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भारत
राजनीति
त्रिपुरा में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की मांग को लेकर सीपीएम का दिल्ली में धरना
त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा सीट के लिए पहले चरण में हुए मतदान में भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा तथा धांधली की शिकायतें हैं। बंगाल चुनाव को लेकर ममता के खिलाफ भी चुनाव आयोग से शिकायत की गई है।
मुकुंद झा
16 Apr 2019
election 2019

त्रिपुरा में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) की दिल्ली ईकाई ने आज मंगलवार को चुनाव आयोग के खिलाफ जंतर मंतर पर धरना दिया।

आपको बता दें कि त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा सीट के लिए पहले चरण में हुए मतदान में भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा तथा धांधली की शिकायतें हैं। आरोप है कि जिन बूथों पर भाजपा ने कब्जा किया वहां न तो चुनाव अधिकारी मौजूद थे और न ही केन्द्रीय सुरक्षा बल। इसके साथ ही अधिकतर मतदान केंद्रों से विपक्षी दलों के पोलिंग एजेन्टों को बलपूर्वक बाहर निकाल दिया गया और अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डालने के लिए सीसीटीवी कैमरों के साथ भी छेड़छाड़ की गई।

आज के धरने में त्रिपुरा पश्चिम के 1679 पोलिंग बूथ में से 460 पर पुनः मतदान की मांग की गई। साथ ही निर्वाचन आयोग से यह भी मांग की गई कि वह त्रिपुरा पूर्व लोकसभा सीट के चुनाव को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए।

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धरने में राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी सहित अन्य पोलित ब्यूरो सदस्य भी शामिल हुए।

धरने को संबोधित करते हुए महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि ये प्रदर्शन देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए है, क्योंकि आज खुलेआम प्रजातन्त्र की हत्या की जा रही है। पहले चरण के मतदान के दौरान त्रिपुरा और पश्चिमी बंगाल में लोगों को उनके वोट देने के अधिकार से वंचित किया गया। उन्होंने कहा, “त्रिपुरा में तो मै स्वंय था, देखा किस तरह से लोकतंत्र की हत्या की जा रही थी। जब मैं एक निर्वाचन क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए जा रहा था। रास्ते में जितने भी पोलिंग बूथ दिखे किसी पर भी केंद्रीय सुरक्षा बल नहीं था, आम मतदाता की सुरक्षा तो छोड़ दीजिए, हमारे पार्टी के उम्मीदवार शंकर दत्ता को भी सुरक्षा नहीं दी गई थी। हमारे पोलिंग एजेंट को पहले तो अंदर घुसने नहीं दिया गया जो लड़कर अंदर घुस गए कुछ देर में ही उन्हें पीट कर बहार कर दिया गया।

येचुरी कहते हैं कि यही नहीं जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं और अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं उनकी हत्या की जा रही है। ये सिलसिला तब से चल रहा है जब से राज्य में भाजपा की सरकार आई है। इसके ख़िलाफ़ केवल त्रिपुरा या बंगाल में नहीं बल्कि पूरे देश में एकता बनानी होगी। इसको लेकर हमने चुनाव आयोग से भी शिकायत की है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर सख़्त कार्रवाई की मांग की है।

इससे पहले कल, सोमवार को सीपीएम का एक प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयोग से मिला था।  सीताराम येचुरी के नेतृत्व में सीपीएम के इस प्रतिनिधिमंडल में पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु, और पश्चिम त्रिपुरा संसदीय क्षेत्र के लिए सीपीआई-एम के उम्मीदवार शंकर प्रसाद दत्ता शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग को दो ज्ञापन सौंपे- एक में पश्चिम त्रिपुरा निर्वाचन क्षेत्र में 464 बूथों में पुन: मतदान करने और पूर्व त्रिपुरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की गई और दूसरे ज्ञापन में पश्चिम बंगाल में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत करते हुए आचार संहिता को लागू कराने की मांग की गई|

पहले ज्ञापन में पार्टी ने चुआव आयोग को सुझाव दिया है कि  कैसे अगले चरण का मतदान फ्री और फेयर (स्वतंत्र और निष्पक्ष) हो सके।

11 अप्रैल को जो हुआ था, उसके संदर्भ में त्रिपुरा पूर्वी संसदीय क्षेत्र जिसमें 18 अप्रैल को मतदान है, के लिए सीपीएम के उम्मीदवार जितेंद्र चौधरी ने बहुत ही विशिष्ट सुझाव दिए। उन्होंने केंद्रीय पुलिस पर्यवेक्षकों और रिटर्निंग ऑफिसर से पहले ही इन मुद्दों पर चिंता ज़ाहिर की है, जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। इसमें शामिल मुख्य बिंदु है:

1. 17 अप्रैल की शाम तक सभी संवेदनशील मतदान केंद्र क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गश्त का आयोजन किया जा सकता है, जिससे मतदाताओं में सुरक्षा का विश्वास बढ़े और वो मतदान के लिए निकलें।

2. सभी प्राथमिकी दर्ज नाम वाले व्यक्ति, जो चुनाव पूर्व हिंसा में शामिल हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक हिरासत में रखा जाना चाहिए।

3. संविधान के तहत सभी मतदान केंद्र केवल केंद्रीय बलों द्वारा संचालित किए जाने चाहिए और न्यूनतम सुरक्षाकर्मी 7 (सात) से कम नहीं होने चाहिए।

4. केंद्रीय बलों द्वारा संचालित 3 (तीन) से अधिक पैट्रोलिंग वाहनों को सभी संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जाना चाहिए।

5. किसी भी स्थिति में, कतार में संबंधित अनाधिकृत व्यक्तियों और अनाधिकृत मतदाताओं को मतदान केंद्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा 11 अप्रैल को कई बूथों पर हुआ था जिससे गड़बड़ी हुई।

6. चुनाव आयोग और पैट्रोलिंग वाहनों के उड़न दस्तों को सभी जगह जाना चाहिए और उम्मीदवारों की मतदान मतदान एजेंटों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

7. कोई बाहरी व्यक्ति, यदि उस विशेष बूथ का मतदाता न हो या जिसने पहले से ही अपना वोट डाल दिया है, तो उसे मतदान केंद्रों के घेरे वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

8. शाम 5 बजे के बाद 2 से अधिक मोटरसाइकिलों की आवाजाही की जाँच करना और बाहरी लोगों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए।

इसी तरह दूसरा ज्ञापन जो बंगाल के संबंध में था उसमे भी कई मुद्दे उठाए हैं। कहा गया कि अलीपुरद्वार और कूचबिहार के दो निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 11 अप्रैल को चुनाव कराने के वास्तविक अनुभव भी त्रिपुरा की तरह ही रहा है।

इन सभी मुद्दों को लेकर एक दस्तावेज़ का सेट भी दिया गया जिसमें कुछ  चिंताओं के बारे में जानकारी है। बताया गया है कि कम से कम चार सीपीआई-एम और वामपंथी उम्मीदवारों को चुनाव अभियान की दौरान सुरक्षा नहीं मिली और उनपर हमले हुए। आसनसोल संसदीय क्षेत्र में गौरांग चटर्जी, डायमंड हार्बर पीसी में डॉ. फहाद हलीम,  बसीरहाट पीसी में पल्लव सेन गुप्ता, और बीरभूमि पीसी में डॉ. रिजावुल करीम, इन सभी मामलों में, आश्चर्यजनक रूप से, उम्मीदवारों के लिए सुरक्षा को पूरी तरह से से नजरंअदाज किया गया और सबूतों के लिए उम्मीदवार के अभियान के दौरान वीडियोग्राफी भी नहीं कराई गई।

सीपीएम पहले ही पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के संज्ञान में इन बातों ला चुकी थी कि राज्य की सरकार और सत्ताधारी दल पर आश्रित और निर्भर रहने वाले संविदा कर्मचारियों को मतदान ड्यूटी के लिए तैनात नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन इस पर भी संज्ञान नहीं लिया गया है।

सीपीएम ने चुनाव आयोग से अपील की है कि चुनाव के मद्देनज़र पूरी सुरक्षा की जाए। पार्टी ने कहा है कि त्रिपुरा के लोगों और देश के लोगों को उम्मीद है कि भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्र भूमिका को बदनाम नहीं होना दिया जाएगा।

 

 

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