NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनाव 2022 : UP में भाजपा के विरुद्ध निर्णायक जनादेश की शर्तें
उत्तर प्रदेश में निर्णायक जनादेश के लिए जनता को चाहिए कृषि के चौतरफा विकास, युद्धस्तर पर रोजगार सृजन, हाशिये के तबकों के लिए न्याय का ठोस आश्वासन
लाल बहादुर सिंह
19 Jan 2022
चुनाव 2022 : UP में भाजपा के विरुद्ध निर्णायक जनादेश की शर्तें

कहते हैं राजनीति में 1 सप्ताह का समय बहुत लंबा होता है। चुनावों की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह पिछड़े समुदाय के 3 कद्दावर मंत्रियों ने भाजपा का दामन छोड़ दिया और सपा का साथ पकड़ लिया, इसी बीच यह घोषणा हो गयी कि योगी जी को अयोध्या से चुनाव में उतारने की रणनीतिक योजना से पीछे हटते हुए अब उन्हें गोरखपुर भेज दिया गया है। इन नाटकीय घटनाओं के बाद पहली बार जनता के बीच परसेप्शन के लेवल पर विपक्षी गठबंधन ने  बढ़त ले ली है और यह चर्चा चल पड़ी है कि योगी सरकार जाने वाली है। 

यह जो राजनीतिक उठा-पटक और हलचल दिख रही है इसके मूल में जनता के वास्तविक जीवन में  मची हलचल और रोजी-रोटी की तबाही से पैदा बेचैनी है। इस कारण चुनाव में न ध्रुवीकरण का कार्ड चल पा रहा है, न भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग पहले जैसी अभेद्य बची है।

योगी को अयोध्या से लड़ाने की योजना के पीछे उद्देश्य था कि बनारस से मोदी के चुनाव की तर्ज़ पर ' धर्मनगरी ' अयोध्या से योगी के लड़ने से अवध में तो माहौल बनेगा ही, राममंदिर को hype देते हुए पूरे प्रदेश में हिंदुत्व की लहर चलेगी। इस रणनीतिक योजना से पीछे हटना संघ-भाजपा द्वारा इस सच की स्वीकारोक्ति है कि ध्रुवीकरण का एजेंडा काम नहीं कर रहा है। जाहिर है, योगी जिन्हें हिंदुत्व का पोस्टर-ब्वाय बनाया गया है, उनके अयोध्या से हारने का risk संघ नहीं ले सकता था, इसका सन्देश हिंदुत्व के एजेंडा के लिए दूरगामी दृष्टि से बेहद demoralising और घातक होता।

दरअसल, सामाजिक अन्याय, जाति-समुदाय के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न, संवैधानिक अधिकारों का अपहरण तो भाजपा के योगीराज में चरम पर पहुंच ही गया है, योगी सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी पूरी तरह तबाह कर दिया है।

अर्थव्यवस्था की तबाही इतनी सर्वांगीण है कि अर्थशास्त्री स्तम्भकार स्वामीनाथन अय्यर अगर आज भी अपने विकास दर के मॉडल के आधार पर चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी कर रहे होते, तो वे बहुत पहले ही योगी सरकार की विदाई की घोषणा कर चुके होते। ( हाल के चुनावों में किसी कारणवश, जिसे वे ही बेहतर जानते होंगे, उन्होंने यह बंद कर दिया है। )

योगी सरकार द्वारा सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर बर्बाद करके प्रदेश के विकास की गुलाबी छवि पेश की जा रही है। पिछले दिनों योगी जी ने एक interview में यहां तक दावा कर दिया कि हमने अपने कार्यकाल में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय को दो गुना कर दिया है, " आज़ादी के समय उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के आसपास थी, लेकिन 70 साल में वह तिहाई रह गयी थी, अब हमने उसको दो गुना कर दिया है। " 

इस बड़बोले झूठ की पोल खोलते हुए EPW में अजित कुमार सिंह ने एक अध्ययन में दिखाया है कि यह सफेद झूठ है, सच्चाई यह है कि per capita income 100% बढ़ने के दावे के विपरीत यह योगी जी के 4 साल के कार्यकाल में मात्र 0.43% बढ़ी !

दरअसल, योगी के इस दावे के सच होने का मतलब यह होता कि इस दौरान प्रदेश में  20% वार्षिक की दर से विकास हो रहा था ! यह चमत्कार आज तक न दुनिया के किसी देश में हुआ, न भारत के किसी राज्य में।

EPW के उस लेख में दिखाया गया है कि दरअसल योगी ने यह दावा manipulated budget figures के आधार पर किया है, जिनके झूठे होने का प्रमाण स्वयं सरकारी संस्था DES (Division of Economics & Statistics, State Planning Institute, UP) के आंकड़े हैं। इन आंकड़ों के हिसाब से राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) दो गुना होने के दावे के विपरीत मात्र 1.95% की दर से बढ़ा है जो पिछली सरकार के कार्यकाल के 6.92% से भी काफी कम है।

सबसे बड़ी तबाही तो उत्पादक रोजगार की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण manufacturing सेक्टर में हुई है। दावा किया गया था कि क्योंकि ease of doing business में UP नंबर 2 पर पहुँच गया है, माफिया-अपराधी-extortion सब खत्म हो गया है, प्रदेश में सुरक्षा का माहौल है, इसलिए बड़े पैमाने पर निवेश आ रहा है।

लेकिन सच्चाई इसके एकदम विपरीत और बेहद भयावह निकली- कोविड के साल को छोड़ भी दिया जाय, तब भी योगी जी के राज में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विकास दर नकारात्मक रही ( -3.34% ), यह पिछली सरकार के 14.64% से भी बेहद कम है। ट्रांसपोर्ट, संचार, फाइनेंसियल सेवाओं में भी भारी गिरावट हुई है।

यह अनायास नहीं है कि योगीराज में  कुल रोजगार पाए लोगों की संख्या 5 साल पहले के absolute number से भी 16 लाख घट गई है। रोजगार दर पिछली सरकार के समय के 38.5% से भी घटकर 32.8% रह गयी है अर्थात प्रदेश में हर 3 में 2 लोग बेरोजगार हैं। प्रदेश विकास में फिसड्डी हो गया और गरीबी में अव्वल। आत्महत्या के कगार पर ठेल दिए गए प्रदेश के छात्र-युवा सड़क पर उतरने और लाठी खाने के लिए मज़बूर कर दिए गए।

जाहिर है कारपोरेट घरानों तथा वैश्विक पूँजी के हितों से निर्देशित एयरपोर्ट-एक्सप्रेसवे मार्का विकास मॉडल और निजीकरण जैसी नीतियों का यह स्वाभाविक परिणाम है, रही सही कसर मोदी की नोटबन्दी, GST और योगी की आवारा जानवरों, बूचड़खानों आदि पर साम्प्रदायिक नीतियों ने पूरा कर दिया। पूरी अर्थव्यवस्था बैठ गयी।

इसने पूरे समाज को तबाह किया है और सभी तबकों में बेचैनी है। समाज के कमजोर तबके, हाशिये के समुदाय सबसे बदतरीन शिकार हुए हैं। इन तबकों के लिए मार दुहरी है, सामाजिक अन्याय और आर्थिक तबाही दोनों। इसीलिए मौजूदा निजाम से इनका अलगाव अधिक गहरा है। इसे ही sense कर पिछड़े समुदाय के power-groups का एक हिस्सा जो सत्ता में मनोनुकूल हिस्सा न मिलने से असंतुष्ट  था, भाजपा से अलग हुए है, जाहिर है इन नेताओं के अलग होने से जनता का वह अलगाव और बढ़ेगा तथा उसे एक राजनीतिक दिशा मिलेगी।

इधर किसानों ने भी मोदी-योगी सरकार की वायदा-खिलाफी के विरुद्ध 31 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से देशव्यापी "विश्वासघात दिवस" मनाने तथा इनकी राजनीति के विरुद्ध मिशन UP को आगे बढ़ाने का एलान किया है। साथ ही लखीमपुर खीरी हत्याकांड में बीजेपी की बेशर्मी और संवेदनहीनता के विरुद्ध वहां  पक्का मोर्चा लगाने का एलान किया  है। इतना ही नहीं 23-24 फरवरी को मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का पुरजोर समर्थन करते हुए किसानों ने ग्रामीण हड़ताल का एलान किया है।

जाहिर है किसानों के फिर आंदोलन के mode में आने से एक बार फिर भाजपा के किसान-विरोधी कारनामे, उनकी तबाही का दंश गाँवों में चर्चा के केंद्र में आयेगा, किसानों की गाड़ी से रौंदकर निर्मम हत्या के सूत्रधार गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मोदी-शाह के संरक्षण का मामला फिर गरमाएगा। प्रदेश में, विशेषकर पश्चिम उत्तरप्रदेश और तराई में इसका असर पड़ना तय है। 

जाति और धर्म के आधार पर  ध्रुवीकरण  तथा चुनावी सौगात बांट कर गांवों में वोट झटकने की भाजपा की कोशिशों के खिलाफ किसानों के मिशन UP की यह नई मुहिम antidote का काम करेगी।  

देखने की बात होगी कि विपक्ष भाजपा से किसानों, छात्र-नौजवानों तथा हाशिये में तबकों की गहरी नाराजगी और अलगाव को वोट में कितना तब्दील कर पाता है।

इसके लिए  विपक्ष को कृषि के चौतरफा विकास, युद्धस्तर पर रोजगार सृजन, ग्रामीण व शहरी गरीबों की बेहतरी का ठोस कार्यक्रम पेश करना होगा।

आम जनता के जीवन मे खुशहाली तो तभी आएगी जब कारपोरेट-हिंदुत्व के फासीवादी राज का अंत हो तथा सत्ता-संरचना एवं नीतिगत ढाँचे में बदलाव हो। इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश का आर्थिक पुनरोद्धार हो, ठोंको राज की जगह कानून के राज और राजनीतिक लोकतन्त्र की पुनर्बहाली हो तथा तथा हर तरह के सामाजिक-धार्मिक उत्पीड़न और अन्याय का अंत हो। 

विपक्ष की ओर से इसका विश्वसनीय आश्वासन ही प्रदेश की जनता को भाजपा के ख़िलाफ़ निर्णायक जनादेश के लिए प्रेरित कर सकता है।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

BJP
vikas
UP ELections 2022

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License