NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
तालिबान से बातचीत बंद करने के पीछे क्या है ट्रम्प की मंशा?
ट्रम्प के एकतरफ़ा फ़ैसले से पर्यवेक्षक काफ़ी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि तालिबान ने वार्ता की पुर्व शर्त हिंसा को समाप्त करने की बात को कभी नहीं माना था। ट्रम्प ने अपने फ़ैसले के पीछे एक सैनिक की मौत का हवाला दिया जो अपने आप में काफ़ी उलझन भरा है क्योंकि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में इस साल मारे गए 15 सैनिकों के बावजूद वार्ता को जारी रखा था।
पीपल्स डिस्पैच
11 Sep 2019
Translated by महेश कुमार
तालिबान

रविवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कैम्प डेविड में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ होने वाली "गुप्त" बैठक को रद्द करने की घोषणा कर दी। इसके लिए जारी की गई ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार और अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के प्रतिनिधियों को इस गुप्त चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था, जो अफ़ग़ानिस्तान में 18 वर्षीय युद्ध को समाप्त करने के लिए आयोजित की जा रही थी, लेकिन तालिबान द्वारा काबुल में एक हमले में अमरीकी सैनिक को मौत के घाट उतारने के कारण इसे रद्द कर दिया गया है। इस फ़ैसले ने पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया है और उलझन में डाल दिया है क्योंकि हिंसा और लगातार बढ़ती हिंसा के बीच अमेरिका तालिबान के साथ क़रीब एक साल से शांति वार्ता में शामिल रहा है।

5 सितंबर को काबुल में हुए बम हमले में अमेरिकी सैनिक के अलावा 11 लोगों की मौत हो गई थी। ट्रम्प के अनुसार, तालिबान ने "अपनी सौदेबाज़ी को बढ़ाने के लिए" हमले को अंजाम दिया और इस तथ्य को स्वीकार भी किया है।

ट्रम्प प्रशासन ने तालिबान प्रतिनिधियों के साथ शांति वार्ता को स्थगित करने की भी घोषणा कर दी है। ये वार्ता लगभग पिछले दो साल से दोहा में चल रही थी। पिछले सोमवार को ही वार्ता के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ज़ल्माय खलीलज़ाद ने डोनाल्ड ट्रम्प की मंज़ूरी के बाद तालिबान के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने की घोषणा की थी। इस संभावित होने वाले समझौते के अनुसार, अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद 14,000 सैनिकों में से 5,400 को वापस बुला लेगा। इसके बदले में, तालिबान इस बात की गारंटी देगा कि वह अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट को अमेरिका और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ हमले करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान की धरती का उपयोग नहीं करने देगा।

तालिबान ने चेतावनी दी है कि वार्ता से पीछे हटने से अमेरिका को ही नुक़सान होगा। तालिबान ने पिछले 18 वर्षों से चल रहे संघर्ष को तब तक जारी रखने की कसम खाई और जब तक अफ़ग़ानिस्तान की धरती से "विदेशी क़ब्ज़ा समाप्त नहीं हो जाता और अफ़ग़ानों को उनकी अपनी पसंद से जीने का मौक़ा नहीं दिया जाता है।"

वार्ता से ट्रम्प का अचानक पीछे हट जाना कई मायने में आश्चर्य की बात है। तालिबान कभी भी वार्ता की पूर्व शर्त के रूप में हिंसा को समाप्त करने के लिए सहमत नहीं हुआ था। इसने अशरफ़ ग़नी सरकार के साथ बात करने से भी इनकार कर दिया था, क्योंकि वह इसे अमेरिका की "कठपुतली" सरकार मानता है। अमेरिकी सैनिकों के जीवन के लिए ट्रम्प की अचानक पैदा हुई संवेदनशीलता भी आश्चर्यजनक है क्योंकि इस वर्ष अफ़ग़ानिस्तान में ही 16 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है।

अमेरिका ने तालिबान को अल-क़ायदा को शरण देने के लिए दोषी ठहराया था, जिसने 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन मुख्यालय पर हमलों की ज़िम्मेदारी ली थी। तब तालिबान को सत्ता से बेदख़ल करने के लिए अमेरिका ने 2001 में अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था। हालांकि, युद्ध के 18 वर्षों के बाद, जिसमें सैकड़ों हज़ारों लोग, नागरिक और लड़ाके दोनों मारे गए हैं, और अरबों डॉलर ख़र्च हुए हैं, अमेरिका तालिबान को हराने में असमर्थ रहा है। आज भी, तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के लगभग एक चौथाई हिस्से को नियंत्रित करता है और विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रभाव बढ़ रहा है।

हर तरफ़ से तालिबान के साथ वार्ता को रद्द करने के लिए ट्रम्प को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ट्रम्प की इस हरकत को एक आतंकवादी संगठन को वैध बनाने के रूप में देखा जा रहा है जो 2001 में हुए युद्ध का मूल कारण था।

काबुल और उत्तर के हिस्सों में हमलों की संख्या में हुई वृद्धि को तालिबान रैंक के भीतर बढ़ती असहमति के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है जो दर्शाता है कि वे अमेरिका के साथ बातचीत से ख़ुश नही है। ट्रम्प की अचानक घोषणा अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध पर उनके बदलते विचार का संकेत हो सकता है। उन्होंने हाल ही में देश में स्थायी आधार बनाए रखने की बात की थी, जो उनके 2016 के चुनावी के वादे के विपरीत है जिसमें उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी की बात की थी।


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License