NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उड़ता गुजरात पार्ट 6 - अर्थव्यवस्था के बिगड़ते हालात , बढ़ता कर्ज़
राज्य ने 60000 हज़ार करोड़ के फण्ड को खर्च नहीं किया , राज्य पर 2.48 लाख करोड़ का कर्जा है
सुबोध वर्मा
29 Nov 2017
Translated by ऋतांश आज़ाद
उड़ता गुजरात

बीजेपी पिछले 19 सालों से गुजरात की सत्ता पर पकड़ बनाये हुई और ये पकड़ बीजेपी ने  गुड गवर्नेंस के नाम पर बनायी है .पर गुजरात की अर्थव्यवस्था पर सिर्फ एक नज़र डालने पर ख़राब प्रबंधन,  नियमों का उल्लंघन,अनियमित खर्च और बढ़ते हुए कर्ज़ और अववस्था की तस्वीर दिखाई पड़ती है . 7 सालों के राज्य बजट पर उपलब्ध CAG रिपोर्टों की जाँच दर्शाती हैं कि आवंटित 600,000 करोड़ रुपयों को खर्च ही नहीं किया गया , करीब 357 करोड़ रुपयों को बजट के किसी प्रावधान के बिना ही खर्च कर दिया गया, वित्तीय वर्ष के आखिरी महीनों में हजारों करोड़ खर्च किये गये , 126 सरकारी और 42 स्वायत्त संस्थाओं के वार्षिक खातों को या तो जमा ही नहीं किया गया या उनकी ऑडिटिंग नहीं हुई . इसके अलावा करीबन 10,000 करोड़ की मूल्य के उपयोग प्रमाणपत्र हर साल पेंडिंग रहे.

इस खेल से जहाँ जनता के पैसे का लगातार नुकसान हो रहा है, इसे इस तरह से देखना चाहिए कि 2014 -15 में राज्य सरकार के पास अतिरिक्त राजस्व मौजूद था . इसका मतलब ये है कि सरकार विभिन्न करों और अन्य तरीकों द्वारा जमा किये गये राजस्व को सरकार खर्च ही नहीं कर सकी . राजस्व की ये बचत नवउदारवादी अर्थ शास्त्रियों को प्रभावित कर सकती जो सरकारी खर्च को कम करने के पक्षधर हैं . पर ये चौकाने वाली बात है क्योंकि गुजरात सरकार ग़रीबी कम करने , सबको शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रदान करने और लोगों को नौकरी देने में पूरी तरह नाकाम रही है.

लेकिन कमाल की बात ये है कि ये सब होने के बावजूद राज्य सरकार अपने संसाधनों को बढ़ोतरी के लिए लगातार ऋण ले रही है . राज्य का कर्ज़ पिछले 15 सालों में 5 गुना बढ़ा है और 2016 – 17 वित्तीय वर्ष के अनुमान RBI के अनुसार 2.68 लाख करोड़ हो गया है . हर गुजरात का व्यक्ति पर  37,749 करोड़ के कर्ज़ के बराबर है और 19 बड़े कर्जदार राज्यों की सूची में गुजरात चौथे स्थान पर आता है .

 

CAG की रिपोर्टों ने कई सालों से लगातार इस बात पर जोर दिया है कि राज्य सरकार इस बात पर ढंग से विचार नहीं कर रही कि किस चीज़ के लिए कितना खर्च करना है. इसी गलत आवंटन और खर्च की वजह से 59.836 करोड़ खर्च नहीं किये गए और 357 करोड़ रुपयों को उन चीज़ों पर खर्च किया गया, जिन्हें पिछले 7 सालों के बजट में पास भी नहीं किया गया . जिन विभागों में राशि बची रही या खर्च नहीं हुई, उनमें शिक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी शामिल हैं . यहाँ ये याद रखना ज़रूरी है कि शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात की स्थिति बहुत ख़राब रही है . MHRD द्वारा कराये गए नेशनल अचीवमेंट सर्वे में जहाँ एक तरफ गुजरात के स्कूली बच्चों का प्रदर्शन बहुत ख़राब रहा है वहीँ दूसरी तरफ उच्च शिक्षा में भी एनरोलमेंट रेशियो बहुत कम है .

RBI के डेटा के अनुसार 2014–15 में गुजरात सरकार का विकास पर खर्च GDPS का 8.9% था जबकी सभी राज्यों का औसत 12.5% है . इससे गुजरात विकास खर्च के मामले में 28 राज्यों की सूची में 25वें स्थान पर आता है . वहीँ दूसरी तरफ समाजिक कार्यों में खर्च के मामले में सिर्फ 5.6% खर्च के साथ गुजरात 28 राज्यों की सूची में 26वें स्थान पर आता है.

पिछले वर्ष जब गरीबी की आधिकारिक गणना हुई थी तब पता चला कि 2011-12 में गुजरात में भी गरीबी दर करीब 17% की थी । यह योजना आयोग द्वारा परिभाषित की गई अत्यधिक निम्न स्तर की गरीबी रेखा मानी जाती है। फिर भी 'मॉडल' सरकार गरीबी को कम करने के लिए अधिक पैसा खर्च नहीं कर सकी.

शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी जैसी बुनियादी समस्याओं की उपेक्षा करते हुए आवंटित पैसे खर्च न करना मोदी की कार्यशैली लगती है जब वे गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य कर रहे थे।

राज्य सरकार अपनी वित्तीय व्यवस्था ठीक करने के बारे में गंभीर नहीं थी , यह स्पष्ट रूप से इस तथ्य से स्पष्ट रूप से ज़ाहिर होता है कि सीएजी द्वारा समीक्षा किए गए सात सालों में हर वर्ष सरकार 8- 9 करोड़ रुपये की राशि तक के 140 या अधिक गबन के मामले सामने आये । जाहिर है, सरकार के भीतर मौजूद अनैतिक तत्व इन अपराधों में शामिल थे.

उपेक्षा का एक और क्षेत्र सालाना 9000 करोड़ रुपये तक का उपयोग के  प्रमाण पत्र प्राप्त करने के प्रति ढिलाई करने और उदासीनता का था। इसका मतलब यह है कि विभिन्न एजेंसियों या निजी ठेकेदारों को पैसा बनाने दिया जा रहा था और कोई लेखांकन नहीं किया गया था। इसी तरह की ढिलाई सरकारी  और स्वायत्त निकाय के द्वारा भी दिखाए गई.

ये सब तथ्य बताते हैं कि तथाकथित मॉडल सरकार, जो भाजपा और पूरे देश का पसंदीदा 'मॉडल' है, वास्तव में बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन और उपेक्षा का शिकार था, जिसमें जनता के पैसे का दुरुपयोग होने की बहुत संभावना है। देश के बाकी हिस्सों के लिए शायद ही यह मॉडल उपयुक्त है और निश्चित रूप से एक मॉडल है - जिससे गुजरात के पीड़ित लोगों को पीछा छुड़ाना चाहिए!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License