एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा हाल फिलहाल का विवाद। क्या वाकई ऐसे मुद्दें जमीन पर तैर रहे हैं? क्या वाकई भारत की बड़ी आबादी यही सब चाहती है? इन्हीं सब मुद्दों पर पत्रकार और विश्लेषक ऑनिंद्यो चक्रवर्ती से बातचीत ?