NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सवाल, सवाल का नहीं मंशा का है
पूरा सवाल और उसके उत्तर सभी बेहद आपत्तिजनक हैं। विवाद इसी को लेकर है। और होना भी चाहिए। ये सवाल, सवाल पूछने वाली की मानसिकता बता रहा है और ये भी बता रहा है कि हम कैसा शैक्षिक माहौल तैयार कर रहे हैं।
मुकुल सरल
15 Oct 2018
DSSSB

सवाल, सवाल का नहीं मंशा का है, मानसिकता का है। दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) की परीक्षा में पूछा गया सवाल इसी को दर्शाता है।  

पहले भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के वजीराबाद स्थित एक स्कूल में हिन्दू-मुसलमान बच्चों को अलग-अलग बैठाने की घटना सामने आई और अब DSSSB के तहत नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए हुई परीक्षा में आपत्तिजनक जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल यही बता रहा है कि हमारे दिमाग़ों में कितनी संडांध भरी हुई है।  दिल्ली सरकार ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई है। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने उपराज्यपाल से इस मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की मांग की है।

पहले आपको बताएं कि पूरा मामला क्या है। दरअसल दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) की ओर से शनिवार को दिल्ली नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए परीक्षा कराई गई थी। इसमें हिंदी भाषा और बोध वाले प्रश्‍नपत्र में एक सवाल पूछा गया कि "पंडित : पंडिताइन तो चमार : क्या होगा?

DSSSB Q.jpg

इसके उत्तर में चार विकल्प थे। आप ऊपर तस्वीर में देख सकते हैं कि ये सवाल नंबर 61 है। और इन विकल्पों को भी पढ़ सकते हैं। ये बेहद आपत्तिजनक है। पूरा सवाल और उसके उत्तर सभी बेहद आपत्तिजनक हैं। विवाद इसी को लेकर है। और होना भी चाहिए। ये सवाल, सवाल पूछने वाली की मानसिकता बता रहा है और ये भी बता रहा है कि हम कैसा शैक्षिक माहौल तैयार कर रहे हैं। ये सवाल उन लोगों से पूछा जा रहा है कि जो प्राइमरी शिक्षक बनेंगे। अब जब वे ऐसे सवालों का उत्तर देंगे और नंबर पाएंगे तो उनकी जहनियत क्या बनेगी। ये सोचने वाली बात है। ये सवाल बता रहा है कि हम किस कदर जातिवादी और दुराग्रही हैं। इस पेपर में एक सवाल दुराग्रह को लेकर भी था। प्रश्न संख्या-70 में पूछा गया कि दुराग्रही शब्द का अर्थ क्या होता है। अगर इस शब्द का अर्थ खुद पेपर तैयार करने वाला जानता तो शायद ऐसी गलती न करता।

ये मामला सामने आने पर दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति/जनजाति मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कड़ी आपत्ति जताई। एनडी टीवी के मुताबिक गौतम ने अपने बयान में कहा कि “यह बेहद ही गंभीर है और किसी भी सूरत में इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रस्तुत संदर्भ में DSSSB के पास यह विकल्प था कि वह हिंदी की परीक्षा के प्रश्नपत्र में हिंदी साहित्य के वाल्मीकि, तुलसी, सूर, कबीर, रविदास दिनकर, मैथिलीशरण, निराला आदि की हिंदी से प्रश्न पूछता। पर जाति आधारित छिछले सवाल पूछकर DSSSB ने अपनी, भारतीय संविधान की, हिंदी की, और इस देश की संस्कृति की गरिमा को चोट पहुंचाई है।”

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि “सर्विस डिपार्टमेंट अभी भी उपराज्यपाल के अधीन है और इसी डिपार्टमेंट के DSSSB विभाग द्वारा ली जाने वाली प्राइमरी टीचर की प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न संख्या 61 पर पूछे जाने वाले सवाल का क्या मतलब है। सोमवार को मुख्‍य सचिव से मिलकर बात करूंगा कि इस पर संज्ञान लें और इसकी अंतरिम जांच हो कि आखिर ऐसा किसके इशारे पर हुआ, उन पर मुकदमा दर्ज किया जाए।”

इसी संबंध में किए गए अपने ट्वीट में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने लिखा, “ये कैसे समाज की नींव हम तैयार कर रहे है। जहां भावी शिक्षकों से इस जाति विशेष और समुदाय को लेकर सवाल पूछे जाएं।”

ये कैसे समाज की नींव हम तैयार कर रहे है। जहां भावी शिक्षकों से इस जाति विशेष और समुदाय को लेकर सवाल पूछे जाएं।#DSSSSB द्वारा कल के प्राइमरी शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में पूछा गया सवाल...

अपने आप में कई सवाल कहता है
.@LtGovDelhi साहेब कृपया संज्ञान ले।

.@ArvindKejriwal pic.twitter.com/OTNVhjTLHK

— Rajendra Pal Gautam (@AdvRajendraPal) October 14, 2018

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अपनी कड़ी आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया कि “बेहद शर्मिंदा करने वाली हरक़त है ये। इस पेपर बनाने वाले को किसने ये काम दिया?”

उन्होंने सवाल किया कि “@PMOIndia @LtGovDelhi  क्या इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बावजूद आप DSSSB पर कब्ज़ा बनाए हुए है? सिर्फ कब्ज़ा जमाएंगे या कुछ ज़िम्मेदारी भी लेंगे? सामाजिक भावनाओं व संविधान का खुला उल्लंघन हुआ है।”

बेहद शर्मिंदा करने वाली हरक़त है ये। इस पेपर बनाने वाले को किसने ये काम दिया? @PMOIndia @LtGovDelhi क्या इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बावजूद आप DSSSB पर कब्ज़ा बनाए हुए है? सिर्फ कब्ज़ा जमाएंगे या कुछ ज़िम्मेदारी भी लेंगे?
सामाजिक भावनाओं व संविधान का खुला उल्लंघन हुआ है। https://t.co/8dAMyLHM7L

— Manish Sisodia (@msisodia) October 15, 2018

आपको बता दें कि इस तरह जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना कानूनन अपराध है। इस समय तो दलित शब्द पर भी बहस चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ अनुसूचित जाति शब्द के इस्तेमाल की इजाजत दी है। और यहां जिस तरह सवाल पूछा गया है वो पूरी तरह पेपर सेट करने वालों की मंशा बता रहा है।

हालांकि DSSSB ने इस पूरे मामले पर खेद जताया है और कहा है कि मूल्यांकन के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड ने कहा, “दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के संज्ञान में आया है कि हाल में एमसीडी प्राइमरी टीचर के लिए जो परीक्षा हुई उसमें एक सवाल में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो अनजाने में हुई गलती है। इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि पेपर सेट करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और पेपर का कंटेंट बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है। पेपर के अंदर क्या था यह उम्मीदवारों के सामने ही पहली बार सामने आया। जिस प्रश्न से समाज के किसी वर्ग विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचती है उसके लिए हमें खेद है। पेपर की जांच के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं किया जाएगा। बोर्ड कदम उठा रहा है जिससे कि पेपर सेट करने वाले लोगों को इस विषय के बारे में जागरुक बनाया जा सके और भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएं न हो”

DSSSB की ये सफाई आधी-अधूरी लगती है। इसमें इस प्रश्न की मंशा और गंभीरता पर कोई गौर नहीं किया गया है। सवाल सिर्फ मूल्यांकन में इस सवाल को शामिल करने या इसका नंबर न जोड़े जाने का नहीं है, बल्कि सवाल ये है कि इस तरह की चूक कैसे हुई। ये खुलेतौर पर मनुवादी सोच का प्रदर्शन और संविधान का उल्लंघन है। जब इतने उच्च स्तरीय और गोपनीय तरीके से पेपर तैयार कराया जाता है तो पेपर तैयार करने वाले वो कौन से शिक्षक, संस्था या समूह है जो इस तरह की गलती करता है। और बिना किसी कार्रवाई के केवल उसे इसके लिए जागरुक करने की बात बेहद ही बचकानी और हास्यापद है।

DSSSB
DSSSB EXAM
MCD
Delhi
BJP
LG
RAJENDRA PAL GAUTAM
MANISH SISODIA
education

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License