NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
न्याय का मतलब क्रियाशील सच है
इस निराशा के माहौल में, जब न्यायपालिका और कार्यपालिका की न्याय के विचार के उल्लंघन के लिए आलोचना हो रही है, तब कोई भी यह सोचकर हैरान हो सकता है कि आख़िर न्याय क्या है?
मोईन क़ाज़ी
07 Oct 2020
न्याय

इस निराशा भरे माहौल में, जब न्यायपालिका और कार्यपालिका की न्याय के विचार के उल्लंघन के लिए आलोचना होती रहती है, तब कोई भी यह सोचकर हैरान हो सकता है कि आखिर न्याय का विचार क्या है? मोईन काज़ी हमें बता रहे हैं कि आख़िर न्याय क्या है?

---------

"न्याय एक अंत:करण है। यह एक व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरी मानवता का अंत:करण है।"

- एलेक्जेंडर सोलझेनित्सियन

न्याय तमाम महान सभ्यताओं का आधार रहा है। इसके बिना मानव समाज का नाश हो जाता। इतिहास हमें बताता है कि तमाम सभ्यताएं, जो न्याय की रक्षा नहीं कर पाईं, उनका बेहद खराब अंत हुआ।

न्याय का विचार हर नैतिक दर्शन और पंथ में मौजूद है। यह लोगों में एक-दूसरे से व्यवहार के लिए एक बेहद जरूरी गुण है। न्याय तमाम सामाजिक संस्थानों का सबसे अहम गुण है।

सभी महान शासकों ने अपने राज्य में न्याय को सर्वोच्चता दी है। उन्होंने अपने क्षेत्र में सच्चाई और इंसाफ़ के राज को प्रोत्साहित करने की कोशिश की। न्याय का एक विचित्र गुण है, जो इसे अनिवार्य बनाता है: न्याय पूरी तरह साफ़ और सीधा होना चाहिए, न्याय का सिर्फ़ होना जरूरी नहीं है, बल्कि इसका होना सार्वजनिक तौर पर दिखना भी चाहिए।

सभी धर्मग्रंथ मानते हैं कि न्याय भगवान द्वारा बनाई गई दैवीय व्यवस्था का बुनियादी मूल्य है। इन ग्रंथों में कभी बुरे अंत:करण के गंदे काम करने वालों को अपने कर्मों का परिणाम भुगतने से बचता नहीं दिखाया गया। हमेशा सच्चाई को पुरस्कृत होते हुए दिखाया गया है- चाहे इस दुनिया की बात हो या मृत्यु के बाद की। मार्टिन लूथ किंग जूनियर कहते हैं: "नैतिक ब्रह्मांड का वृत्त चाप बेहद लंबा है, लेकिन यह न्याय की तरफ झुका हुआ है।"

रोमन लोगों के लिए न्याय एक देवी थी, जिसका प्रतीक ऐसा सिंहासन था, जिसे तूफ़ान हिला नहीं सकते थे। उस देवी की आंखें किसी भी तरह के पक्षपात और बुरी मंशा के प्रति अंधी थीं। न्याय की देवी धड़कनों को कोई भी मनोभाव हिला नहीं सकता था और उसकी तलवार हर अपराधियों पर बिना भेदभाव के मजबूती से गिरती थी।

न्याय खुद से ही शुरू होता है।

न्याय का गुण कहता है कि हम ना सिर्फ़ दूसरों का, बल्कि खुद का भी सच्चाई के साथ आंकलन करें। अगर हम खुद का परीक्षण करने में अक्षम हैं, तो यह सोचना मुश्किल है कि हम दूसरों पर सच्चाई के साथ फ़ैसला कैसे देंगे। खुद के प्रति पूर्वाग्रही होने के चलते, हम अकसर दूसरों के प्रति भी पूर्वाग्रही हो जाते हैं।

न्याय का एक बेहद विचित्र गुण है, जो इसे जरूरी बनाता है: न्याय पूरी तरह साफ़ और सीधा होना चाहिए। न्याय का सिर्फ़ होना जरूरी नहीं है, बल्कि इसका होना सार्वजनिक तौर पर दिखना भी चाहिए।

न्याय के तराजू में एक पक्ष की तरफ़ वजन बढ़ाने के लिए पूर्वाग्रही होकर दबाव नहीं बनाना चाहिए। लेकिन सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि आँखों पर पट्टी बांधकर सबूतों का भी संतुलन के साथ परीक्षण किया जाना चाहिए। न्याय की इस अवधारणा से प्रेरित होकर एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार लिए, आंखों पर पट्टी बांधे महिला की कल्पना की गई और उसे गढ़ा गया। इस महिला को ग्रीक और रोम की पौराणिक कथाओं से लिया गया है।

लेकिन न्याय को अँधा क्यों बताया जाता है? जोसेफ एडिशन इसकी व्याख्या करते हुए कहते हैं: न्याय पक्ष, दोस्ती और भाईचारे को खारिज़ करता है, इसलिए उसे अंधा बताया जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि न्याय तटस्थ है, पूर्वाग्रहों से रहित है। न्याय की देवी किसी के प्रति खराब मंशा नहीं रखती, ना ही किसी के पक्ष में रहती हैं।

हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो न्याय के विचार से प्रेरित हों, ऐसे लोग जो एक पक्ष के बहकावे में ना आते हों। जिनका आंकलन तार्किक और वस्तुनिष्ठ हो, ना कि वह पहले से पूर्वाग्रह से प्रेरित हों। जिनका फ़ैसला तथ्यों से मेल खाता हो।

न्याय का दैवीकरण, कोर्टरूम के जज के तौर पर होता है।

लेकिन न्याय सिर्फ राजाओं, शासकों, नेताओं या जजों का ही गुण नहीं है। यह एक सामाजिक मूल्य है, जो हर इंसानी व्यवहार में आंतरिक तौर पर मौजूद है। जब रोम के शहंशाह जुलूस में चलते थे, तो उनके आगे एक इंसान नारा लगाते हुए कहता था- "मोमेंटो मोरी", मतलब, यह याद रखो कि तुम भी एक दिन मर जाओगे। जब जज कोर्टरूम में जाते हैं, तो उनके आगे एक शख्स उद्घोषणा में कह सकता है कि "याद रखो आप एक दिन रिटायर हो जाओगे।" मंत्रियों और उच्च अधिकारियों को भी ध्यान दिलाया जाए कि एक दिन उन्हें भी अपना पद छोड़ना होगा। यह चीज हर पृष्ठभूमि में सभी लोगों पर लागू हो सकती है।

सभी तरह के विचारक मानते रहे हैं कि न्याय का मतलब एक तरह की समानता है। इनमें सबसे बेहतर विचारक आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों का मानवीयकरण करना पसंद करते हैं और उन्हें नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ देते हैं। इस तरह वे न्याय को मानवीय आकांक्षाओं और वंचना से जोड़ देते हैं।

पक्षपात रहित और सच्चे लोग खुद पर सवाल करने में सक्षम होते हैं। यह चीज उन्हें ईमानदार और दूसरों को बेहतर ढंग से समझने वाला बनाती है। यह लोग एक साफ अंत:करण रखते हैं और उसे सक्रिय तरीके से संरक्षित करते हैं। वह लोग अपनी गलतियों और कमजोरियों से वाकिफ़ होते हैं, इसलिए वे दूसरों को माफ़ करने वाले होते हैं। वह जैसे हैं, उसका वे सम्मान करते हैं। अपने गंभीर आत्मसम्मान के चलते वे दूसरों की भी इज़्जत करते हैं। वे जो कहते हैं, वह करते हैं और जो करते हैं, उसे स्पष्ट बोलते हैं। अपने शब्द उनके लिए पवित्र होते हैं।

न्याय किसी तरह का नाटकीय पहनावा नहीं ओढ़ता। ना ही यह कोई ऐसी प्रतिमूर्ति है, जिसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी है, पर उसका तराजू एक तरफ झुका हुआ है। ना ही आदर्श न्याय वह न्याय है, जिसकी तलवार की एक धार, दूसरी तरफ से ज़्यादा तेजी से काटती है।

सच्चा और साफ़ न्याय वह है, जो हमेशा इंसानियत की तरफ होता है। यह सिर्फ़ कोर्ट द्वारा दिए गए फ़ैसलों तक सीमित नहीं है। सबसे अहम, सच्चा न्याय वह है, जो समाज के क्रियाकलापों से प्रवाहित होता है। न्याय हर इंसान की नैतिक अनिवार्यता के साथ जीने के अधिकार का सम्मान करता है।

सच्चा और साफ़ न्याय वह है, जो हमेशा इंसानियत की तरफ झुका होता है। यह सिर्फ़ कोर्ट द्वारा दिए गए फ़ैसलों तक सीमित नहीं है। सबसे अहम, सच्चा न्याय वह है, जो समाज के क्रियाकलापों से प्रवाहित होता है।

आज हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो न्याय के विचार के प्रति अपने अनुराग से प्रेरित हों। जो बहकाए ना जा सकते हों, जिनके फ़ैसले तार्किक हों, पूर्वाग्रह से रहित हों। सबसे अहम उनके फ़ैसले तथ्यों से मेल खाते हों। सच्चाई और ईमानदारी जिनका मार्गदर्शन करते हों। वे हमेशा सत्ता को सच्चाई बताते रहेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े।

न्याय की एक आसान समझ रोजाना की ज़िंदगी में सच्चाई का व्यवहार है, यह वह चीज है, जिसने हमेशा इंसानियत को खुश रखा है। यह दान देने की तरह ही महान गुण है।

चार्ल्स डिकन्स ने बहुत खूबसूरती से इसे बताया है: "दान-पुण्य घर से शुरू होता है और न्याय अगले दरवाजे से।"

मोईन क़ाज़ी एक डिवेल्मेंट प्रोफ़्रेेशनल हैं। वह मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में विज़िटिंग फ़्रेलो हैं और उन्हें यूनेस्को का वैश्विक राजनीति निबंध गोल्ड मेडल मिल चुका है। यह उनके निजी विचार हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

The Meaning of Justice is Truth in Action

justice
course of justice
what exactly is justice

Related Stories

आज भी न्याय में देरी का मतलब न्याय न मिलना ही है

बात बोलेगी: संस्थागत हत्या है फादर स्टेन स्वामी की मौत

क्या यौन उत्पीड़कों का पीड़िता से राखी बंधवाना या शादी करना पीड़िता के लिए इंसाफ़ है ?

‘गौ-गुंडों’ का शिकार हुए उमर मोहम्मद के परिवार को कौन दिलाएगा इंसाफ?

वीडियो : सामाजिक न्याय पर हमले के खिलाफ हज़ारों शिक्षक सड़क पर उतरे

मॉब लिंचिंग के शिकार जुनैल को कैसे मिलेगा इंसाफ?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License