NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
तकनीक के सहारे बनने वाली दुनिया में हम अपना सबकुछ लुटाते जा रहे हैं
कल फेसबुक ने अपने करोड़ों यूजर्स की सुरक्षा में सेंध लगने की बात स्वीकार की है. फेसबुक ने कहा कि कुछ अनजाने लोगों ने फेसबुक के पांच करोड़ यूजर्स के अकाउंट हैक कर लिए थे.
अजय कुमार
29 Sep 2018
fb
image courtesy: dailydot.com

तकनीक ने हमारे जिन्दगी आसान कर दी है.लेकिन इस आसान  जिन्दगी ने ऐसी दुनिया भी बना दी है, जहां हमारा अपना सबकुछ खुलेआम लुटता दिख रहा है. हम सब अब इंसानों से संचालित होकर मशीनों और तकनीकों से नियंत्रित होने के लिए बाधित होते जा रहे हैं. सरकारें भी मानव संसाधन में निवेश करने की बजाए आधार जैसी तकनीकों में निवेश कर भ्रष्टाचार कम करने की बात कर रही है और न्यायालय भी इसे कल्याणकारी कार्रवाई मानकर मुहर लगा रहा है. ऐसे  समय में तकनीक में सेंधामारी कर डेटा चोरी की खबरें हमें भीतर से डरा देती हैं. हमें डर लगने लगता हैं कि अपने जीवन के जिन पहलुओं को हम किसी को बताना नहीं चाह रहे हैं, जब वह सार्वजनिक होंगी तब क्या होगा .

कल फेसबुक ने अपने करोड़ों यूजर्स की सुरक्षा में सेंध लगने की बात स्वीकार की है. फेसबुक  ने कहा कि कुछ अनजाने लोगों ने फेसबुक के पांच करोड़ यूजर्स के अकाउंट हैक कर लिए थे. बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि अभी तक यह पता नहीं लगा है कि यह हैकिंग कहां हुई थी लेकिन हैकिंग की रिपोर्ट आयरलैंड के फेसबुक रेगुलेटरों द्वारा बताई गयी थी जो यूरोप के फेसबुक यूजर्स पर निगरानी रखते हैं. फेसबुक ने बताया कि हमलावरों ने फेसबुक के फीचर ‘व्यू एज’ पर सेंधमारी की थी. फेसबुक के इस फीचर द्वारा किसी को यह पता चलता है कि उसकी प्रोफाइल दूसरा फेसबुक यूजेर्स किस तरह देखता है. हमलावरों ने इस फीचर के लिए यूजर्स के लॉग इन रहने के लिए कंपनी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली डिजिटल कुंजी (की) चुरा कर उन अकाउंट्स पर नियंत्रण करने की क्षमता हासिल कर ली थी. बाद में फेसबुक ने प्रभावित पांच करोड़ यूजर्स को लॉग आउट कर दिया और साथ ही चार करोड़ दूसरे ऐसे यूजर्स को भी लॉग आउट कर दिया जिनके अकाउंट हैक होने की आशंका थी. फेसबुक के मुताबिक इन यूजर्स को अपना पासवर्ड बदलने की जरुरत नहीं है. यह जानकारी बाहर आते ही फेसबुक के शेयर बाजार में तकरीबन तीन फीसदी की गिरावट आ गयी.

ऐसी खबरें और हर हफ्ते आधार के जरिए हुए डाटा लिक की खबरें, कैंब्रिज एनालिटिका से जुड़े लोगों की प्रोफाइलिंग की खबरें हमारे दौर को ऐसे भंवर में फेंकती हैं, जहाँ यह लगता है कि हमारा सारा निजी सार्वजनिक हो जाएगा और हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे. अभी हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने आधार से जुड़ी व्यक्ति के प्रोफाइलिंग की बहस को नकार कर आधार को संवैधानिक करार दे दिया. यह फैसला लोक कल्याणकारी राज्य के लिहाज से जितना सही लगता है उतना ही लोक कल्याणकारी राज्य दवरा मानव संसाधन में निवेश करने के लिहाज से गलत  लगता है. ऐसा लगता है कि इस दौर में दुनिया में तकनीक के सहारे ही ऐसा लोक कल्याणकारी काम संभव है जिसमें कम से कम भ्रष्टाचार हो.  हो सकता है कि सरकार के लिहाज से ऐसा जुगाडू काम सही लगे लेकिन सार्वभौमिक दायरे के लिहाज से काम अकरने वाला न्याय जब तकनीक से नियंत्रित हो रही दुनिया के समय में व्यक्ति की निजता को अलग रखकर फैसला सुनाता है, तब डेटा सेंधमारी की खबरें और डरावनी लगने लगती है. उदहारण के तौर पर जब आधार का कार्डधारक किसी ऐसे हॉस्पिटल में आधार को पहचान पत्र की तरह इस्तेमाल करेगा जहां एड्स का इलाज होता है और वह उस हॉस्पिटल में कई बार आता जाता हो तो प्रोफाइलिंग करने वाले क्या उसे एड्स से पीड़ित व्यक्ति करार नहीं दे देंगे. जब ऐसी सूचनाओं के आधार पर व्यक्ति की प्रोफाइलिंग की जा रही हो तो आज की दुनिया का बाजार जो लाभ के सिवाय कुछ और नहीं देखता, क्या इस प्रोफाइलिंग का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं करेगा.वह स्थिति कितनी दुखद होगी जब किसी को उसकी योग्यता की वजह से नहीं बल्कि प्रोफाइलिंग में मिली जानकरी की वजह से नौकरी देने से मना कर दिया जाएगा. जिस रफ़्तार से तकनीक बढ़ रही है, ऐसे में ऐसा होना असम्भव नहीं लगता कि हमारे द्वारा सोशल मीडिया पर परोसी जा रही सूचनाओं का संश्लेषण कर, उसे हमारे खिलाफ इस्तेमाल न किया जाए. नौकरी  देने से पहले हमारे सोशल मीडिया के पेज की जाँच न की जाए. हमारी अभिव्यक्ति को आधार बनाकर हमें नकारने-स्वीकारने और हमारे बारें में राय बनाने  की प्रथा तकनीक के इस युग की देन बन चुकी है. इसे जांचने का प्रमाण हासिल करना हो तो किसी को भारत सरकार के सिविल सेवकों के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच कर लेनी चाहिए. सोशल मीडिया पर मौजूद उनकी अभिव्यक्तियाँ यह बता देंगी कि सूचनाओं के सार्वजनिक होने का डर क्या होता है, सरकारें उन लोगों की प्रोफाइलिंग जरुर करती हैं ,जो उन्हें प्रभावित करने का कुव्वत रखते हैं. यहाँ गौर  करने वाली बात यह है कि इस सूचनाओं का सबसे अधिक फायदा वह संस्थाएं उठाती हैं, जिनके पास हमारी जिन्दगी को तहस नहस कर देने की ताकत होती है .  

अधिकारों से जुड़े यह सारे पहलू  साफ तौर से दिखने के  के बाद तकनीक को पूरी तरह से नाकारा भी नहीं जा सकता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले के बाद सरकार डेटा संरक्षण बिल भी संसद में ला रही है. ताकि नियम कानून बनाकर व्यक्ति की निजी सूचनाओं का संरक्षण किया जाए. ऐसा होने के बाद भी तकनीक से जुड़ी आज की दुनिया में निजी सूचनाओं को बचा पाना असम्भव लगता है. ऐसा लगता है कि जैसे एक तरफ तकनीक हमारी दुनिया को आसान बना रही है, वहीं दूसरी तरफ तकनीक के सहारे बनने वाले दुनिया में हम अपना सबकुछ लुटाते जा रहे हैं.

Facebook
data breach
FB
privacy

Related Stories

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त

विज्ञापन में फ़ायदा पहुंचाने का एल्गोरिदम : फ़ेसबुक ने विपक्षियों की तुलना में "बीजेपी से लिए कम पैसे"  

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

कानून का उल्लंघन कर फेसबुक ने चुनावी प्रचार में भाजपा की मदद की?

डेटा संरक्षण विधेयक की ख़ामियां और जेपीसी रिपोर्ट की भ्रांतियां

डेटा निजता विधेयक: हमारे डेटा के बाजारीकरण और निजता के अधिकार को कमज़ोर करने का खेल

फ़ेसबुक/मेटा के भीतर गहरी सड़न: क्या कुछ किया जा सकता है?

हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं पर फेसबुक कार्रवाई क्यों नहीं करता?

एक व्हिसलब्लोअर की जुबानी: फेसबुक का एल्गोरिद्म कैसे नफ़रती और ज़हरीली सामग्री को बढ़ावा देता है


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License