NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अध्ययन के मुताबिक महामारी के दौरान बलात्कार के मामलों में बढ़ोत्तरी संभव
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘दक्षिणी एशिया में आधिकारिक आंकड़ों का अभाव है, जिसके जरिये यौन हिंसा की घटनाओं के वास्तविक आंकड़ों का ज्यादा सटीक तरस से अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है।’
दित्सा भट्टाचार्य
23 Apr 2021
अध्ययन के मुताबिक महामारी के दौरान बलात्कार के मामलों में बढ़ोत्तरी संभव
तस्वीर साभार: एपी 

बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एवं अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रेप पीड़िताओं और उनके परिवारों को न्याय के लिए निष्पक्ष पहुँच बना पाने के लिए जूझना पड़ रहा है।

‘दक्षिण एशिया में यौन हिंसा: पीड़िताओं के समक्ष न्याय के आड़े क़ानूनी एवं अन्य बाधाएं’’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को गैर-सरकारी संगठन इक्वालिटी नाउ एंड डिग्निटी अलायन्स इंटरनेशनल द्वारा सह-लेखन किया गया है। भारत उन छह दक्षिण एशियाई देशों में से एक है, जहाँ सरकार को यौन हिंसा, पीड़िताओं के लिए न्याय तक पहुँच में सुधार लाने, और अपराधियों को मिली खुली छूट को खत्म करने की तत्काल आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्तमान मह्मारी के दौर ने दुनिया भर में यौन अपराधों के संकट से संबंधित आंकड़ों में काफी इजाफा करने का काम किया है। इस अध्ययन को छह देशों – बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, भारत और श्रीलंका पर केंद्रित रखा गया है।

इसमें कहा गया है कि “महामारी के दौरान भारत में बलात्कार के मामलों की रिपोर्टिंग की संख्या में अभूतपूर्व कमी देखने को मिली है। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली राज्य में मार्च और अप्रैल 2020 के बीच में कुल 23 बलात्कार के मामले प्रकाश में आये थे, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान 139 मामले दर्ज किये गए थे। हालाँकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े वास्तविकता से जरा भी मेल नहीं खाते हैं, उल्टा मामलों की संख्या में वास्तव में पहले से वृद्धि हुई है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान अपराधियों के घर पर ही बने रहने के कारन महिलाएं रिपोर्ट दर्ज करने में असमर्थ रहीं।”

रिपोर्ट में यौन अपराध को लेकर कानूनों और नीतियों में मौजूद खामियों के बारे में विश्लेषण किया गया है, और दक्षिण एशिया में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा के मुद्दों को संबोधित करने को लेकर आपराधिक न्याय प्रणाली की भूमिका और प्रतिक्रिया का आकलन किया गया है।

इसमें कहा गया है कि “दक्षिण एशिया में आधिकारिक आंकड़ों का अभाव बना हुआ है, जिसके जरिये यौन हिंसा की घटनाओं के वास्तविक आंकड़ों को ज्यादा सटीक तरीके से पकड़ा जा सकता है। हालाँकि गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टों से पता चलता है कि यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को न्याय तक अपनी पहुँच बनाने के लिए असंख्य मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं पुलिस के द्वारा उनके मामलों को दर्ज करने, मुकदमा चलाने या सफलतापूर्वक निर्णयात्मक न्याय दिलाने में मदद नहीं पहुंचाई गई है।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वर्ष 2020, जिसे हमेशा के लिए कोविड-19 महामारी के साथ अपने जुड़ाव के कारण दागदार माना जायेगा, “महिलाओं ने अनेक वजहों से कहीं अधिक अक्षमता का अनुभव किया है। उदहारण के लिए पुलिस थानों तक पहुँच बना पाने में कमी (विशेषकर लॉकडाउन के दौरान), पुलिस अधिकारियों के रवैय्ये (उनमें से कुछ ने पीड़िताओं की रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया), अदालतों के कामकाज में कमी, जिसके चलते मुकदमे की कार्यवाही में देरी, मामलों में समझौता कर लेने का दबाव और आमतौर पर यौन हिंसा के मामलों में पीड़ितों के लिए न्याय तक पहुँच में अवरोध जैसे मुद्दे शामिल हैं।”

हालाँकि छह देशों के बीच में भारत ही एकमात्र देश है जहाँ पर बलात्कार की परिभाषा में जबरन परिस्थितयों वाले व्यापक फलक को ध्यान में रखा जाता है। भारतीय कानून पीड़िता की ओर से सहमति की अनुपस्थिति वाली परिस्थितियों के व्यापक फलक को मानकर चलता है, जैसे कि एक अधिकार संपन्न हैसियत वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार को अंजाम देना, हिरासत में बलात्कार, रिश्तेदार, अभिभावक, शिक्षक, भरोसेमंद व्यक्ति द्वारा बलात्कार, या महिला के उपर नियंत्रण या प्रभुत्व की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा इसे अंजाम दिया गया हो। “हालाँकि” रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि “यह सिर्फ एक अनुमान है और यदि यौन संबंध बनाने के लिए असंदिग्ध, स्वैच्छिक सहमति को साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं, तो बचाव पक्ष द्वारा इसे ख़ारिज किया जा सकता है।”

अध्ययन में शामिल छह देशों के कानूनों में 18 वर्ष से अधिक की उम्र के पति/पत्नी के वैवाहिक बलात्कार को स्पष्ट रूप से अनुमति देते हैं। सिर्फ नेपाल और भूटान ही इसका अपवाद हैं, जहाँ सभी परिस्थितियों में वैवाहिक बलात्कार को स्पष्ट रूप से आपराधिक कृत्य माना जाता है। हालाँकि इन दोनों देशों में भी वैवाहिक बलात्कार के मामलों को छोटा-मोटा दुष्कर्म माना जाता है, जिसमें बलात्कार की तुलना में बेहद कम सजा दी जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है: “सभी दक्षिण एशियाई देश वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक मामला बनाने के लिए कानूनों में संशोधन करने से हिचक रहे हैं। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि वैवाहिक बलात्कार पर रोकथाम, विवाह संस्था को ही अस्थिर या बर्बाद कर सकता है। सरकारों की ओर से प्रतिक्रिया की कमी के बावजूद समूचे दक्षिण एशिया में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा कई दशकों से पुरातनपंथी आपराधिक कानूनों में संशोधन की लड़ाई जारी है, जो वैवाहिक बलात्कार की इजाजत देते आये हैं।”

रिपोर्ट के अनुसार भारत, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के पीड़ितों और हितधारकों ने पुलिस, चिकित्साधिकारियों और सरकारी वकीलों जैसे अधिकारियों की अतिसंवेदनशीलता की ओर इशारा किया है - जो न्यायिक प्रणाली के हिस्से के तौर पर काम करते हैं, जो रिश्वत और भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। ऐसे में पीड़ितों के सामने बलात्कार के मामले में न्याय तक पहुँच बना पाने की कठिन चुनौती बनी हुई है। भारत, नेपाल और बांग्लादेश में जिन पीड़िताओं से बातचीत की गई थी, उनमें से 60% ने बताया था कि उनके मामलों में उन्हें मामले को रफादफा कर लेने या समझौता करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ा था।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि भारत सहित अन्य देशों में सजा की दर में कमी के चलते अपराधियों को खुली छूट मिल जाती है।

रिपोर्ट में इस बात की ओर इंगित किया गया है कि सरकारों को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि बलात्कार की परिभाषा में सभी प्रकार के योनि में प्रवेश को शामिल किये जाने की जरूरत है, जिसमें मुहं, गुदा और योनि में किसी भी अंग या वस्तु को प्रवेश कराना शामिल है। इसमें कहा गया है कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन हिंसा की परिभाषाएं पीड़ित के स्वैच्छिक, वास्तविक और अपनी मर्जी से सहमति के बिना और बलपूर्वक परिस्थितियों के व्यापक फलक में सभी प्रकार के यौन कृत्यों को अपने अंदर समाहित करे। इसमें कहा गया है कि प्रतिष्ठानों को वैवाहिक बलात्कार को स्पष्ट तौर पर आपराधिक श्रेणी में रखना चाहिए, जिसमें बच्चों का वैवाहिक बलात्कार भी शामिल है। इसके जरिये मौजूदा यौन हिंसा की रोकथाम के लिए बने कानूनों में अंतराल को भरने के साथ-साथ हाशिये पर पड़े समुदायों/समूहों की बढ़ती दयनीयता को मान्यता देने, और बाकी चीजों के अलावा, सामाजिक तौर पर बहिष्कृत समुदायों के पीड़ितों की सुरक्षा के लिए व्यापक स्तर पर विशेष कानूनों को लागू करने की आवश्यकता है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Study Says Number of Rape Cases May Have Increased During the Pandemic

sexual violence
COVID-19
rape
Marital Rape
Sexual Crime Data
India
Sri Lanka
Bangladesh
Nepal

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License