NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
त्रिपुरा चुनावः CPM नेताओं को जीत की उम्मीद, BJP-IPFT में गठबंधन
विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में रहे हिमंत बिस्वा सरमा ने आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ आईपीएफटी के गठबंधन की पुष्टि की है। सत्तारूढ़ सीपीएम नेताओं ने सरमा पर आरोप लगाया कि वह वोटरों में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Jan 2018
tripura bjp

के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी। आगामी चुनाव के लिए दोनों पार्टियों में सीटों का बटवारा भी हो गया है। जहां एनसी देबबर्मा के नेतृत्व वाली आईपीएफटी 9 सीटों पर चुनाव लड़ने को सहमत हो गई है वहीं बीजेपी51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। बता दें कि राज्य में 18 फरवरी को चुनाव होना निर्धारित है। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि राजेश्वर देबबर्मा की अगुआई वाली आईपीएफटी कांग्रेस पार्टी के साथ हाथ मिलाने पर विचार कर रही है। बीजेपी और आईपीएफटी के बीच इस गठबंधन से ज़ाहिर है कि बीजेपी त्रिपुरा में अलगाववादी कार्ड खेल रही है क्योंकि आईपीएफटी की पुरानी मांग एक अलग जनजातीय राज्य त्वीपरालैंड के गठन की रही है।

 

 

त्रिपुरा में पार्टी के नए गठबंधन के लिए बीजेपी के राज्य के चुनाव प्रभारी और असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अहम भूमिका है।

 

अभी तक त्रिपुरा में बीजेपी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करते हुए सरमा कई विवादास्पद बयान देकर सुर्खियों में बने रहे। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में सरमा ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि वह चुनाव के बाद माणिक सरकार को बांग्लादेश भेज देंगे। हालांकि इस तरह का विवाद उनके लिए कोई नया नहीं हैं। पिछले साल सरमा ने एक विवादित बयान में कहा था "कैंसर की बीमारी पाप करने का नतीजा है"। उन्होंने ये बयान शिक्षकों को संबोधित करते हुए दिया था जिसके बाद देश भर के विद्वानों और नेताओं ने उनके इस बयान की आलोचना की थी।

 

बता दें कि हिमंत बेस्वा सरमा साल 2016 में असम विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। वे नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलाइंस के संयोजक हैं और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार भी हैं।

उधर सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरमा मतदाताओं में भय का माहौल पैदा कर गुमराह करने वाली राजनीति का सहारा ले रहे है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाक़ात के दौरान चुनाव के समय अधिक संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने का आग्रह किया है।

ज्ञात हो कि 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस चुनाव में सीपीआई(एम) को सबसे ज़्यादा 49 सीट जबकि कांग्रेस को 10 और सीपीआई को मात्र एक सीट मिला था। हालांकि पिछले साल सात विद्यमान विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थें जिसके बाद बीजेपी को राज्य विधानसभा में विपक्ष का दर्जा मिला था। बता दें कि सीपीआई (एम) वर्ष1993 से त्रिपुरा में सत्ता पर काबिज है।

सीपीएम के राज्य सचिव बिजन धर ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता कॉर्पोरेट फंडिंग का इस्तेमाल कर अन्य राज्यों से अपने कैडर की यहां तैनाती कर रहे है। धर ने आगे कहा कि इस चुनाव में बीजेपी जितना भी प्रयास कर ले वह जीत नहीं पाएगी। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि इस चुनाव में सीपीएम की जीत निश्चित है। नई दिल्ली में 14 जनवरी को बीजेपी नेताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के बीच राजनीतिक रणनीति पर कथित बैठक के बाद अपनी प्रतिक्रिया में धर ने कहा कि उन्होंने इस मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग से आग्रह किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे एक पत्र में धर ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए एनएसए को शामिल करके नियमों का उल्लंघन किया है। धर ने कहा कि उन्होंने इसके लिए सख़्त कार्रवाई की मांग की है।

ज्ञात हो कि त्रिपुरा में 18 फरवरी को मतदान होगा जबकि मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान होंगे। तीनों राज्य के चुनाव परिणाम 3 मार्च को घोषित किए जाएंगे।

BJP
Tripura
Tripura Assembly Elections 2018
RSS

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • बिहार : सातवें चरण की बहाली शुरू करने की मांग करते हुए अभ्यर्थियों ने सिर मुंडन करवाया
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : सातवें चरण की बहाली शुरू करने की मांग करते हुए अभ्यर्थियों ने सिर मुंडन करवाया
    11 May 2022
    धरना स्थल पर राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए अभ्यर्थियों ने सातवें चरण की बहाली शुरू करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने हवन किए और सिर मुंडवा कर विरोध जताया।
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र
    11 May 2022
    अजय सिंह की कविता अपने तौर पर एक चेतावनी है। साफ़ चेतावनी। जिसे बुलंद आवाज़ में पढ़ा और समझा जाना चाहिए।
  • climate
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    लगातार गर्म होते ग्रह में, हथियारों पर पैसा ख़र्च किया जा रहा है: 18वाँ न्यूज़लेटर  (2022)
    11 May 2022
    हथियारों के लिए ख़र्च किए जाने वाले पैसे की कोई सीमा नहीं है, लेकिन दुनिया के सामने उपस्थित जलवायु आपदा को टालने के लिए ख़ैरात भी नहीं है।
  • रवि शंकर दुबे, मुकुंद झा
    दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज
    11 May 2022
    अतिक्रमण के नाम पर ग़रीबों के घऱ पर चलाए जा रहे बुलडोज़र के खिलाफ वामदलों के साथ तमाम संगठनों ने दिल्ली के उपराज्यपाल आवास के बाहर ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।
  • jgp
    शारिब अहमद खान
    बेलगाम बुलडोज़र: इस तरह के विध्वंस पर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय क़ानून क्या कहता है?
    11 May 2022
    सरकार द्वारा चलाई जा रही विध्वंस नीति ने न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार किया बल्कि राष्ट्रीय कानूनों का भी उपहास उड़ाया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License