NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
UAPA में संशोधनों की वैधानिकता को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
याचिका में संशोधित कानून की धारा 35 और 36 को असंवैधानिक और शून्य घोषित करने का अनुरोध किया गया है क्योंकि इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Sep 2019
UAPA
Image Courtesy: Kractivist.org

सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून में संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने संजय अवस्थी और गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केन्द्र को नोटिस जारी किया।

इन याचिकाओं में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून में किये गये संशोधनों को कई आधारों पर चुनौती दी गयी है। इनमें कहा गया है कि इन संशोधनों से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है और यह जांच एजेन्सियों को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देते हैं।

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून में संशोधनों (UAPA : THE UNLAWFUL ACTIVITIES (PREVENTION) AMENDMENT BILL, 2019) को संसद ने दो अगस्त को मंजूरी दी थी और राष्ट्रपति ने नौ अगस्त को इसे अपनी संस्तुति प्रदान की थी।

इसे पढ़ें :UAPA : व्यक्ति की आज़ादी को कुचलने का मनमाना हथियार?

संशोधित कानून केन्द्र को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है। इसी तरह, ये संशोधन एक बार आतंकवादी घोषित किये गये व्यक्ति के यात्रा करने पर पाबंदी लगाते हैं।

याचिका के अनुसार, इन संशोधनों से निर्धारित प्रक्रिया का पालन किये बगैर ही संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त प्रतिष्ठा और गरिमा के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि सिर्फ सरकार के मान लेने मात्र के आधार पर किसी व्यक्ति को बदनाम करना अनुचित, अन्याय पूर्ण है और निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि कानून की संशोधित धारा 35 में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि किस समय एक व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि सरकार के सिर्फ विश्वास के आधार किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने की कार्रवाई मनमानी और ज्यादती वाली है क्योंकि संबंधित व्यक्ति को कभी यह नहीं बताया जाता कि उसे किन आधारों पर इस तरह अधिसूचित किया गया है। इस तरह, आतंकी घोषित करने संबंधी अधिसूचना को धारा 36 के तहत चुनौती देने का प्रावधान निरर्थक हो जाता है।

याचिका में संशोधित कानून की धारा 35 और 36 को असंवैधानिक और शून्य घोषित करने का अनुरोध किया गया है क्योंकि इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है।

इसे पढ़ें : सुरक्षा क़ानूनों में संशोधन और प्रशासनिक बदलाव सत्ता के केन्द्रीकरण की साज़िश है

इसे पढ़ें :महज जिहाद शब्द का इस्तेमाल करने पर किसी को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता: अदालत

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

ranjan gogoi
UAPA amedment act 2019
UAPA
UAPA Act
Modi government
section 43 of UAPA act
Draconian act of uapa
POTA
TADA
UAPA preventive detention

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License