NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
तमिलनाडु क्यों कावेरी प्रबंधन बोर्ड चाहता है
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन में देरी से केवल किसानों की बदहाली बढ़ेगी, खासकर कावेरी बेल्ट के जिलों में |
पृथ्वीराज रूपावत
26 Mar 2018
Translated by मुकुंद झा
कावेरी प्रबंधन बोर्ड

तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी जल साझाकरण विवाद कई दशकों से खींच जा रहा है। यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इस साल फरवरी में अपना निर्णय दिया था, विवाद अभी भी केंद्र सरकार कि ओर से ये मामला स्थिर बना हुआ है,  ज़बकी सरकार अदालत के आदेश को लागू करने के लिए बाध्य है, जिसमें अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम , 1956 की धारा 6 ए के तहत एक "योजना" बनाने का आदेश दिया है |  परन्तु  इस दिशा में सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया हैं |

तमिलनाडु के किसान राज्य भर में विरोध कर रहे हैं, कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) की तत्काल स्थापना के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं, साथ ही राज्य के सांसदों ने बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान इस मुद्दे को भी उठाया है ।  इस बीच, कर्नाटक सरकार ने सीएमबी के विरोध के अपने  रुख पर कायम है और इसके साथ हाल ही में केंद्र को एक और योजना का प्रस्ताव भेजा है।
यह बताया गया है कि तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा जिलों के सैकड़ों किसानों ने दिल्ली में उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने में केंद्र सरकार के देरी के विरोध में दिल्ली में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू करने का आह्वान किया हैं |

तमिलनाडु की तरफ से एक मुख्य दलील है कि कर्नाटक, जो जलाशयों से जल जारी करने का अधिकार रखता हैं, ने कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल के अंतिम फैसलें का वर्षों तक पालन नहीं किया। इसलिए, सीएमबी की एक अलग नियामक निकाय की स्थापना हुई, ताकि जलाशयों को खोलने की जिम्मेदारी कर्नाटक सरकार की बजाय सीएमबी द्वारा लागू की जा सके |

सर्वोच्चतम न्यायालय का फैसला

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 16 फरवरी, 2018 को कावेरी जल विवाद पर अपना फैसला सुनाया। तदनुसार, अदालत ने कावेरी पानी के राज्यवार बंटवारा इस प्रकार किया - तमिलनाडु -404.25 टीएमसीएफटी, कर्नाटक -284.75 टीएमसीएफटी, केरल- 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी - 7 टीएमसीएफटी। 2007 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (सीडब्ल्यूडीटी) द्वारा अंतिम फैसले से तुलना करे तो  तमिलनाडु के लिए जल आवंटन का हिस्सा 14.75 टीएमसीएफटी प्रति वर्ष कम हुआ हैं। यह आदेश अगले 15 सालों तक लागू करने के लिए कहा गया है। अदालत ने केंद्र सरकार को इस फैसले को लागू करने के लिए एक योजना बनाने का निर्देश दिया है ।

कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित योजना

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए सीएमबी जैसे एक स्वतंत्र नियामक संस्था के गठन का विरोध करते हुए, कर्नाटक सरकार ने "विवाद समाधान" तंत्र के रूप में एक अन्य योजना को अवधारणा के साथ केंद्र का प्रस्ताव भेजा है। तदनुसार, इस योजना में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता वाली एक छह सदस्यीय कावेरी निर्णय क्रियान्वयन समिति (CDIC) शामिल है और इसके तहत ही 11 सदस्यीय निगरानी एजेंसी केंद्रीय जल संसाधन सचिव की अध्यक्षता में गठित हो | अर्थात्, कर्नाटक पानी के छोड़े जाने के अपने प्राधिकार को छोड़ना नहीं चाहती है , इसलिए सीएमबी के खिलाफ।

कावेरी डेल्टा मे तनाव

सिंचाई के पानी की उपलब्धता में अनिश्चितता के कारण, डेल्टा क्षेत्र के किसान दावा करते हैं कि वे प्रति वर्ष केवल एक फसल सत्र का ही उपयोग कर पते है | इसके अलावा, कावेरी डेल्टा  में अक्सर तूफान, चक्रवात, बाढ़ और सूखे की संभावना रहती है | मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के पूर्व प्रोफेसर एस० जनकारंजन ने पिछले चार दशकों में तीन कावेरी डेल्टा जिलों - तंजावुर, तिरूवरूर और नागापट्टिनम – ने इस दौरान या बहुत बड़ा बदलाव देखा की यहाँ खेती वाली भूमि भी बंजर भूमि  क्षेत्र में बदल गई है | उदाहरण के लिए, इन जिलों में 1971 और 2014 के बीच, इन जिलों में बंजर भूमि 62 वर्ग किमी से 536 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ी है |

चूंकि इस मुद्दे को सुलझाने में केंद्र सरकार की देरी स्पष्ट रूप से समझ आ रही है , या तो वो कर्नाटक विधानसभा की चुनाव के कारण या तमिलनाडु में भाजपा के लिए मैदान तैयार करने के इरादें के कारण हो सकता है , परन्तु ये सब सरकार किसान की पीड़ा की कीमत पर कर रही है ।

कावेरी जल विवाद
कर्नाटक सरकार
तमिलनाडु
सर्वोच्चतम न्यायालय
भाजपा सरकार

Related Stories

नारद के बाद, हनुमान का हुआ छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रवेश

तूतीकोरीन : आंदोलनकारियों की आवाज़ दबाना चाहती है सरकार ?

पीएमएफबीवाई: मोदी की एक और योजना जो धूल चाट रही है

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई): इतने वर्षों बाद भी क्या हम इसके उद्देश्यों को पूरा कर पाए?

झारखंडः क्या 'पकरी बरवाडीह कोयला भंडार' की स्थिति तुतीकोरिन जैसी होगी?

वेदांता की सहायक कंपनी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन पर पुलिस फायरिंग से 11 लोगों की मौत

चेन्नई में SC/ST Act को कमज़ोर बनाये जाने के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन

मोदी के चेन्नई दौरे के दौरान #ModiGoBack और #GoBackModi ट्रेंड करता रहा

नाम में क्या रखा है? बहुत कुछ

तमिलनाडु में कावेरी विवाद तेज़, किसानों ने नदी किनारे ख़ुद को गर्दन तक दफ़न किया


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License