NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
भारत
राजनीति
केंद्रीय मंत्री ने किसान की फूलगोभी की बिक्री पर दिया कृषि क़ानूनों को श्रेय, छानबीन ने दावों की खोली पोल
कृषि उपज की ऑनलाइन बिक्री का काम केंद्र द्वारा तीन कृषि क़ानूनों को अधिनियमित किये जाने से पहले भी संभव था। इसलिए यह पूरी तरफ से स्पष्ट है कि इन क़ानूनों का ओम प्रकाश यादव द्वारा उपजाई गई फूलगोभी की बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है। 
तारिक अनवर
05 Jan 2021
bihar farmer

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में इस क्षेत्र में “सुधारों” को लाने के लिए अधिनियमित किये गए तीन कृषि कानून का मुद्दा किसानों और सरकार के बीच में एक प्रमुख विवाद का विषय बना हुआ है। इस बाबत किसान नेताओं ने धमकी दी है कि यदि 4 जनवरी को होने जा रही अगले दौर की बैठक में यदि इन क़ानूनों को निरस्त न किया गया तो वे सारे देश भर में अपने विरोध प्रदर्शनों को और तेज़ कर देंगे। कृषक समुदाय ने पहले से ही 26 नवंबर, 2020 से राष्ट्रीय राजधानी के चार प्रमुख प्रवेश मार्गों की घेराबंदी कर रखी है।

जीडीपी में 16% योगदान के साथ और देश में रोज़गार का सबसे बड़ा क्षेत्र होने के बावजूद कृषि आज एक पसंदीदा पेशा क्यों नहीं रह गया है? क्यों किसान इन ज़ोर-शोर से प्रचार किये जा रहे “सुधारों” के खिलाफ आंदोलनरत हैं? आइए इसे एक उदाहरण के ज़रिये समझने की कोशिश करते हैं। 

आपको शायद हाल ही में एक वायरल हुए वीडियो फुटेज की याद होगी जिसमें एक किसान को अपने खेत में बिक्री के लिए तैयार फूलगोभी की फसल के उपर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट करते हुए देखा होगा। उनका नाम ओम प्रकाश यादव है - एक 34 वर्षीय किसान जिनके पास करीब 4.5 बीघा (2.81 एकड़; 1 एकड़ = 1.6 बीघा) की पुश्तैनी ज़मीन और पट्टे पर ली हुई 9 एकड़ की जमीन है। वे बिहार के समस्तीपुर जिले के मुक्तपुर पंचायत के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने 6.5 बीघे (4.06 एकड़) खेत में फूलगोभी उगा रखी थी।

जब उन्होंने अपनी सब्जियों को निकालने और उसकी बिक्री का मन बनाया तो स्थानीय बाज़ार समिति में इसकी कीमत एक रूपये या एक रूपये से भी कम कीमत तक धड़ाम हो चुकी थी। जब उन्होंने पाया कि इससे तो खेती पर लगे कुल इनपुट लागत की वसूली की बात तो छोड़िये, फसल निकालने पर लगने वाली मज़दूरी और उसकी पैकिंग एवं किराए-भाड़े तक का खर्चा वसूल नहीं होने जा रहा है तो उन्होंने फसल बेचने के बजाय उसे नष्ट करने का फैसला लिया।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उनका कहना था “मैं इतना हताश हो चुका था कि मैंने 14 दिसंबर के दिन अपनी 6.5 बीघे की फूलगोभी की खेती में से 4.5 बीघे की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था। सब्ज़ी बेचने का क्या मतलब रह जाता है यदि उसकी कटाई, पैकिंग, लोडिंग और अनलोडिंग और गाड़ी-भाड़े तक की वसूली न हो पा रही हो।” उन्होंने बताया कि उनके खेत में कुल उत्पादन लगभग 250 कुंतल (25 टन) हुआ था। इस प्रकार अब वे सिर्फ 145 कुंतल ही बेच सकते थे, जिसे उन्होंने नष्ट नहीं किया था।

जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया के ज़रिये सामने आया, यह चारों तरफ जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल गया–जिसमें कई न्यूज़ चैनलों और समाचार पत्रों के जरिये इस खबर की चारों तरफ चर्चा चल निकली। देश भर में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच में यह खबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार के लिए किसी फ़ज़ीहत से कम नहीं थी, जो बिहार में सत्तारुढ़ गठबंधन में सहयोगी साझीदार के तौर पर भी काबिज़ है। 

ध्यान देने योग्य बात यह है कि बिहार वह राज्य है जहाँ पर कृषि क्षेत्र पहले से ही 2006 से सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया था। नए कृषि क़ानूनों में भी, जिनमें सारा ध्यान कृषि उपज की बिक्री, मूल्य और भंडारण पर ही केन्द्रित है, उसमें भी इसी प्रकार के राष्ट्रीय ढाँचे को स्थापित किया जाना है, और उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं है।

पूर्व के क़ानूनों ने कई दशकों से किसानों को मुक्त व्यापार से बचाकर रखा हुआ था। वर्तमान में कुछ राज्यों के किसान अपनी उपज को सरकार द्वारा संचालित खरीद केन्द्रों में ले जाकर बेचते हैं, जहाँ उनके पास अपनी उपज के बदले में एमएसपी हासिल करने का बेहतर मौका हासिल होता है। किसानों को डर है कि इसके अभाव में वे बड़े निगमों द्वारा शोषित किये जा सकते हैं, क्योंकि आखिरकार कीमतें वे तय करेंगे।

ये कानून निजी कंपनियों को भविष्य में आवश्यक वस्तुओं की बिक्री के लिए जमाखोरी करने की अनुमति भी प्रदान करते हैं। जबकि अभी तक सिर्फ सरकार ही खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर आवश्यक वस्तुओं का संग्रहण कर सकती थी। 

यादव के वीडियो के वायरल होते ही सरकार को हरकत में आने के लिए मजबूर होना पड़ा और कुछ हद तक नुकसान को काबू में करने का काम हुआ है। यादव के पास केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, जो बिहार से आते हैं, के कार्यालय से फोन आया था।

उन्होंने बताया “मंत्री के पीए (निजी सहायक) ने मुझे पास के सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) पर जाकर खुद को पंजीकृत करा लेने के लिए कहा। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद मैं अपनी बाकी बची हुई फूलगोभी की फसल को डिजिटल तौर पर एग्री10 एक्स (पुणे आधारित कृषि विपणन सेवा मंच जहाँ पर किसान अपनी कृषि उपज को निर्धारित मूल्यों पर ऑनलाइन बेच सकते हैं) पर 10 रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेच सकता था। लेकिन कंपनी ने भी समूचे 145 कुंतल के खेप की खरीद नहीं की। मैं वहाँ सिर्फ 95 कुंतल गोभी दो लॉट में बेच सका। बाकी के बचे 45 कुंतल उपज को मुझे तीन अलग-अलग दामों पर (4, 5 और 6 रूपये प्रति किलोग्राम) की दर पर स्थानीय बाज़ार में बेचना पड़ा, जहाँ तब तक कीमतें फिर से चढ़ गई थीं।”

2009 में शुरू किए गए और 2015 में केंद्र सरकार के “डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम के तहत एक बार फिर से तैयार किये गए कार्यक्रम सीएससी में ग्रामीण आबादी और दूर-दराज के इलाकों में जहाँ पर कंप्यूटर एवं इंटरनेट की उपलब्धता नगण्य है या ज्यादातर मौक़ों पर वे अनुपस्थित हैं, वहाँ पर सरकार की ई-सेवाओं को पहुँचाने के लिए ये भौतिक सुविधाओं के तौर पर मौजूद हैं।

यह कोई पहला मौका नहीं था जब यादव को नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले साल सितम्बर में उन्होंने 4.5 बीघे या कहें 2.81 एकड़ में फूलगोभी की खेती की थी। लेकिन एक महीने से अधिक समय तक लगातार एवं मूसलाधार बारिश ने खेतों को पानी से भर दिया था। उन्होंने बताया कि “इतना अधिक जलभराव था कि एक पौधा भी नहीं बच पाया था।” उनका दावा था कि उन्हें कुलमिलाकर करीब 4.5 लाख रूपये का घाटा सहना पड़ा था।

इससे पहले भी उनकी किस्मत में यही सब झेलना बदा था। राज्य में खेती की खेदजनक स्थिति के बारे में वर्णन करते हुए उन्होंने बताया “पिछले फसल के सितम्बर-नवंबर के सीज़न में, मैंने 3.25 एकड़ खेत में गेंहूँ की बुआई की थी। सारी फसल के नष्ट हो जाने पर मैंने सब्सिडी हासिल करने के लिए एलपीसी (भूमि कब्ज़ा प्रमाणपत्र) जमा किया था। क्या आपको पता है मुझे इसके बदले में कितना मुआवज़ा मिला था? सारे नुकसान के लिए मुझे सिर्फ 1,090 रूपये मिले थे।”  

यादव एक कर्ज में डूबे हुए किसान हैं, जिन्होंने दो साल पहले किसान क्रेडिट कार्ड से 3 लाख रूपये का कर्ज लिया था। लगातार फसलों की बर्बादी और फसलों से बेहद कम आय के कारण वे पिछले एक साल से भी अधिक समय से अपना ब्याज चुकता कर पाने की स्थति में नहीं हैं।

तीन छोटे-छोटे बच्चों के पिता ने आत्महत्या की संभावनाओं की ओर इंगित करते हुए कहा था “मेरे आर्थिक हालात इतने विकट हो चुके हैं कि मेरे पास अगली फसल तक के लिए भी पैसा नहीं बचा है। मन्त्री की ओर से आश्वासन मिला है कि वे मुझसे व्यक्तिगत तौर पर मिलेंगे। यदि सरकार की तरफ से मुझे किसी प्रकार की मदद मिल जाती है तभी जाकर शायद मैं इस संचित ब्याज को अदा कर पाने और अगली फसल को बोने की स्थिति में पहुँच सकता हूँ। यदि कोई मदद नहीं मिलती तो हर तरफ से नाउम्मीद होने के बाद मेरे पास कर्ज़ में डूबे किसान के पद-चिन्हों पर चलने के सिवाय कोई चारा नहीं है।” 

एग्री10एक्स के बारे में 

एग्री10एक्स की वेबसाइट इस बात दावा करती है कि यह दुनिया की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके ब्लॉकचेन-सक्षम वैश्विक ई-मार्किटप्लेस है, जिस के ज़रिए किसानों को व्यापारियों से जोड़ने का काम होता है। इसे 2019 में लांच किया गया था। इसके संस्थापक पंकज पी घोडे ने भी प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की है।

इस कंपनी ने भारत सरकार के साथ फरवरी 2020 में देश भर में मौजूद पांच लाख सीएससी के साथ “विशेष पहुँच” पर एक सौदा किया था, जिससे कि “ग्रामीण स्तर पर उद्यमियों (वीएलई)” को स्थापित किया जा सके।

लेकिन किसानों के पास अपनी उपज को बेचने के लिए सिर्फ यही एकमात्र ऑनलाइन विकल्प नहीं है। कई अन्य खिलाड़ी भी इसमें मौजूद हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (एनएऍफ़ईडी-नाफेड) के पास भी किसानों के लिए अपना खुद का ई-प्लेटफार्म मौजूद है जो उनके उत्पादों को अन्य राज्यों में बेचने का इच्छुक है।

अनुत्तरित प्रश्न 

केंद्र द्वारा तीन कृषि कानून लागू किए जाने से पहले भी कृषि उपज की ऑनलाइन बिक्री संभव थी। इसलिए यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि इन क़ानूनों का ओम प्रकाश यादव द्वारा उगाई गई फूलगोभियों की बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है।

इस सबके बावजूद केन्द्रीय कृषि मंत्री ने अपने ट्वीटस की श्रृंखला में बिक्री के लिए इन नए कृषि क़ानूनों को इसका श्रेय दिया है, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि नए क़ानूनों को लागू किये जाने से उक्त किसान अपने उत्पाद को स्थानीय दर की तुलना में 10 गुने दाम पर बेचने में सफल रहा है। इसी को आधार बनाकर कई अन्य भाजपा नेताओं ने भी इसी बात को अपने ट्वीटस में दोहराने का काम किया है, और यादव के फसल की बिक्री के लिए इन तीनों विवादास्पद क़ानूनों को इसका श्रेय दे डाला है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Union Minister Credits New Farm Laws for Bihar Farmer’s Cauliflower Sale, Reality Check Punctures Claim

Farm Laws
Bihar
BJP
MSP
NAFED
Narendra modi
Farmers’ Protest
apmc
Vegetable Produce

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा


बाकी खबरें

  • Gauri Lankesh pansare
    डॉ मेघा पानसरे
    वे दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी या गौरी लंकेश को ख़ामोश नहीं कर सकते
    17 Feb 2022
    दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी को चाहे गोलियों से मार दिया गया हो, मगर उनके शब्द और उनके विचारों को कभी ख़ामोश नहीं किया जा सकता।
  • union budget
    टिकेंदर सिंह पंवार
    5,000 कस्बों और शहरों की समस्याओं का समाधान करने में केंद्रीय बजट फेल
    17 Feb 2022
    केंद्र सरकार लोगों को राहत देने की बजाय शहरीकरण के पिछले मॉडल को ही जारी रखना चाहती है।
  • covid
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर 30 हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 541 मरीज़ों की मौत
    17 Feb 2022
    देश में 24 घंटों में कोरोना के 30,757 नए मामले सामने आए है | देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 27 लाख 54 हज़ार 315 हो गयी है।
  • yogi
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः बिजली बिल माफ़ करने की घोषणा करने वाली BJP का, 5 साल का रिपोर्ट कार्ड कुछ और ही कहता है
    17 Feb 2022
    "पूरे देश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की है। पिछले महीने मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) ने 50 प्रतिशत बिजली बिल कम करने का वादा किया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया। ये बीजेपी के चुनावी वादे…
  • punjab
    रवि कौशल
    पंजाब चुनाव : पुलवामा के बाद भारत-पाक व्यापार के ठप हो जाने के संकट से जूझ रहे सीमावर्ती शहर  
    17 Feb 2022
    स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ व्यापार के ठप पड़ जाने से अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन जैसे उन शहरों में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी पैदा हो गयी है, जहां पहले हज़ारों कामगार,बतौर ट्रक…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License