NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
TRAI के पब्लिक WIFI की ज़रुरत है जिससे लोगों तक इंटरनेट पहुँच सके
दूरसंचार दिग्गज जियो, एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पब्लिक ओपन वाईफाई परियोजना का विरोध कर रही हैं क्योंकि यह उनके एकाधिकार को ख़त्म कर देगा।
प्रणेता झा
12 Jul 2018
Public WIFI

भारत की टॉप प्राइवेट दूरसंचार कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) की पब्लिक ओपन वाईफाई परियोजना का विरोध कर रही हैं। इस परियोजना से इंटरनेट खर्च में 90% तक कटौती की उम्मीद है।

ट्राई ने कहा कि इस परियोजना के तहत पूरे देश में पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) की स्थापना करने की योजना है जो पहले के पीसीओ की तर्ज पर उपयोगकर्ताओं को बहुत सस्ते क़ीमतों (2 रुपये से प्रारंभ) पर इंटरनेट (बैंडविड्थ) रीसेल करेगा और ये पीडीओ हॉटस्पॉट के रूप में काम करेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल अक्टूबर में देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी पायलट परियोजना के तहत 603 वाईफाई हॉटस्पॉट की सफलता के बाद दूरसंचार विभाग ने एक महीने में पूरे देश में 10,000 ऐसे वाईफाई हॉटस्पॉट लॉन्च करने की योजना बना रहा है।

कोई भी व्यापार इकाई यहां तक कि चाय-दुकान मालिक जैसे छोटे उद्यमी आसानी से एक पेड पब्लिक वाईफाई एक्सेस पॉइंट/ हॉटस्पॉट स्थापित करने में सक्षम होंगे और पीडीओ एग्रीगेटर्स नामक इकाइयों से सस्ते दरों पर बैंडविड्थ (bandwidth) खरीद सकेंगे। ये एग्रीगेटर कई इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) से इंटरनेट बैंडविड्थ को एक समूह में इकट्ठा कर देगा और इसे पीडीओ को बेचेगा और इस एग्रीगेटर्स को दूरसंचार लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन केवल दूरसंचार विभाग (डीओटी) के साथ पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी।

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के बैनर के तले दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन को इन चार कंपनियों ने एक पत्र लिखा है। .उन्होंने इस बात पर एतराज़ किया कि इससे "असमान अवसर" पैदा होगा चूंकि ये एग्रीगेटर्स अपने बैंडविड्थ को हज़ारों या उससे अधिक पीडीओ को बेचेंगे, उन्हें लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा और न ही उन्हें सरकार को राजस्व का हिस्सा देने की आवश्यकता होगी।

दूरसंचार कंपनियों ने यह भी दावा किया है कि लाइसेंस के अभाव में "राष्ट्रीय सुरक्षा" के लिए ख़तरा पैदा होगा लेकिन न्यूज़क्लिक से बात करते हुए विशेषज्ञों ने इस तथाकथित चिंता को ख़ारिज कर दिया था। डीओटी ने पहले से ही अनिवार्य कर दिया है कि एग्रीगेटर्स ई-केवाईसी (अपने ग्राहक की जानकारी), प्रमाणीकरण और रिकॉर्ड रखने की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करते हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षैतिज प्रणाली के हर स्तर पर नज़र रखना और अवरोध संभव होगा, क्योंकि ये पीडीओ प्रदाता और एग्रीगेटर्स मौजूदा आईएसपी का इस्तेमाल करेंगे और सरकार आसानी से शामिल संगठनों के लिए ज़्यादा सुरक्षा मानकों और संबंधित मानदंडों को अनिवार्य कर सकती है।

आईटी फॉर चेंज के परमिंदर जीत सिंह ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि ये दूरसंचार कंपनियां अपने उद्देश्य के लिए ग्राहक (अंतिम ग्राहक के रूप में जानी जाने वाली) तक आखिरी लिंक का एकाधिकार/स्वामित्व लेना चाहती है।

"यह आपके घर की ओर जाने वाली एक एकाधिकार मार्ग के स्वामित्व की तरह है ताकि आप के साथ होने वाली घटना को आप नियंत्रण कर सकें। इस तरह आप इस एकल मार्ग के माध्यम से मौजूदा लंबवत एकीकृत प्रणाली में एक दूसरे के शीर्ष पर अन्य सेवाओं और उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं। वास्तविक निरंतर आय उस मार्ग से आती है जो आप उस एकल मार्ग पर प्रचार और बिक्री करते हैं न कि कनेक्टिविटी से।" उदाहरणस्वरूप रिलायंस जियो अब ई-कॉमर्स में शामिल होने की तलाश में है। वे साझा किए गए, क्षैतिज रूप से फैले मॉडल में नियंत्रण खो देंगे।

दरअसल ट्राई स्वयं ही कहती है कि इन लक्ष्यों में से एक लक्ष्य "एकाधिकार को खत्म करना" है। दूरसंचार नियामक ने कहा है कि ये "मल्टी-प्रोवाइडर, इंटर-ऑपरेबल, कोलेबोरेटिव मॉडल इस प्रणाली में इस समग्र नवीनता को बढ़ाता है, एकाधिकार को खत्म करता है और अंतिम उपयोगकर्ता को लाभ देने के लिए प्रोत्साहित करता है।"

ये मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रकार के प्रदाता (पीडीओ प्रदाता, हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का एक्सेस पॉइंट, उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण और केवाईसी प्रदाता, और भुगतान प्रदाता) असमूहीकृत हैं, जो "पारिस्थितिक तंत्र में कई पार्टियों के एक साथ आने और बड़े पैमाने पर स्वीकार करने में सक्षम" बनाने की अनुमति देता है।

उन्होंने कहा कि बड़ी दूरसंचार कंपनियों द्वारा इंटरनेट का इतना सस्ता और व्यापक व्यवस्था संभव नहीं है क्योंकि उनके सेवा कार्य की लागत उच्च होती है, चूंकि वे जिस पैमाने पर काम करते हैं उसके कारण बहुत अधिक इनपुट लागत होती है। ये उच्च लागत उन्हें उन लोगों के वर्गों को सस्ती दर पर बेचने और कम करने इजाज़त नहीं देगा जिनसे लाभ आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि छोटे कंपनियों को शामिल होना ज़रूरी है।

दिग्गज दूरसंचार कंपनियों के अनुसार इन एग्रीगेटर्स को सरकार के साथ राजस्व साझा नहीं करना पड़ेगा, सिंह ने कहा कि वे जो राजस्व साझा करते हैं उसे थोक मूल्य में जोड़ दिया जाता है जिसका मतलब है कि यदि आप राजस्व साझा कर रहे हैं तो उसे आपके द्वारा चार्ज की जाने वाली कीमतों में वसूल किया जा सकता या प्राप्त कर लिया जाता है।

इसके अलावा सिंह ने कहा कि "थोक और खुदरा का क्षैतिज पृथक्करण" ज़रूरी है यदि हम वास्तविक तटस्थता का लक्ष्य रखना चाहते हैं, क्योंकि यह दिए जाने वाले सेवाओं के एकीकरण की अनुमति नहीं देगा और वास्तव में समान अवसर का निर्माण करेगा।

और यहां तक कि ये एग्रीगेटर्स बड़ी इकाइयां (कोई भी स्वामित्व, कंपनी, सोसायटी, गैर लाभ आदि जो मानदंडों को पूरा करते हैं एग्रीगेटर्स के रूप में प्रारंभ कर सकता है) होती हैं और भले ही वे इस बैंडविड्थ को कुछ हज़ार पीडीओ को बेच देते हैं तो फिर भी यह संभावना होगी "एक ज़िला या शायद दो" का आकार हो, इसलिए वे किसी भी मामले में इन बहुराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनियों के साथ तुलनीय नहीं हैं।

लेकिन इंटरनेट के खुदरा बेचने पर एकाधिकार को खत्म करने और भारत के लोगों तक पहुंच का यही एकमात्र तरीका है, जहां "फाइबर/दूरसंचार के खराब कवरेज और सेलुलर डेटा के निषिद्ध मूल्य निर्धारण के कारण डेटा तक पहुंच सीमित है" और ट्राई के अनुसार, "फ्रांस में 13 मिलियन और संयुक्त राज्य अमेरिका में 10 मिलियन की तुलना में भारत में केवल 31,000 पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट हैं।"

Public WIFI
TRAI
private companies
free internet
Airtel
Jio
Telecom

Related Stories

भारती एयटेल में एक अरब डॉलर का निवेश करेगी गूगल, 1.28 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीदेगी

कोयला संकट से होगा कुछ निजी कंपनियों को फायदा, जनता का नुकसान

झारखंड सरकार ने निजी कंपनियों से किया एमओयू करार, उठ रहे हैं कई बड़े सवाल

हक़ीक़त तो यही है कि सरकारी कंपनियां प्राइवेट में तब्दील होने पर आरक्षण नहीं देतीं

निजी कंपनियों के सहारे Pandemic से लड़ सकते हैं?

क्या अर्नब गोस्वामी को बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी पहले से थी?

उच्च न्यायालय में रिलायंस का हलफ़नामा झूठे दावों से भरा है: किसान समिति

सरकार विवादास्पद कृषि क़ानूनों पर संसद क्यों नही जाती?

खोज ख़बर: जय किसान: रद्द हुआ संसद सत्र, जिओ हुआ परेशान

दिवालिया टेलीकॉम कंपनियों का बक़ाया : क्या कोई चूक जियो और एयरटेल के पक्ष में जा रही है?


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License