NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
सीएए विरोधी प्रदर्शन: शाहीन बाग में घर के साथ-साथ आंदोलन की जिम्मेदारी उठा रहीं महिलाएं
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में 15 दिसंबर को जामिया नगर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाहीन बाग इलाके में विरोध प्रदर्शन चल रहा है।
भाषा
26 Dec 2019
shaheen bagh

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में महिलाओं के धरने का बृहस्पतिवार को बारहवां दिन है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में सैकड़ों महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं।

इन महिलाओं में 39 साल की तब्बसुम भी है जो नारे लगाने और भाषणों के बीच में तालियां बजाने से समय निकालकर अपनी एक साल की बच्ची की देखभाल भी कर रही है।
 
यह पूछने पर कि क्या घर में बच्ची की देखभाल करने वाला और कोई नहीं है , तबस्सुम कहती हैं, ‘अब तो यही (धरना स्थल) घर जैसा हो गया है। घर से खाना ले आती हूं और बच्चे यहीं खा लेते हैं। पिछले 10 दिन से काम कुछ बढ़ गया है लेकिन मुझे यहां आना अच्छा लगता है।’

इस कड़ाके की ठंड में विरोध प्रदर्शन को पिछले दस बारह दिन से अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बना चुकी तबस्सुम जैसी कई महिलाएं अपनी मांगों को लेकर यहां डटी हुई हैं। कईयों के साथ में दूध पीते बच्चे भी हैं और स्कूल जाने वाले भी। हर कोई अपने घर से कुछ न कुछ लेकर आया है। दरी, गद्दे, रजाई, कंबल, चादर, तकिए वगैरह वगैरह। बीच बीच में बड़ी संख्या में लोग चाय और खाने पीने का सामान भी ला रहे हैं। मंच से घोषणा भी हो रही है कि प्रदर्शन में बाहर से आए हुए लोग खाना खाकर जाएं।

स्थानीय निवासी और यूपीएससी (लोक सेवा आयोग) परीक्षा की तैयारी कर रही 21 वर्षीय सबा बताती हैं, ‘घर में पहले जो लोग काम में मदद नहीं करते थे, वह भी अब हाथ बंटाते हैं। हम यहां दूसरे लोगों के लिए भी चाय के अलावा खाने की चीजें बनाकर लाते हैं ताकि जिनके घरों से खाना न आए, उनको दे सकें।’

प्रदर्शन में इतनी बड़ी तादाद में महिलाओं की भागीदारी पर सबा कहती हैं कि जामिया मिल्लिया में इस इलाके के कई बच्चे पढ़ते हैं और जब पुलिस ने विश्वविद्यालय में घुसकर पिटाई की तो अभिभावकों में रोष होना स्वाभाविक था, खासतौर पर महिलाओं में। इसीलिए वह जोर शोर से यहां डटी हैं।

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में 15 दिसंबर को जामिया नगर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाहीन बाग इलाके में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। पिछले 10 दिनों से जारी इस ‘शाहीन बाग रिजिस्ट’ में रोज सैकड़ों महिलाएं परिवार और घरेलू कामकाज में सामंजस्य बैठाते हुए इसमें भागीदारी कर रही हैं।

जामिया के एक पूर्व छात्र वकार कहते हैं, ‘इस विरोध से कुछ बदलेगा या नहीं, यह अभी तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसने मुस्लिम महिलाओं को आंदोलित कर उनमें राजनीतिक चेतना भर दी है। इस आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है महिलाओं का इतनी बड़ी संख्या में घर से बाहर निकल कर आना।’

वह कहते हैं, ‘इस इलाके में शाम सात बजे के बाद लड़कियां और महिलाएं सड़क पर यदा कदा ही दिखती थीं लेकिन अभी देखिए, यहां सैकड़ों तादाद में महिलाएं हैं।’

मंच के ठीक सामने पहली कतार में बैठी सदफ (32 वर्ष) कहती हैं कि उन्होंने इससे पहले कभी किसी विरोध प्रदर्शन तो क्या किसी बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए बिल्कुल नए तरह का अनुभव है।"  

यह कहे जाने पर कि संशोधित नागरिकता कानून से देश के मुस्लिमों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि एनआरसी (राष्टीय नागरिकता पंजी) को लेकर सरकार में कोई चर्चा भी नहीं हुई है, तो तबस्सुम का जवाब था, ‘आजकल सबके पास सोशल मीडिया है और हम भी वीडियो देखते हैं। हमने कई भाजपा नेताओं को एनआरसी लागू करने की बात कहते हुए सुना है।’

वह हंसते हुए कहती हैं, ‘अब मैं भी थोड़ी बहुत राजनीति समझने लगी हूं।’

यहां विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक, आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र शरजील इमाम का दावा है कि इस प्रदर्शन में कोई राजनीतिक पार्टी शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टियों ने कोशिश भी की लेकिन उनको दूर रखा गया। इमाम का कहना था कि, उन्होंने ऐसा 'प्रोटेस्ट' हाल के इतिहास में नहीं देखा जहां एक इलाके के लोग सामुदायिक स्तर पर खाना तैयार करने से लेकर चंदा देने और दिन-रात एक जगह जुट कर आगे की योजना पर काम करते हों। 

CAA
Protest against CAA
Protest in Shaheen bagh
Women protest

Related Stories

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

अर्बन कंपनी की महिला कर्मचारी नई कार्यप्रणाली के ख़िलाफ़ कर रहीं प्रदर्शन

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां

छत्तीसगढ़: विधवा महिलाओं ने बघेल सरकार को अनुकंपा नियुक्ति पर घेरा, याद दिलाया चुनावी वादा!

किसान संसद: अब देश चलाना चाहती हैं महिला किसान

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन

समान नागरिकता की मांग पर देवांगना कलिता, नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया गया: पिंजरा तोड़

ग़ैर मुस्लिम शरणार्थियों को पांच राज्यों में नागरिकता


बाकी खबरें

  • राज वाल्मीकि
    दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!
    27 May 2022
    दलित परिप्रेक्ष्य से देखें तो इन आठ सालों में दलितों पर लगातार अत्याचार बढ़े हैं। दलित हत्याओं के मामले बढ़े हैं। दलित महिलाओं पर बलात्कार बढ़े हैं। जातिगत भेदभाव बढ़े हैं।
  • रवि शंकर दुबे
    उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान
    27 May 2022
    उत्तर प्रदेश की आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट समेत 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान होंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है
    27 May 2022
    आपातकाल के ज़माने में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने ग़लत तरीक़े से हिरासत में लिये जाने पर भी नागरिकों को राहत देने से इनकार कर दिया था। और अब शीर्ष अदालत के आदेश से पूजा स्थलों को लेकर विवादों की झड़ी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत
    27 May 2022
    महाराष्ट्र में 83 दिनों के बाद कोरोना के 500 से ज़्यादा 511 मामले दर्ज किए गए है | महराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है की प्रत्येक व्यक्ति को सावधान और सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना…
  • एम. के. भद्रकुमार
    90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात
    27 May 2022
    रूस की सर्वोच्च प्राथमिकता क्रीमिया के लिए एक कॉरिडोर स्थापित करना और उस क्षेत्र के विकास के लिए आर्थिक आधार तैयार करना था। वह लक्ष्य अब पूरा हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License