NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
उत्पीड़न
अंतरराष्ट्रीय
'स्टेंड विद म्यांमार': सैन्य हिंसा के खिलाफ़ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का अभियान
अहिंसक प्रदर्शनों के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों पर म्यांमार सेना द्वारा दमनचक्र चलाया जा रहा है, इस बीच कैरेन राज्य में एक बांध परियोजना के लिए स्थानीय लोगों को विस्थापित किया जा रहा है।
रेणुका काड
26 May 2021
myam

म्यांमार में फरवरी के महीने में म्यांमार सेना ने गैरकानूनी और अप्रत्याशित ढंग से देश पर सैन्य कार्रवाई कर दी। म्यांमार की तत्कालीन स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और दूसरे राजनीतिक नेताओं को अब तक हिरासत में रखा गया है। तख़्तापलट के बाद, सेना के खिलाफ़ म्यांमार में अहिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। सेना इन्हें लगातार दबाने की कोशिश कर रही है। अब तक 3000 से ज़्यादा सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार, महिला नेत्रियां और युवा कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी तरीके से जेल में रखा गया है।

म्यांमार पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान बढ़ता जा रहा है, इस बीच 5 जून से पर्यावरण दिवस के दिन कई संगठनों और मंचो द्वारा वैश्विक स्तर पर 'स्टेंड विद म्यांमार' नाम का अभियान चलाने का ऐलान किया गया है।

फरवरी में हुए तख़्तापलट के बाद म्यांमार की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिखाए जाने की बहुत जरूरत है। एक छात्र ने फ्री एशिया रेडियो को बताया, "छात्रों को गिरफ़्तार किया गया, जेल में डाला गया और विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्हें गोलियां मारी गईं। जो छात्र मारे गए और जिनका उत्पीड़न किया गया, उनके सम्मान में हमने फ़ैसला किया है कि जब तक यह प्रदर्शन ख़त्म नहीं हो जाते, हम स्कूल नहीं जाएंगे।" बता दें जिन 3,936 लोगों को हिरासत में रखा गया, जिन 788 लोगों की तख़्तापलट के दौरान हत्या हुई और जिन 1619 लोगों के खिलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट निकला है, उनमें बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक और युवा हैं।

सेना की कार्रवाई से बचने के लिए स्थानीय लोग जंगलों में शरण ले रहे हैं। वहां भी नागरिकों के खिलाफ़ सेना हमले कर रही है। 1 फरवरी को तख़्ता पलट के बाद से पुलिस और सेना, प्रदर्शनकारी नागरिकों पर मनचाहे तरीके से गोलियां चला रहे हैं। महिलाओं और बच्चों पर शारीरिक और यौन हमले किए गए हैं। सेना जबरदस्ती नागरिकों के घरों में घुस रही है, उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही है और घर में रखे कीमती सामान को लूट रही है। रिपोर्टों के मुताबिक़ सेना इन घरों के भीतर महिलों का यौन उत्पीड़न, बलात्कार कर रही है और उनकी बुरे तरीके से पिटाई करती है।

मई में सेना ने म्यांमार की टेलिकम्यूनिकेशन सेवाएं रोक दीं। इस उग्र माहौल में म्यांमार के नागरिक और उनका संघर्ष तीन तरफा है- पहला, सेना के गैरकानूनी हमले के खिलाफ़; दूसरा, खुद को कोरोना से बचाने और इस दौर में रोटी, कपड़ा और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के खिलाफ़ संघर्ष, ऊपर से उन्हें सेना की तानाशाही के तहत रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। तीसरा, कैरेन राज्य में स्थानीय आबादी का मौजूदा संघर्ष, जिनका पिछले कुछ सालों में देश के प्राकृतिक संसाधनों को विकास के नाम पर बर्बाद करने के खिलाफ़ संघर्ष जारी है।

कैरेन विवाद, म्यांमार के कैरेन राज्य में एक सशस्त्र विवाद है। इस विवाद को 'दुनिया के सबसे लंबे गृहयुद्धों' में से एक माना जाता है। कैरेन राष्ट्रवादी 1949 से ही कॉथूलेई नाम के स्वतंत्र राष्ट्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 72 साल लंबे इस संघर्ष में कई सारे सशस्त्र दल रहे हैं, इनमें सबसे प्रभावी कैरेन नेशनल यूनियन और उसकी कैरेन नेशनल लिबरेशन आर्मी रही है; फिर दूसरी तरफ म्यांमार की सशस्त्र सेना तातमाडॉ है। इस पूरे विवाद के दौरान लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।

कैरन (सालवीन) नदी, कैरेन राज्य के मुत्रा जिले के डे-पु-नोह में स्थित है। वहां सालवीन शांति पार्क भी स्थित है। यहां रहने वाले स्थानीय लोग यहां के मूलनिवासी हैं। बहुत बड़ी संख्या में जनजातियां इस नदी के किनारे रहती आई हैं। इनकी आजीविका कैरेन नदी के आसपास के जंगलों से मिलने वाले उत्पादों और दवाइयों पर निर्भर है। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस इलाके में बड़ा बांध बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। स्थानीय लोगों को जबरदस्ती इलाके से हटाया जा रहा है। लोगों को जबरदस्ती शरणार्थी कैंपों में भेजने की कोशिशें हो रही हैं। इस इलाके के लोग अपनी ही ज़मीन पर शरणार्थियों की तरह रहने को मजबूर हैं।

'कैरेन रिवर वॉच' इस इलाके में कई सालों से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम कर रहा है। कैरेन रिवर वॉच और कैरेन एनवॉयरनमेंट एंड सोशल एक्शन नेटवर्क की सह-संयोजक सॉ-था-फोए कहती हैं कि 27 मार्च को म्यांमार सेना ने सालवीन शांति पार्क में हवाई हमला किया, ताकि अपनी ताकत का प्रदर्शन किया जा सके। डे-बु-नोह गांव में उस दिन दोपहर साढ़े तीन बजे हेलिकॉप्टर और ड्रोन से गश्त लगाई गई। शाम साढ़े छ: बजे से आधी रात के बीच सेना के फाइटर जेट्स ने इलाके में 9 बम गिराए और विमानों से गोलीबारी की। इस हमले में तीन गांव वालों की मौत हो गई, वहीं 7 लोग गंभीर तौर पर घायल हो गए। दूसरी तरफ कई घर भी बमबारी में तबाह हो गए। लेकिन कहानी सिर्फ़ इतनी ही नहीं है। डे-बु-नोह गांव से 12 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित ता-का-तो-बा-बॉ गांव में एक और हवाई हमला किया गया था। उसी दिन दोपहर 3 बजे चार फाइटर जेट ने डे-बु-नोह गांव पर उड़ान भरी थी, वहां से वे सालवीन नदी की तरफ निकल गए, जो थाई-बर्मा सीमा पर बहती है। इन फाइटर जेट्स ने भी सालवीन नदी के किनारे पर स्थित कुछ गांवों में बमबारी की थी, जिनमें मा-नु-हट्टा और थे-का-का-हटा भी शामिल थे।

इन हमलों के चलते नागरिक अपनी जिंदगी बचाने के लिए जंगलों की तरफ भाग रहे हैं। माये-नु-हट्टा, यू-वे-च्लो और आई-तू-ह्टा गांव, शरणार्थी कैंपों और सालवीन नदी के किनारे रहने वाले लोग नदी पार कर थाईलैंड में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें भी उन्हें थाईलैंड के सैनिकों द्वारा रोका जा रहा है।

स्थानीय स्तर पर विस्थापित (IDP) लोगों या शरणार्थियों में से कितनों की जान गई, यह निश्चित बता पाना मुश्किल है। क्योंकि इलाके में टेलिफोन सर्विस और ऊर्जा आपूर्ति, हवाई हमलों के कारण बाधित हो गई है। एक स्थानीय समाचार और सामुदायिक संगठन के मुताबिक़, करीब़ 2,500 से 3000 लोगों ने थाईलैंड में शरण ली है। हवाई हमलों के कुछ महीने पहले से सेना लगातार कैरेन के गांवों पर गोलीबारी कर रही थी। जिसके चलते हज़ारों लोग इस क्षेत्र को छोड़ने पर मजबूर हुए। मौजूदा हमलों के बाद स्थिति और भी ख़राब हो गई, जिसके चलते कई जानें गईं और बड़ी संख्या में विस्थापन हुआ।

29 मार्च को कैरेन रिवर वॉच और कैरेन एनवॉयरनमेंट एंड सोशल एक्शन नेटवर्क ने वक्तव्य जारी करते हुए मानवाधिकार संगठनों, मित्र देशों, संयुक्त राष्ट्रसंघ और उसकी अलग-अलग संस्थाओं से म्यांमार की सेना के हमलों, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन की इन घटनाओं खिलाफ़ खड़े होने की अपील की।

सालवीन नदी बेसिन के स्थानीय लोगों ने अपने वक्तव्य में कहा, "बर्मी सेना ने विद्रोही के साथ देश का नियंत्रण हासिल किया है। ना सिर्फ़ देश को हथिया लिया गया है, बल्कि नागरिकों का भी नृशंस दमन किया जा रहा है। बर्मी सेना के सैनिकों कई पीढ़ियों से मानवाधिकारों का उल्लंघन करते आए हैं और कर रहे हैं।" इस वक्तव्य में म्यांमार की सेना और उनके हालातों की चिंता करने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समूहों के सामने चार मांगें रखी हैं।

उनकी पहली मांग बर्मी सेना से 'पुरखों की उनकी ज़मीन' से सैन्य अड्डे हटाने, हवाई हमले रोकने और मानवाधिकारों का उल्लंघन बंद करने की है। दूसरी मांग में विस्थापित ग्रामीणों के लिए तुरंत मदद की अपील है। तीसरी मांग के तहत, बर्मी सेना के तानाशाहों से देश का नियंत्रण, संघीय लोकतंत्र के लिए वापस लोगों के हाथ में देने का आह्वान किया गया है, ताकि संघीय लोकतंत्र के ज़रिए, "सभी जनजातीय समूहों के लिए समता और आत्मनिर्णय की निश्चित्ता हो सके।" वक्तव्य में म्यांमार की सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की अपील की और चौथी मांग में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा परीक्षण संस्था भेजने को कहा, ताकि म्यांमार में स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके। वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रस्ताव पारित कर बर्मा के खिलाफ़ हथियार आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने की अपील भी की गई।

कैरेन के स्थानीय लोगों के समूह ने एक वक्तव्य में कहा कि वे अपनी तकलीफ़ों को ख़त्म करने के लिए "स्टेंड विद म्यांमार" नाम के मानवाधिकार अभियान को समर्थन देंगे। दोनों समूह "एशिया पैसेफिक एनवॉयरनमेंट डिफेंडर नेटवर्क" के लिए इस अभियान को समर्थन देंगे।

(लेख के लेखक 'एशिया पैसेफिक नेटवर्क ऑफ़ एनवॉयरनमेंट डिफेंडर' के सदस्य हैं।)

इस लेख को मूल अंग्रेज में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

 

‘Stand with Myanmar’: International Solidarity Campaign to be Held against Military Violence

myanmaar
Myanmar armed forces
world environment day
world and myanmar

Related Stories


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License