NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
भारत
रामेश्वरम द्वीप पर जल-मृदा प्रदूषण की वजह झींगा के फार्म
तमिलनाडु में भूजल, मिट्टी की उर्वरता और द्वीप का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से बढ़ रहे झींगें के फार्मों से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नीलाबंरन ए
24 Nov 2021
water body
रामेश्वरम के आसपास के गांवों में झींगा फार्म से पानी का रिसाव प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत बन गया है।

तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप के गांवों में झींगा पालन अभिशाप बन गया है। झींगा फार्म मिट्टी और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं, जिससे भूजल स्तर और गांवों में खेती प्रभावित होती है। बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं और पारिस्थितिक मुद्दों पर ग्रामीणों द्वारा नागरिक निकायों और जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जाने के बावजूद उनके बहरे कानों पर कोई असर नहीं पड़ा है। 

राज्य में 1990 के दशक में मत्स्य पालन विभाग द्वारा लोगों के रोजगार की संभावनाओं में सुधार, और उनकी खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए झींगा पालन की शुरुआत की गई थी। 

झींगा निर्यात उद्योग को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

तमिलनाडु सरकार के मत्स्य पालन और मछुआरा कल्याण विभाग की वेबसाइट के अनुसार, राज्य में 56,000 हेक्टेयर का खारा पानी है, जिसमें से 14,880 हेक्टेयर का पानी जलीय कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए आसानी से उपलब्ध है। 

रामनाथपुरम उन 12 समुद्री जिलों में से एक है, जहां झींगा जलीय कृषि विकसित की जा रही है। 900 हेक्टेयर खारे पानी क्षेत्र और 1,385 हेक्टेयर संभावित क्षेत्र आसानी से उपलब्ध है, साथ ही द्वीप की भौगोलिक स्थिति के साथ, जिला झींगा खेती के लिए अधिक उपयुक्त है। राज्य में टाइगर झींगा और सफेद झींगा का पालन-पोषण झींगा तालाबों में की जाती है।

इस प्रक्रिया में, द्वीप की उपजाऊ भूमि और समृद्ध भूजल तालिका बुरी तरह प्रभावित हुई है। रामेश्वरम के आसपास के गांवों में झींगा के खेतों से प्रदूषित पानी का खेतों और जल निकायों में निर्वहन एक नियमित मामला है। 

तमिलनाडु फिशरीज एंड फिश वर्कर्स फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष एम करुणामूर्ति ने न्यूज़क्लिक को बताया, “मंगडू गांव में 46 एकड़ का तालाब लगभग 13 गांवों और मंदिर के अंदर तीर्थम (पवित्र तालाब/कुएं) के लिए एक जल स्रोत है। तालाब के दूसरी तरफ एक खेत में प्रदूषित पानी छोड़ा जाता है।” 

मंगडु गांव में झींगा खेतों और अतिक्रमणों से निकलने वाले अपशिष्ट जल ने तालाब को प्रदूषित कर दिया है

मंगडु गांव की रहने वाली पंजाम्मा ने उन वर्षों को याद करती हैं, जब 25-30 फीट गहरे कुंओं में पीने का पानी भरपूर मात्रा में उपलब्ध था। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि “अब, हम 5 रुपये प्रति बर्तन पानी का भुगतान करते हैं। जब खेतों ने हमारे गांवों पर कब्जा करना शुरू कर दिया, तो चीजें बदल गईं।”

निवासियों का आरोप है कि नियमों का उल्लंघन कर झींगा उगाने वाले तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। करुणामूर्ति आगे बताते हैँ, “पानी के अवशोषण को रोकने के लिए गड्ढों की जमीन और दीवारों को प्लास्टिक की चादरों से ढंकना चाहिए। लेकिन फार्म मालिकों ने निरीक्षण अधिकारियों को बहलाने-फुसलाने के लिए केवल एक गड्ढे का निर्माण नियमानुसार कर दिया और बाकी को यों ही रहने दिया। अधिकारी यह वास्तविकता जानने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई से इनकार करते हैं।” 

ग्रामीणों का आरोप है कि बिना सरकारी अनुमति के तालाबों का निर्माण किसानों ने किया है। मत्स्य विभाग की वेबसाइट के अनुसार, 12 तटीय जिलों के 2,086 झींगा फार्मों में से केवल 852 को ही मंजूरी दी गई है। 

इलाके का भूजल स्तर भी कम हो गया है और पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है। “झींगे सेने के लिए फार्म को कठोर और शुद्ध पानी दोनों की आवश्यकता होती है। समुंदर से पानी लेने के बजाय, खेत के मालिक कठोर पानी पाने के लिए लगभग 300 फीट तक एक बोरवेल खोदते हैं। कुछ बोरवेल का उपयोग शुद्ध पानी पाने के लिए भी किया जाता है। मंगडू के ग्राम प्रधान मुनियांडी बताते हैं कि, “झींगा फार्म्स से पानी का रिसाव यहां के निवासियों के लिए एक दीर्घकालिक समस्या बन गया है।” 

मंदिर और नगर निगम प्रशासन पर भी कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। मंदिर के पार्किंग क्षेत्र की ओर जाने वाले तालाब के पार एक सड़क निर्माणाधीन है। 

करुणामूर्ति ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग और नगरपालिका प्रशासन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि “नगर पालिका तालाब के एक तरफ कचरा डंप कर रही है। दूसरे छोर पर एक पार्किंग क्षेत्र और एक सड़क का निर्माण किया है। तालाब के बीच से होकर पार्किंग क्षेत्र तक जाने वाली सड़क का निर्माण किया जा रहा है। यह उच्चतम आदेश का उल्लंघन है। इसीसे हमें ऐसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों में नौकरशाही और राजनीतिकों की मिलीभगत का संदेह होता है।” 

मंगडू के निवासी कौवसल्या का कहना है कि “हमने खुद को एवं पर्यावरण को बचाने के लिए इन फार्म मालिकों और प्रशासन द्वारा किए जा रहे नियमों के उल्लंघन के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है।” 

रामेश्वरम मंदिर के आसपास के 13 गांव कभी बारानी फसलों और अनाज की खेती के लिए जाने जाते थे। अरियानकुंडु गांव के पॉलराज जो कुछ दशक पहले यहां बाजरा और रागी की खेती करते थे, बताते हैं कि, “खेतों से पानी के रिसाव ने मिट्टी की उर्वरता को दुष्प्रभावित किया है, जिससे अब खेती संभव नहीं है।" 

रामेश्वरम के आसपास के गांवों में झींगा फार्म से पानी का रिसाव प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत बन गया है।

1964 में विनाशकारी रामेश्वरम चक्रवात के बाद खेती का क्षेत्र वैसे कम हो गया, लेकिन किसानों ने झींगा की खेती में उछाल आने तक फसलों की खेती जारी रखी। 

मछली पकड़ने वाले समुदाय के एक सदस्य अरुलराई ने कहा कि द्वीप के तटों के करीब बने ये झींगा फार्म समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी दुष्प्रभावित कर रहे हैं। इन झींगा फार्मों का पानी, जिसमें कई रसायन घुले होते हैं, उनको वापस समुद्र में छोड़ दिया जाता है। फार्म मालिक झींगा के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं।" 

वे आगे कहते हैं, “हमने चूने के ब्लॉक सहित बहुत सारे संसाधनों को गायब होते देखा है, जो कभी घरों की सफेदी के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। कई लोग अपनी आजीविका के लिए सीपियों और चीड़ के दानों को इकट्ठा करने पर निर्भर थे। लेकिन प्रदूषण के कारण अब ऐसी सभी चीजें गायब हो गई हैं।” 

करुणामूर्ति चेतावनी देते हुए बताते हैं कि अगर प्रदूषण इसी तरह कुछ और वर्षों तक जारी रहा, तो रामेश्वरम द्वीप निर्जन हो जाएगा।" 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/shrimp-farms-cause-water-soil-pollution-rameswaram-island

tamil nadu
Water Pollution
Issues of Fishing Community

Related Stories

जम्मू-कश्मीर में नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन करते खनन ठेकेदार

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत

तमिलनाडु: नागापट्टिनम में पेट्रोकेमिकल संयंत्र की मंजूरी का किसानों ने किया विरोध

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में 10-11 नवंबर को बहुत भारी बारिश की चेतावनी


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License