NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
कला
संगीत
समाज
साहित्य-संस्कृति
सोशल मीडिया
#metoo : यौन उत्पीड़न के आरोपियों को कब तक मिलता रहेगा समर्थन?
Metoo जब भारत में शुरू हुआ तब इसके समर्थन में और इसके विरोध में कई-कई लोग सामने आए। लेकिन आज, 2 साल बाद उन मामलों का क्या हुआ है, आरोपियों को सज़ा मिली या नहीं, अब वो क्या कर रहे हैं, शिकायत करने वाली महिलाओं का क्या हुआ; इन सब सवालों के जवाब ढूंढना बेहद मुश्किल है, और इनके जवाब बेहद नकारात्मक भी हैं।
सत्यम् तिवारी
06 Nov 2019
#metoo

अमेरिका से शुरू हुए metoo अभियान के तहत भारत की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से लेकर पत्रकारिता, राजनीति और न्यायपालिका तक के कई बड़े नाम वाले मर्दों पर यौन उत्पीड़न से लेकर बलात्कार तक के आरोप लगे। क़रीब दो सालों में दर्जनों ‘सेलिब्रिटी’ मर्दों पर तमाम महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, जो कि ज़्यादातर मामलों में साबित भी हुए, लेकिन उन मर्दों का क्या हुआ, ये बात किसी से छुपी नहीं है।

Metoo जब भारत में शुरू हुआ तब इसके समर्थन में और इसके विरोध में कई-कई लोग सामने आए। लेकिन आज, 2 साल बाद उन मामलों का क्या हुआ है, आरोपियों को सज़ा मिली या नहीं, अब वो क्या कर रहे हैं, शिकायत करने वाली महिलाओं का क्या हुआ; इन सब सवालों के जवाब ढूंढना बेहद मुश्किल है, और इनके जवाब बेहद नकारात्मक भी हैं।

इंडस्ट्री में इस सब के ख़िलाफ़ लगातार बोल रहे लोगों में एक नाम है गायिका सोना महापात्रा का। सोना महापात्रा ने 2017 में संगीतकार अनु मलिक के ख़िलाफ़ यौन शोषण का आरोप लगाया था, जिसके बाद अन्य लड़कियां भी सामने आईं और  अन्य आरोप लगाए। अनु मलिक का क्या हुआ? इंडियन आइडल ने एक साल के लिए बाहर निकाला, अन्य कोई कार्रवाई नहीं हुई और अब सुनते हैं, कि अनु मलिक को फिर से इंडियन आइडल में जज के तौर पर बुला लिया गया है। और ये क़िस्सा सिर्फ़ अनु मलिक का नहीं है, जितने भी मशहूर बड़े नाम वाले मर्दों पर metoo आंदोलन के तहत इल्ज़ाम लगे थे, वो सब इस समय अपने-अपने काम उसी तरह से कर रहे हैं, जैसे पहले करते थे। कोई उनके ख़िलाफ़ बोल नहीं रह है। वहीं दूसरी तरफ़ जिन महिलाओं ने ये आरोप लगाए थे, उनकी आए दिन सोशल मीडिया पर trolling होती है, और एक प्रोफ़ेशनल के तौर पर उन्हें काम मिलना भी लगभग बंद हो गया।
 
दुनिया भर से metoo आंदोलन के तहत सेलेब्रिटी वर्ग के लोगों पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री जिसमें पैसा और बिज़नेस एक बड़ा पहलू है, उसमें लोग किसी आरोपी को बायकॉट करने में हिचकिचाते हैं। लेकिन हमारे पास इसके विपरीत भी उदाहरण हैं। अमेरिका के कलाकार केविन स्पेसी पर जब तमाम लड़कों ने यौन उत्पीड़न के इल्ज़ाम लगाए तब नेट्फ़्लिक्स ने केविन को अपने शो "हाउस ऑफ़ कार्ड्स" से बाहर निकाल दिया। अभी केविन पर चल रहे ज़्यादातर मुक़दमे विभिन्न लाचार कारणों से ख़ारिज हो गए हैं, लेकिन नेट्फ़्लिक्स अपने फ़ैसले पर क़ायम है। भारत के metoo आंदोलन की शुरुआत में कई बड़े लोगों ने इस तरह के क़दम उठाए थे। मसलन आमिर ख़ान ने सुभाष कपूर पर इल्ज़ाम लगने के बाद उनकी फ़िल्म से अपना नाम वापस के ले लिया, लेकिन क़रीब एक साल बाद हाल ही में आमिर ख़ान का एक बयान आया कि उन्हें सुभाष कपूर के लिए बुरा लगा इसलिए वो फ़िल्म में शामिल हो रहे हैं। इसी तरह अनु मालिक का मामला है। इस सब को देखा जाए तो इस इंडस्ट्री के पैसे वाले पहलू पर नज़र रखना ज़रूरी हो जाता है। भारत के मामलों को देखा जाए तो आमिर ख़ान, इंडियन आइडल, सचिन तेंदुलकर और अन्य लोगों ने यौन उत्पीड़न के आरोपियों को ख़ारिज करने या उनके बारे में बात करने से परहेज़ इसलिए किया है क्योंकि इनके आपस में प्रोफेशनल संबंध हैं, और इसमें बड़े स्तर का बिज़नस शामिल है। भारत में किसी ने नेट्फ़्लिक्स जैसा कोई फ़ैसला नहीं लिया है, इसकी वजह यही हो सकती है कि वो उनके साथ काम करना जारी रखना चाहते हैं, ताकि उनका अपना हित भी सधा रह सके।
इसी सिलसिले में हाल ही में देखा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर बॉलीवुड की कई हस्तियाँ पहुंची थीं। इस प्रोग्राम के आयोजन की ज़िम्मेदारी राजकुमार हिरानी की थी, जिन पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। लेकिन किसी कलाकार ने इस बैठक को बायकॉट नहीं किया। इसकी वजह भी एक ही नज़र आती है: बिज़नेस।
 
वहीं दूसरी तरफ़, सोना ने जब अनु मलिक पर इल्ज़ाम लगाया, तो उन्हें सोशल मीडिया पर हद से ज़्यादा गालियाँ सुनने को मिलीं, लोगों ने उनसे सबूत मांगे, उन पर आरोप लगाए कि वो ये सब TRP के लिए कर रही हैं।
हाल ही का क़िस्सा ये है, कि भारत रत्न सचिन तेंदुलकर इंडियन आइडल में गए और उसके बाद वहाँ के गायकों की तारीफ़ करते हुए एक ट्वीट लिखा। सोना ने उस ट्वीट का जवाब लिखते हुए सचिन से सवाल किया कि क्या उन्हें इंडियन आइडल के जज अनु मलिक के ख़िलाफ़ लगे आरोपों के बारे में पता है? सोना को इस वजह से ख़ूब गालियां दी गईं, उनको अपशब्द कहे गए। सोना ने फिर एक पोस्ट लिखा है, और बताया कि सचिन Sony Network के ब्रांड अम्बेेसडर हैं, और उन्हें शो की तारीफ़ करनी ही है। सोना ने कड़े शब्दों में ये भी कहा कि सचिन को ऐसा करने के लिए पैसे मिलते हैं, और ट्रोल करने वालों को जवाब देते हुए कहा कि वो उनकी तरह अपना दिमाग़ बंद कर के नहीं रख सकतीं। ग़ौरतलब है कि सोना अनु मलिक, कैलाश खेर जैसे बड़े गायकों पर लगे इल्ज़ामों के बारे में लगातार बोलती रही हैं।
 
Metoo आंदोलन को दबाने, उसे ख़त्म करने की कोशिश और साज़िश सिर्फ़ उन लोगों ने नहीं की है जो इसके ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं, बल्कि उन लोगों ने भी की है जो चुप रह गए हैं। इसमें मर्द और महिलाएं दोनों शामिल हैं। आज ऐसा है कि सभी मर्द जिन पर आरोप लगे थे, वो और भी ज़्यादा शोहरत के साथ अपना काम कर रहे हैं। कैलाश खेर, अनु मालिक, अज़ीज़ अंसारी, रंजन गोगोई, आलोकनाथ और बाक़ी सब आज भी समाज में अपनी एक साफ़-सुथरी छवि लेकर जी रहे हैं।

अंत में सवाल आता है कि जो बोल सकते हैं, जिनके बोलने से असर पड़ता है, वो ख़ामोश क्यों हैं? अभी हाल ही में साहित्य आजतक प्रोग्राम हुआ। उसमें कैलाश खेर को भी बुलाया गया। उसी साहित्य आजतक में वो लोग भी गए जो metoo के ख़िलाफ़ अमूमन बोलते रहे हैं, लेकिन वो यहाँ जाने से सकुचाए नहीं। सवाल यही है कि एक वर्ग के लोग जो ख़ुद को प्रगतिशील कहते हैं, उन मंचों का बायकॉट क्यों नहीं करते जहाँ यौन उत्पीड़न के आरोपियों को बुलाया जाता है? क्यों कोई प्रकाशक उस इंसान की किताब बेचना बंद नहीं करता जिस पर यौन उत्पीड़न के इल्ज़ाम हैं? इसका जवाब शायद बिज़नेस हो सकता है, शोहरत हो सकता है, TRP हो सकती है।

metoo movement
sona mohaptra
anu malik
sexual harrasers in bollywood
entertainment industry
metoo india
people accused

Related Stories


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License