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तियांगोंग स्पेस स्टेशन: डार्क मैटर से लेकर कैंसर अनुसंधान तक के वैज्ञानिक परीक्षणों की योजना
प्रस्तावित शोध विषयों में डार्क मैटर और गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अध्ययन से लेकर कैंसर पर अनुसंधान और रोगजनक बैक्टीरिया तक का अध्ययन शामिल है।
संदीपन तालुकदार
27 Jul 2021
तियांगोंग स्पेस स्टेशन: डार्क मैटर से लेकर कैंसर अनुसंधान तक के वैज्ञानिक परीक्षणों की योजना
चित्र साभार: चीन के मानवयुक्त अन्तरिक्ष इंजीनियरिंग कार्यालय

इस साल अप्रैल में, चीन ने तियांगोंग स्पेस स्टेशन को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया था और जून में तीन अन्तरिक्ष यात्रियों को भेजा जिन्होंने पहला स्पेसवाक पूरा किया। चीनी अंतरिक्षशाला पर काम शुरू होने में अभी कुछ वक्त और लगेगा। इसके 2022 तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। हालांकि, दुनियाभर से उड़ान के लिए प्रयोगों की एक लंबी कतार पहले से ही मौजूद है। विज्ञान पत्रिका नेचर के अनुसार, सीएमएसए (चीनी मानवयुक्त अन्तरिक्ष एजेंसी) ने तकरीबन 1,000 से अधिक ऐसे प्रयोगों की एक अस्थाई योजना को मंजूरी दे रखी है, जिनमें से कई तो पहले से ही शुरू किये जा चुके हैं। प्रस्तावित शोध के विषयों में डार्क मैटर और गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अध्ययन से लेकर कैंसर अनुसंधान एवं रोगजनक बैक्टीरिया तक के अध्ययनों को शामिल किया गया है।

तियांगोंग से पहले कक्षा में केवल आईएसएस (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) ही एकमात्र अंतरिक्ष प्रयोगशाला काम कर रही थी। तियांगोंग के जुड़ने का दुनियाभर के अनेकों वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं ने स्वागत किया है।

नासा मुख्यालय के मानव अन्वेषण एवं संचालन की मुख्य वैज्ञानिक जूली रोबिंसन ने कहा: “इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसने मंच बनाया और कौन संचालन कर रहा है, किंतु अंतरिक्ष में वैज्ञानिक पहुंच के बढ़ने से वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक लाभ पहुंचने वाला है।”

इसी प्रकार वारसा में नेशनल सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च की अन्तरिक्षविज्ञानी एग्निज़्का पोलो के विचार भी कुछ इसी प्रकार के थे। “हमें और भी अधिक अंतरिक्ष स्टेशनों की आवश्यकता है, क्योंकि एक अंतरिक्ष स्टेशन निश्चित रूप से पर्याप्त नहीं है।” पोलो उस टीम का हिस्सा होंगी जो चीनी अंतरिक्ष स्टेशन पर विशाल एवं सुदूर विस्फोटों से निकलने वाली वाई-किरणों के ध्रुवीकरण के बारे में अध्ययन करेंगी।

1998 में इसकी शुरुआत के बाद से, आईएसएस ने विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों को 3,000 से अधिक प्रयोग संचालित करने की सुविधा मुहैय्या कराई है। हालांकि, एक अमेरिकी कानून जो नासा को चीन के साथ मिलकर काम करने से रोकता है, उसकके कारण चीन को ऐसा कोई भी प्रयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

वहीँ दूसरी तरफ, तियांगोंग अमेरिका सहित सभी देशों को प्रयोगों का स्वागत कर रहा है। कथित रूप से, सीएमएसए और यूएनओओएसए (यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स) ने जून 2019 में तियांगोंग पर किये जाने वाले नौ परीक्षणों का चयन किया था। एक बार पूरा हो जाने पर, ये नौ परीक्षण, उन एक हजार से अधिक अन्य प्रयोगों के अतिरिक्त हैं जिन्हें चीन ने अंतरिक्ष कक्षा में संपन्न करने के लिए मंजूरी दे रखी है। इनमें 17 देशों के 23 संस्थान शामिल हैं।

तियांगोंग पर परीक्षण:

तियांगोंग पर नियोजित परीक्षणों में व्यापक क्षेत्र के विषयों को शामिल किया गया है। चायनीज अकेडमी ऑफ़ साइंसेज के एक खगोल-भौतिकविद, झांग शुआंग-नान हर्ड (हाई एनर्जी कॉस्मिक-रेडिएशन डिटेक्शन फैसिलिटी) नामक शोध परियोजना के लिए प्रमुख अन्वेषक नियुक्त किये गये हैं। इस सहयोगी परियोजना में इटली, स्विट्ज़रलैंड, स्पेन और जर्मनी शामिल हैं और इसे 2027 के लिए निर्धारित किया गया है। इस पार्टिकल डिटेक्टर की डार्क मैटर और कॉस्मिक किरणों पर अध्ययन करने की योजना है।

झांग और पोलो एक अन्य परियोजना, द पोलर-2 में भी साथ काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य विशाल विस्फोटों से निकलने वाली गामा किरणों के ध्रुवीकरण पर अध्ययन करना है। इस अध्ययन में इस प्रकार के कॉस्मिक विस्फोटों से निकलने वाली गामा किरणों के गुणों को समझने की भी योजना है; इसके साथ ही उनकी योजना में गुरुत्वाकर्षण तरंगों के बारे में अध्ययन भी शामिल है।

ओस्लो विश्वविद्यालय की एक मेडिकल शोधार्थी, ट्रिसिया लारोस ने चिकित्सा क्षेत्र से प्रयोगों को भेजने की योजना बनाई है। उनकी योजना आंत से स्वस्थ्य एवं कैंसरग्रस्त उतकों के (ऑर्गनोईड्स) कोशिकांगक (प्रयोगशाला में विकसित लघु अंगों) को भेजने की है, ताकि इस बात का अध्ययन किया जा सके कि क्या बेहद कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में (जैसा कि अंतरिक्ष स्टेशन में) कैंसरग्रस्त कोशिकाओं के विकास को धीमा या रोका जा सकता है। उनका विश्वास है कि इससे कैंसर के नए उपचार का मार्ग खुल सकता है।

वहीँ दूसरी ओर भारत और मेक्सिको के वैज्ञानिक मौसम संबंधी स्थितियों और तीव्र तूफानों को प्रेरित करने वाले कारकों का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से निकलने वाले इन्फ्रारेड डेटा के साथ-साथ आकाशगंगा से निकलने वाली पराबैंगनी किरण के उत्सर्जन से जुड़े अध्ययनों की योजना बना रहे हैं।

वैज्ञानिकों में अंतरिक्ष कक्षा पर नए प्रयोगों को लेकर उत्साह का माहौल है, लेकिन उनमें से कुछ ने भू-राजनीतिक दबावों को लेकर चिंता जाहिर की है, जो प्रयोगों की योजना में मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। लारोस का कहना था “नॉर्वे ने अभी तक चीन के साथ द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जो उनकी परियोजना को हरी झंडी देगा।”

स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा विश्वविद्यालय की खगोल भौतिकविद, मर्लिन कोल भी पोलर-2 परियोजना में शामिल हैं। उनका कहना था कि “निर्यात नियमों के कड़ाई से पालन का अर्थ है कि चीन को इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर भेजने के लिए इसमें नौकरशाही को जोड़ा गया है।”

तियांगोंग अंतरिक्ष कक्षा में 20 से अधिक प्रयोगात्मक रैक होने की उम्मीद है – जो एक बंद, दबाव वाले वातावरण में छोटी प्रयोगशाला के समान होंगी। अंतरिक्षशाला के बाहर अनुसंधान हार्डवेयर के लिए 67 कनेक्शन पॉइंट्स होंगे, और इसके साथ ही पृथ्वी पर वापस भेजे जाने से पहले प्रयोगों से इकट्ठा किये गए आंकड़ों को संसाधित करने के लिए एक शक्तिशाली केंद्रीय कंप्यूटिंग की सुविधा होगी।

आईएसएस का जीवनकाल छोटा होता जा रहा है। इसके 2024 से लेकर 2028 तक के बीच में काम करते रह पाने की उम्मीद है, और ऐसे में चीनी अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से एकमात्र अंतरिक्ष स्टेशन बचा रह जाने वाला है, जो चालू हालत में बना रहेगा।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Tiangong Space Station: Scientific Experiments Ranging from Dark Matter to Cancer Research Planned

Tiangong
Chinese Space Station
Tiangong has 1000 Experiments Approved
Organoid Experiment on Tiangong
ISS
NASA
CMSA

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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License