NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: सर जी, प्लीज़ यह महंगाई हमसे मत छीनिये
सुनते हैं कि इस महंगाई की वजह से ही सरकार के सारे काम चल रहे हैं। एक तो इस मंहगाई से मिलने वाले पैसे से ही यह सब न दिखने वाला सारा विकास कार्य हो रहा है, और दूसरे इसी महंगाई की बदौलत ही यह सब न खाने योग्य राशन गरीबों को बांटा जा रहा है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
07 Nov 2021
Inflation
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: ट्विटर

सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम कर लोगों को दीवाली के मौके पर राहत दी है। सरकार ने लोगों को तो राहत दे दी है पर अब समझ नहीं आ रहा है कि सरकार हमारा विकास कैसे करेगी। क्योंकि विकास तो महंगाई के बल पर ही हो रहा था।

सर जी, आपने यह राहत गलत समय पर दी। अब जा कर तो हमें समझ में आने लगा था कि यह महंगाई कितनी जरूरी है। मंहगाई की आदत भी पड़ने लगी थी। तभी आपने राहत दे दी। यह बहुत ही गलत बात है। पहले किसी चीज की आदत डालो और फिर उसे छीन लो। आप तो ऐसे ही कर रहे हैं। पहले तो महंगाई की आदत डाल दी और अब उसे हमसे छीनने की बात कर रहे हैं।

सुनते हैं कि इस महंगाई की वजह से ही सरकार के सारे काम चल रहे हैं। एक तो इस मंहगाई से मिलने वाले पैसे से ही यह सब न दिखने वाला सारा विकास कार्य हो रहा है, और दूसरे इसी महंगाई की बदौलत ही यह सब न खाने योग्य राशन गरीबों को बांटा जा रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं, यह सब तो हमें भक्तों ने और वाट्सएप यूनिवर्सिटी ने ही समझाया है। अन्यथा हममें कहां इतनी समझ थी कि हम यह समझ पाते कि यह महंगाई हमारे लिए और हमारे देश के लिए कितनी जरूरी है।  

सर जी, हमें यह भी पता चला है कि आप ये जो टीके लगवा रहे हैं, यही कोरोना के खिलाफ वैक्सीन, यह जो आप मुफ्त में लगा रहे हैं, महंगा पेट्रोल और डीजल बेच कर ही लगवा रहे हैं। पहले तो हम यह ही समझ रहे थे कि आप सबको, सारी की सारी जनता को ये टीके आप अपनी ही जेब से लगवा रहे हैं। क्योंकि सारे के सारे टीका केंद्रों पर आपके ही फोटो लगे हैं। टीका केंद्रों की बात तो छोड़ो, हर चौराहे और नुक्कड़ पर भी मुफ्त में टीका लगवाने की अपील करते आपकी ही फोटो लगे होर्डिंग लगे हैं। तो हमें लगा कि ये टीके आप ही लगवा रहे हैं, अपनी ही जेब से लगवा रहे हैं।

जब हम वैक्सीन लगवा कर घर लौटे और सर्टिफिकेट डाउनलोड किया तो यह विश्वास और भी पक्का हो गया कि यह टीका हमें आपके ही पैसे से लगा है। वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट पर हमारी, जिसको टीका लगा था उसकी फोटो नहीं थी। आपकी ही फोटो छपी थी। पर भला हो आपके भक्तों का और वही आपकी अपनी वाट्सएप यूनिवर्सिटी का, जिसने हमारी आंखें खोल दीं। उन्होंने ही बताया कि वैक्सीन की खुराक आपकी जेब से नहीं, मुझे मेरे अपने ही पैसे से मिली है। मुझे वैक्सीन उस पैसे से मिली है जो पैसा मैं महंगा पेट्रोल और महंगी रसोई गैस का सिलेंडर खरीद कर आपके पास जमा करवा रहा हूं।

सर जी, ऐसे ही तब भी यही लगा जब देखा कि गरीबों को मुफ्त का राशन आपकी फोटो लगे थैलों में मिल रहा है। सोचा कि शायद आप अपनी खुद की कमाई से ही अनाज गरीबों में बंटवा रहे हैं। पर फिर यह भ्रम भी तब टूट गया जब खबर लगी कि यह अनाज तो सरकार महंगा पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर आदि बेचने से मिले पैसे से खरीद कर बंटवा रही है। यह सब हो तो हमारे ही पैसे से हो रहा था पर हम श्रेय आपको देते रहे।

सर जी, बस आपसे अब यही गुजारिश है कि आप यह महंगाई हमारे से छीनिये मत। हमें महंगाई की आदत ही पड़ गई है। हम किसी भी तरह से जी लेंगे पर महंगाई का यह सुख, इसके बिना बिलकुल भी नहीं जी पायेंगे। और हां,एक बात और। किसी को वैक्सीन सरकार के पैसे से लगे या फिर उसके अपने पैसे से, वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर आपका फोटो रंगीन ही आना चाहिए। ब्लैक एंड व्हाइट में उतना जंचता नहीं है। इसके अलावा मुफ्त वाला राशन भले ही सड़ा-गला हो पर आपकी फोटो लगा थैला जरा अधिक टिकाऊ होना चाहिए। इतना टिकाऊ तो जरूर ही हो कि 2024 के आम चुनाव तक खूंटी पर टंगा रहे। पैसे की चिंता आप मत कीजिए। महंगाई तो हम झेल ही लेंगे।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Political satire
Satire
dron sharma
Inflation
Food Inflation
Petrol & diesel price
edible oils

Related Stories

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License