NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
यह एक अप्रत्याशित संकट, आईएमएफ से हो रही मदद की भारी मांग: जॉर्जीवा
जॉर्जीवा ने फिर से दोहराया कि इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है।
एपी
16 Apr 2020
IMF

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सदस्य देश मदद की भारी मांग कर रहे हैं। अप्रत्याशित तरीके से 189 सदस्य देशों में से 102 देश अब तक मदद की मांग कर चुके हैं।

उन्होंने विश्वबैंक के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक की शुरुआत पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएमएफ मदद की मांग को पूरा करने के लिये एक हजार अरब डॉलर की पूरी क्षमता के कर्ज वितरित करने के लिये प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया।’’

जॉर्जीवा ने फिर से दोहराया कि इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है।

आईएमएफ प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की।

आईएमएफ के नये आकलन के अनुसार, इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ पहले ही आपातकालीन मदद कार्यक्रमों को 50 करोड़ डॉलर से बढ़ा कर 100 करोड़ डॉलर कर चुका है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ इसके साथ ही इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि जैसे ही अर्थव्यवस्थाएं इस संकट से उबरना शुरू करें, उनकी गतिविधियां पुन: शुरू की जा सकें।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बारे में भी सोचने की जरूरत है कि इस संकट के दूसरे छोर पर हमें किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है।’’

Coronavirus
Global Economy
economic crises
IMF
Georgiwa

Related Stories

श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी

प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?

श्रीलंका का संकट सभी दक्षिण एशियाई देशों के लिए चेतावनी

श्रीलंकाई संकट : राजनीति, नीतियों और समस्याओं की अराजकता

पड़ताल दुनिया भर कीः पाक में सत्ता पलट, श्रीलंका में भीषण संकट, अमेरिका और IMF का खेल?

कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

यूक्रेन और वैश्विक आर्थिक युद्ध: बर्बरता या सभ्यता?

रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध का भारत के आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

यूक्रेन में तीन युद्ध और तीनों में इंसानियत की हार के आसार


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License