NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
तेलंगाना : बीजेपी के पूर्व जिला सचिव ने दो दलित युवकों को बेरहमी से पीटा
आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं कि जबसे बीजेपी सत्ता में आयी है दलित विरोधी हिंसा में बढ़ोतरी हुई है .
ऋतांश आज़ाद
13 Nov 2017
dalit atrocities

तेलंगाना में दलित शोषण का एक और मामला सामने आया है . बीजेपी के एक पूर्व जिला सचिव ने तेलंगाना में , दो दलित युवकों से एक गंदे पानी के तालाब में ज़बरदस्ती डुबकी लगवाई, क्योंकि वो बिना पूछे उनकी रेत खदान में दाखिल हो गए थे . इसके साथ ही उन्हें लाठियों से बुरी तरह पीटा गया .

ये घटना दरअसल 21 सितम्बर को तेलंगाना के नविपट गाँव में हुई थी पर रविवार को इसका विडियो वायरल होने के बाद इस पर विवाद शुरू हुआ . इस विडियो के वायरल होने के बाद कुछ  दलित संगठनों ने इसका संज्ञान लिया और सड़कों पर उतर आये . उन्होंने इस घटना के मुख्य आरोपी और बीजेपी के पूर्व ज़िला सचिव भारत रेड्डी की गिरफ़्तारी की माँग की , पर पुलिस का कहना था कि इस मामले में पीड़ित पक्ष ने FIR दर्ज़ करने से मना कर दिया था . उनका आगे कहना था कि दलित संगठनों के FIR करने के बाद उन्होंने केस दर्ज़ कर दिया है और वो इस मामले में जाँच कर रहे हैं.

दोनों दलित युवा , के.लक्ष्मण और राजेश अपने गाँव के पास वाली रेत खदान में ये पता करने गए थे कि खदान मालिकों के पास वैध लाइसेंस है या नहीं . पर वहां काम कर रहे मजदूरों को लगा कि वह चोरी करने आये हैं और इसकी शिकायत उन्होंने खदान मालिक भारत रेड्डी से की . रेड्डी ने घटना स्थल पर आते ही उन युवकों का लाठी से पीटना शुरू कर दिया और पीटने के बाद उन्होंने एक  तालाब में डुबकी लगाने को कहा गया जो शौच के लिए इस्तेमाल किया जाता है . इसके साथ उन्हें माफ़ी मांगने को भी कहा गया और लगातार रेड्डी उन्हें भद्दी गलियाँ भी देते रहे . इस पूरी घटना के दौरान ये दोनों दलित युवा हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते रहे पर उनकी एक ना सुनी गयी . गौरतलब है कि भरत रेड्डी पहले से ही क़त्ल के मामलों में आरोपी हैं , और इसके अलावा उनपर कुछ और मामलों में भी मुकदमें चल रहे हैं .

ये पहली बार नहीं है कि जब बीजेपी और संघ से जुड़े लोग दलित विरोधी घटनाओं में शामिल रहे हों . संघ प्रमुख मोहन भागवत समय समय पर जातिगत आरक्षण के खिलाफ बोलते रहे हैं . उनके मुख से हाल के समय में ये कई बार निकला है कि “ आरक्षण के बारे में दोबारा विचार करना चाहिए “ . संघ प्रमुख 2012 में एक तस्वीर में देखे गए थे जिसमें वो एक आदिवासी  महिला से पाँव धुलवा रहे थे . जब विवाद बढ़ा तो ये कहा गया कि ये तो आदिवासी रिवाज़ है .इस तरह का बर्ताव लाज़मी है क्योंकि आरएसएस की विचारधारा का जातिवाद एक अभिन्न हिस्सा है . अगर हम उनके सबसे प्रमुख विचारक “ गुरूजी “ गोलवर के विचारों की ओर नज़र दौडाएं तो ये बात साफ़ हो जाती है . गोलवरकर ने मनुस्मृति को कानून की सबसे बड़ी किताब माना और उसमें स्थापित जाति व्यवस्था को सही ठहराया है. आरएसएस के लोगों की ये मान्यता उनके खुद के संगठन में साफ़ दिखाई देती हैं ,जहाँ सिर्फ एक राजेंद्र सिंह को छोड़कर उनके सभी सरसंघचालक ब्राहमण ही रहे हैं. पर राजेंद्र सिंह भी उच्च जाति से ही थे . आरएसएस ने मंडल कमीशन का भी विरोध किया था और उसी को चुनौती देने के लिए उन्होंने राम मंदिर आन्दोलन की यानी कमंडल की राजनीति शुरू की थी .

2014 में बीजेपी के सरकार में आने के बाद रोहित वेमुला , ऊना की घटना , सहारनपुर की घटना और इन पर सरकार की प्रतिक्रिया उनकी ब्राहमणवादी मानसिकता दर्शाती है . आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं कि जबसे बीजेपी सत्ता में आयी है दलित विरोधी हिंसा में बढ़ोतरी हुई है . चुनाव का एलान होते ही दलितों विरोधी हिंसा बढ़ने लगी ,सरकारी आकड़ों के मुताबिक जहाँ 2012 में दलित अत्याचार के 33655 मामले आये थे , वहीँ 2013 में 39,408 , 2014 में 47064 और 2015 में 45003 मामले सामने आये हैं . ऊना आन्दोलन के नेता जिग्नेश मेवनी का इस मानसिकता पर कहना है कि दलित बीजेपी के लिए तब तक ही हिन्दू होते हैं जब तक चुनाव नहीं होते , उनके बाद वो फिर से दलित हो जाते हैं.

Telangana
BJP
Dalit atrocities

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • मुकुल सरल
    मदर्स डे: प्यार का इज़हार भी ज़रूरी है
    08 May 2022
    कभी-कभी प्यार और सद्भावना को जताना भी चाहिए। अच्छा लगता है। जैसे मां-बाप हमें जीने की दुआ हर दिन हर पल देते हैं, लेकिन हमारे जन्मदिन पर अतिरिक्त प्यार और दुआएं मिलती हैं। तो यह प्रदर्शन भी बुरा नहीं।
  • Aap
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक
    08 May 2022
    हर हफ़्ते की ज़रूरी ख़बरों को लेकर एक बार फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं
    08 May 2022
    हम ग़रीबी, बेरोज़गारी को लेकर भी सहनशील हैं। महंगाई को लेकर सहनशील हो गए हैं...लेकिन दलित-बहुजन को लेकर....अज़ान को लेकर...न भई न...
  • बोअवेंटुरा डे सौसा सैंटोस
    यूक्रेन-रूस युद्ध के ख़ात्मे के लिए, क्यों आह्वान नहीं करता यूरोप?
    08 May 2022
    रूस जो कि यूरोप का हिस्सा है, यूरोप के लिए तब तक खतरा नहीं बन सकता है जब तक कि यूरोप खुद को विशाल अमेरिकी सैन्य अड्डे के तौर पर तब्दील न कर ले। इसलिए, नाटो का विस्तार असल में यूरोप के सामने एक…
  • जितेन्द्र कुमार
    सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी
    08 May 2022
    सामाजिक न्याय चाहने वाली ताक़तों की समस्या यह भी है कि वे अपना सारा काम उन्हीं यथास्थितिवादियों के सहारे करना चाहती हैं जो उन्हें नेस्तनाबूद कर देना चाहते हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License