलाकर, इनमें से 47 तालुकों में से 44 'गंभीर रूप के सूखे से प्रभावित' हैं, जबकि बाकि तीन मध्यम श्रेणी के 'सूखे' में आते है।

हालांकि सभी तालुकों को 'गंभीर रूप से'सूखा प्रभावित घोषित नहीं किया गया है, जबकि स्थिति हर जगह काफी खराब है। क्षेत्र में 90 प्रतिशत बोरवेल कम भूजल स्तर के कारण काम नही कर रही हैं। बांधों में पानी 20 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है.  

पानी की कमी के कारण किसानों ने खरीफ सीजन में केवल 50 प्रतिशत पैदावार ही किया और रबी मौसम में फसल ही नहीं रोप पाए। आम तौर पर इस क्षेत्र के किसान पशुओं के चारे के लिए बाजरा और मक्का की फसल के अवशेष का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन उत्पादन गिरने के कारण पशुओं का चारा कम हो गया है और चारे के दर में कम आई है । इसके अलावा चारे की उपलब्धता  में भी कमी आई है। इसलिए किसानों ने सरकार से चारा शिविर शुरू करने की मांग की है।

सुमन बैइल का जीवन यापन दो बैल और चार भैंसों के सहारे होता है. सुमन बैइल कहती है, "मेरे पास दो एकड़  खेत है, मैं अपने खेत का ज्यादातर इस्तेमाल बाजरा उगाने के लिए करती हूं ताकि मेरे पशुओं को चारा मिल सके. लेकिन अब मेरे लिए अपने जानवरों के लिए हर दिन पानी और चारे का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है। मेरा घर अपने भैंसों के जरिये होने वाले दूध को बेचने से चलता है. इसलिए हर दिन महंगा होने वाला  चारा मुझे बहुत अधिक प्रभावित करता है. आम दिनों में  5 रुपये में  उपलब्ध होने वाले चारे के लिए अब  15-20 रुपये खर्च करना पड़ा रहा है। आख़िरकार हम इस महंगे चारे के साथ कैसे जीवित रह सकते हैं? "

आगे बैइल कहती हैं, "हालांकि दूध पैदा करने वाली एक भैंस की कीमत 30,000 रुपये से अधिक है, लेकिन अगर मैं बेचने का फैसला करती हूं, तो मुझे वर्तमान में 15,000 रुपये से अधिक नहीं मिलेगा। बाद में, यदि बारिश हो जाती है तो भैंसों की कीमत और बढ़ जाएगी और मुझे भैंस खरीदने के लिए 30,000-40,000 रुपये का भुगतान करना होगा। इसलिए मैं अपने पशु भी बेच  नहीं सकती। यदि राज्य 2013 की तरह फिर से चारा शिविर स्थापित करता है, तो यह हमारे लिए बहुत मददगार होगा। "

समस्या यह है कि बहुत से लोग जो चारे के इंतजाम के लिए अपने पशुओं को बेचना चाहते हैं, उन्हे कम दरों पर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं।

यही कारण है कि किसान चारा शिविरों की मांग कर रहे हैं लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक एक भी चारा शिविर स्थापित नहीं किया है, इसके बावजूद ऐसे शिविर स्थापित किये जाने चाहिए.

बीड जिले के अम्बेजोगाई तालुका के मामदपुर पटोडा गांव के एक किसान पांडुरंग नारले ने कहा, "मेरे पास दो गाय और दो बैल हैं। लेकिन अब हर दिन उनके लिए पानी लेना मुश्किल हो गया है, हालांकि मेरे पास चारा है जो एक और महीने तक चलेगा। वर्तमान में, मैं 100-150 रुपये में 500 लीटर पानी खरीदता हूं। लेकिन पानी लंबे समय तक उपलब्ध नहीं होगा। सरकार को चारा शिविर स्थापित करने की जरूरत है, क्योंकि जानवरों को बेचना हमारे लिए अच्छा विकल्प नहीं है। "

पशुपालन विभाग, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग के अनुसार, इस क्षेत्र में 36 लाख से अधिक बड़े मवेशी हैं, जैसे गाय, बैल और भैंस. 19 लाख बकरियां और भेड़ हैं और मुर्गे जैसे11 लाख से अधिक छोटे जानवर हैं। इस तरह इस क्षेत्र में 67 लाख से ज्यादा पशु हैं।

बड़े जानवरों को प्रति दिन 6 किलो चारे की जरूरत होती है, मध्यम दर्ज़े के पशुओं को 3 किलो चारे की जरूरत होती है और छोटे पशुओं को प्रति दिन 600 ग्राम चारे की जरूरत होती है। कुल मिलाकर, इस क्षेत्र में पशुओं को रोजाना 26,330 टन चारे की जरूरत होती है।

राज्य कृषि विभाग द्वारा दी गई बुवाई के आंकड़ों के आधार पर गणना के अनुसार, जून के बाद बारिश की वजह से  55.9 लाख टन चारे की उम्मीद थी । हालांकि, यह क्षेत्र केवल41.69 लाख टन चारा प्रदान कर सका । शेष चारे का इंतजाम अभी एक बड़ी चुनौती बनी हुयी है क्योंकि इस साल बहुत कम बारिश हुई है।

इसलिए, पशुपालन विभाग ने इस महीने दो योजनाएं शुरू की हैं।  मक्का के बीज पर 460 रुपये की सब्सिडी उन किसानों को देने का फैसला किया है जिन्होंने 10 गुंटा चारा पैदा करने के लिए कम पानी इस्तेमाल किया  है। दूसरी योजना बांधों के आस-पास चारा पैदा करने से जुडी है जिनकी भूमि गीली है।

हालांकि, किसानों को नहीं लगता कि ये योजनाएं उनके लिए किसी भी तरह से उपयोगी होंगी, क्योंकि पानी  का इंतजाम करना  भी एक कठिन समस्या है।

ऐसी  स्थिति में रास्ता क्या है?

 विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता एचएम देसार्ड ने कहा कि चारा शिविर लगाने के बजाय सरकार को किसानों को चारा  उनके दरवाजे पर प्रदान किया करना चाहिए. अगर चारा शिविर स्थापित किए जाते हैं, तो प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को अपने जानवर के चारे के लिए शिविर में रहना होगा इस प्रकार एक व्यक्ति को रोजाना खुद को शिविर में झोंकना होगा.

तीव्र जल संकट पर, देसार्ड ने कहा, "सरकार को तुरंत गन्ना, अन्य नकदी फसलों और उद्योगों को पानी की आपूर्ति बंद करनी चाहिए, और इसके बजाय लोगों और जानवरों के लिए पेयजल संरक्षित करना चाहिए। और खेतों में जो भी गन्ना है, उसे पैदा करने और मिल में बेचने के बजाय पशुओं को चारा के रूप में दिया जाना चाहिए।"

पशुपालन विभाग के अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में 600 से अधिक चारा शिविरों की आवश्यकता है। हालांकि, राजस्व विभाग के अधिकारियों ने यह खुलासा करने से इंकार कर दिया कि इन शिविरों की स्थापना कब और कहाँ की जाएगी और अभी तक सरकार इस संबंध में किसी भी संकल्प या अधिसूचना पर विचार नही कर पायी है।  नहीं सर. सरल संस्कृति से मेरा मतलब व्यवसायिक तौर पर केवल जीवन की बुनियादी जरूरतों के   होने से है. अगर एक ऐसा समाज है जिसमें जीवन की बुनियादी जरूरतों को अधिक महत्व दिया जाता है तब आसानी से किसानी भी ब्रांड की तरह हो जाएगी. यहाँ अफसरी ब्रांड की तरह काम करती है क्योंकि सबको अपने बुनियादी जरूरतों से अधिक चाहिए I

(वर्षा तोरगालकर पुणे में स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार है)

marathwada
Fodder
drought
Maharashtra
Animal Husbandary

Related Stories

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया

महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

महाराष्ट्र सरकार का एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर नया प्रस्ताव : असमंजस में ज़मीनी कार्यकर्ता

कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?

महाराष्ट्र सरकार पर ख़तरे के बादल? क्यों बाग़ी मूड में नज़र आ रहे हैं कांग्रेस के 25 विधायक

हम लड़ेंगे और जीतेंगे, हम झुकेंगे नहीं: नवाब मलिक ने ईडी द्वारा गिरफ़्तारी पर कहा


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License