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...तो ऐसे होगा कश्मीर का विकास जैसे यूपी, बिहार, झारखंड का हुआ!
प्रधानमंत्री जी ने यह नहीं बताया है कि यह जो धारा 370 हटाई गई है यह कश्मीरियों के विकास के लिए हटाई गई है या अडानी अंबानी के विकास के लिए।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
11 Aug 2019
सांकेतिक तस्वीर
फाइल फोटो साभार : NDTV

पहले मेरा मन कर रहा था कि मैं उस घटना पर लिखूं जिसमें एक व्यक्ति ने जोमैटो से खाने की सप्लाई लेने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि सप्लाई करने वाला मुसलमान था। पर तभी 370 वाली बात हो गई। मैंने सोचा यह गैर धर्म वाले व्यक्ति से खाना लेने से मना करने जैसी घटनाएं तो होती रहती हैं। उससे पहले भी किसी ने मुस्लिम ड्राइवर की कैब में बैठने से मना कर दिया था। इस बारे में तो कभी भी लिख लेंगे। क्यों न 370 के बारे में लिखा जाये।

हां, तो खैर मोदी जी ने, और हां अमित शाह ने भी संविधान की धारा (अनुच्छेद) 370 समाप्त कर दी। एक बात तो हुई, पहले जो भी कुछ करते थे मोदी जी अकेले करते थे। पर इस बार यह हुआ है कि धारा 370 अमित शाह और मोदी जी, दोनों ने मिल कर हटाई है। कोई भी यह नहीं कह रहा है कि धारा 370 मोदी जी ने हटा दी, सभी कह रहे हैं कि यह काम अमित शाह और मोदी जी का है। पहले सरकार अकेले मोदी जी की थी, अब दो लोगों की हो गई है।

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चलिये, धारा 370 हट गई है। संसद के दोनों सदनों में अच्छे खासे बहुमत से हटाई गई है धारा 370। बताया गया है कि कश्मीर के विकास में यही एक बाधा थी, धारा 370। अब यह हटा दी गई है तो कश्मीर का विकास कोई भी नहीं रोक सकता है। प्रधानमंत्री जी ने अपने राष्ट्र के नाम संदेश में भी बताया था कि अब वहां पर बहुत ही विकास होगा। भारत सरकार वहां नये नये कारखाने खोल सकेगी, पहले धारा 370 ने कारखाने खोलने पर रोक लगा रखी थी। साथ ही अब वहां पर बड़े बड़े कारोबारी, अडानी-अंबानी, टाटा-बिरला, सभी जमीन खरीद सकेंगे और कारोबार कर सकेंगे। वैसे प्रधानमंत्री जी ने यह नहीं बताया है कि यह जो धारा 370 हटाई गई है यह कश्मीरियों के विकास के लिए हटाई गई है या अडानी अंबानी के विकास के लिए।

तो कश्मीर में विकास के लिए धारा 370 हटा दी गई। अब वहां पर खूब विकास होगा। वहां पर कम्पनियां, देसी और विदेशी सभी, खूब सारी जमीन खरीद पायेंगी। सबसे बड़ी लडा़ई तो जमीन के लिए ही है, अवाम के लिए कौन लड़ रहा है। हमारा बस चले तो हम कश्मीर की आधी से ज्यादा जनता को पाकिस्तान में धकेल दें, वे मुसलमान जो ठहरे और जमीन अपने पास रख लें। अभी हमने अपने संविधान निर्माताओं की इसी गलती (धारा 370) को ठीक किया है। मौका मिला तो और गलतियों को भी ठीक कर देंगे। हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि हमारे पूर्वजों ने क्या वायदा किया था। उन्होंने देश को धर्म निरपेक्ष बनाया, मुसलमानों को, ईसाइयों को भी यहां रहने दिया। चिंता न करें, ठीक समय आने पर इस धर्म निरपेक्षता को भी ठीक कर दिया जायेगा।

भाजपाइयों के लिए कश्मीर के मायने सिर्फ जमीन ही नहीं है, वहां की लड़कियां भी हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर विधायक तक, सभी अपने भाषणों में अपने श्रोताओं को यह बता रहे हैं कि धारा 370 हटने से अब वे वहां से लड़कियां ला सकते हैं। वहां अपनी ससुराल बना सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर, महिलाएं और माननीय : शर्म हमको मगर नहीं आती...

धारा 370 को हटाने के पक्ष में सुनी सारी बहसों, दलीलों, और प्रधानमंत्री जी के देश के नाम संदेश सुनने के बाद मुझे लगा कि हो न हो कश्मीर देश का सबसे पिछड़ा हुआ राज्य है। और उस पिछड़ेपन का एकमात्र कारण धारा 370 है। और उपाय भी सिर्फ यही है कि धारा 370 को समाप्त कर दिया जाये। अगर पिछड़ेपन के कुछ और भी कारण होते तो यह समर्थ सक्षम सरकार पहले उन्हें दूर करती और फिर धारा 370 से छेड़खानी करती। ‘सबका साथ, सबका विकास’ और सबका विश्वास वाली सरकार करोड़ों का साथ और करोड़ों का विश्वास क्यों तोड़ती। तो मुझे विश्वास हो गया है कि धारा 370 ही सबसे बडी़ रूकावट है कश्मीर के विकास में।

इसे भी पढ़ें : धारा 370, 35ए और कश्मीर के बारे में कुछ मिथक और उनकी सच्चाई

मैंने जरा इधर उधर नजर दौडा़ई। थोड़ी रिसर्च की। आजकल रिसर्च का जमाना है। पाया कि झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार ये सभी राज्य तो कश्मीर से भी पिछड़े हुए हैं। मेरी रिसर्च में पता चला कि इन्फैंट मोरटैलिटी दर में कश्मीर (23) राष्ट्रीय औसत (33) से कहीं बेहतर है, जबकि असम, मध्यप्रदेश और ओडिशा सभी 40 से ऊपर। जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपैक्टैंसी) में तो कश्मीर ऊपर के तीन राज्यों में शामिल है। गरीबों के प्रतिशत (पावर्टी रेट) में कश्मीर 10.4% देश के औसत (21.9%) से कहीं बहुत बेहतर है। यहां तक कि प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष औसत आय भी कश्मीर में एक लाख दो हजार रुपये जबकि बिहार में मात्र चालीस हजार, उत्तर प्रदेश में सत्तावन हजार और झारखंड में लगभग सत्तर हजार है।

इसे भी पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी के दावों की पड़ताल : अन्य राज्यों से कई मामलों में बेहतर है जम्मू-कश्मीर

मेरे मन में यह भी था कि मुस्लिम बहुल राज्य है, मुसलमान आदमी तो चार चार शादियां करते हैं, बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं। तो पहले तो तीन तलाक को अपराध घोषित करने से और अब धारा 370 को समाप्त करने से सबसे बड़ा फर्क तो मुसलमानों की पैदावार पर पड़ेगा। ये जो कुकुरमुत्तों की तरह से बच्चे पैदा होते रहते हैं, वह खत्म हो जायेगा। अब बच्चे तो औरत ही पैदा करती है भले ही आदमी एक शादी करे, या चार या फिर दस। तो मैंने प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या जानने का प्रयास किया। सबसे बड़ा आश्चर्य तो टोटल फर्टलिटी रेट (प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या) जान कर हुआ। मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद दूसरे नम्बर पर (प्रति महिला 1.6 बच्चे, राष्ट्रीय औसत 2.2) जबकि मध्यप्रदेश (प्रति महिला 2.7 बच्चे) और छत्तीसगढ़ (3) हिन्दू बहुल राज्य होने के बावजूद सबसे नीचे। लगता है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार आदि सभी राज्यों में भी कोई धारा 370 जैसी ही कोई धारा लगी हुई है, इसीलिए वे अधिकतर मामलों में कश्मीर से भी पीछे हैं। इन सब राज्यों मे तो अंबानी, अडानी और टाटा खूब जमीन खरीद रहे हैं, जंगलों पर कब्जा जमा रहे हैं। बिजनेस शुरू कर रोजगार दे रहे हैं। पर फिर भी विकास नहीं हो रहा है।

इसे भी पढ़ें : आपको किस बात से आपत्ति है 370 से या मुसलमानों से?

अंत में: भाजपाइयों के लिये तो धारा 370 हटाने का सिर्फ यह महत्व है कि कश्मीर फतह कर लिया गया है। विजयी राजा की तरह से वहां की जमीन कब्जा सकते हो और लड़कियां हथिया सकते हो।

(सभी सांख्यिकी का स्रोत टाइम्स ऑफ इंडिया) 

('तिरछी नज़र ' एक व्यंग्य स्तंभ है। लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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