NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव आख़िरी चरण : ग़ायब हुईं सड़क, बिजली-पानी की बातें, अब डमरू बजाकर मांगे जा रहे वोट
उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।
रवि शंकर दुबे
06 Mar 2022
उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।

उत्तर प्रदेश का सियासी पारा इन दिनों बेहद हाई है, चुनाव के आखिरी और  सातवें चरण के लिए 7 मार्च को मतदान होगा, इस चरण में 9 ज़िलों की 54 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। आपको बता दें कि बीते सभी चरणों के मुकाबले सातवें चरण में लोगों की ज्यादा राजनीतिक दिलचस्पी है, क्योंकि इस चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर होगी, दरअसल इस चरण में मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे। यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश में ही डेरा जमाएं हुए हैं। और तरह-तरह की वेषभूषा धारण कर लोगों की रिझाने की कोशिश में लगे हुए हैं। कुछ दिनों पहले की ही बात है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिव का रूप धारण कर डबरू बजाते नज़र आए हैं। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि इन सबके बीच भाजपा समर्थकों के मन में तो यही चल रहा होगा कि चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री ने जितनी तेज़ी से रूप बदले हैं उतनी ही तेज़ी से अगर जनता का मन बदल गया तो समस्या आन पड़ेगी।

अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा दांव पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी के अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए भी ये चरण प्रतिष्ठा की बात है, क्योंकि आज़मगढ़ की 10 विधानसभा सीटों पर जनता मतदान करेंगी और अपना प्रतिनिधि चुनेगी। क्योंकि अखिलेश यादव आज़मगढ़ से सांसद है, ऐसे में एक-एक सीट उनके लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

613 उम्मीदवार मैदान में

पश्चिम से पूर्वांचल तक 349 सीटों पर मतदान होने के बाद अब 54 सीटें बची हैं, जिसके लिए पूर्वांचल के आज़मगढ़ से लेकर काशी तक 613 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिनके भाग्य का फैसला 7 मार्च को ईवीएम में कैद हो जाएगा।

9 ज़िले - 54 विधानसभा सीटें

आजमगढ़ ज़िला- अतरौलिया, गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़, निज़ामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज, लालगंज (एससी), मेहनगर (एससी)

मऊ ज़िला- मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद-गोहना(एससी), मऊ

जौनपुर ज़िला- बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी, मुंगड़ा बादशाहपुर, मछलीशहर (एससी), मरियाहू,  जफराबाद, केराकत(एससी)

भदोही ज़िला- भदोही, ज्ञानपुर, औराई (एससी)

वाराणसी ज़िला- पिंडरा, अजगरा (एससी), शिवपुर, रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी, सेवापुरी

मिर्जापुर ज़िला- छानबे (एससी), मिर्जापुर, मझवां, चुनार, मड़िहान

गाजीपुर ज़िला- जाखानिया (एससी), सैदपुर (एससी), गाजीपुर, जंगीपुर, ज़हूराबाद, मोहम्मदाबाद, ज़मानिया

चंदौली ज़िला- मुगलसराय, सकलडीह, सैयदराजा, चकिया (एससी)

सोनभद्र ज़िला- घोरावाल, रॉबर्ट्सगंज, ओबरा (एसटी), दुद्धी(एसटी)

पिछले चुनावों में चली थी भाजपा लहर

साल 2014 के बाद से पूर्वांचल में भाजपा की अच्छी खासी पकड़ रही है, इसी कड़ी में पिछले यानी 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इन 54 सीटों पर विपक्षियों को पूरी तरह साफ कर दिया था, इस चरण में भाजपा और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें अपने नाम की थीं, जिसमें भाजपा को 29, अपना दल(एस) को 4, और सुभासपा के 3 सीटें मिली थीं। वहीं सपा ने 11 सीटें, बसपा ने 6 सीटें और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी। जबकि कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी थी। हालांकि इस बार ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा से नाता तोड़ सपा से हाथ लिया है, तो कांग्रेस भी मैदान में नज़र आ रही है, ऐसे में सियासी समीकरण बदल सकते है।

अपने-अपने क्षेत्र में प्रदर्शन

जैसे सबको पता है कि आज़मगढ़ और जौनपुर सपा का गढ़ रहा है, उसी तरह वाराणसी में भाजपा का दबदबा है, तो ये सियासी समीकरण 2017 में भी बरकरार रहे थे, अपने-अपने क्षेत्र में दोनों पार्टियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। ज़िलेवार किस पार्टी ने कितनी सीटें जीती आंकड़ों के ज़रिए देखते हैं।

बदल चुके हैं हालात

पिछले चुनावों की तुलना में इस बार हालात काफी ज्यादा बदल चुके हैं। जहां सुभासपा ने भाजपा का साथ छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है, तो इस चरण में बसपा का भी अच्छा-खासा जनाधार है, वहीं अगर साल 2017 के चुनावों को न देखें तो इस चरण में 90 के दशक से जातिगत समीकरण हावी रहे हैं। कहने का अर्थ ये है कि इस आखिरी चरण में सपा-बसपा के अलावा, संजय निषाद, ओपी राजभर और अनुप्रिया पटेल की भी परीक्षा है।

अल्पसंख्यकों की अच्छी तादाद

निषाद, राजभर और पटेल समाज के अलावा इस चरण की 54 सीटों पर मुस्लिम आबादी भी अच्छी खासी तादाद में है, औसत के हिसाब से इन सीटों पर 12 फीसदी मुस्लिम आबादी और 24 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। ब्राह्मण और ठाकुरों की आबादी 20 प्रतिशत है। जबकि 20 फीसदी में कुर्मी, पटेल, निषाद, राजभर और बनिया शामिल हैं। इस क्षेत्र में यादवों की तादाद भी अच्छी खासी है। इन सभी जातियों में अल्पसंख्यकों की सबसे ज्यादा आबादी मऊ, आज़मगढ़ और वाराणसी में है, जो क्रमश: 19%, 16% और 15% है। जबकि अनुसूचित जाति की सर्वाधिक आबादी सोनभद्र में 42% मीरजापुर में 27% और आज़मगढ़ में 26% है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सातवें चरण के इस क्षेत्र में 30% सीटें ऐसी हैं जहां गठबंधन के सहयोगियों का सीधा प्रभाव है। वहीं इस चरण की 70% सीटें ऐसी हैं जहां सीधे सपा और भाजपा भिड़ रही हैं। जिनमें दो सवाल निकलकर आते हैं:

  • अब यह देखना रोचक होगा कि क्या अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद, उन सीटों पर जहां उनके नहीं बल्कि भाजपा के उम्मीदवार हैं, को भाजपा के पक्ष में मतदान करवा सकेंगे।
  • वहीं क्या राजभर और अनुप्रिया की मां कुर्मी और राजभर मतदाताओं को सपा के पक्ष में मतदान के लिए तैयार कर सकेंगे।

NYOBC निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका

गैर यादव ओबीसी मतदाता यानी एनवाई ओबीसी मतदाता भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 57% कुर्मी और 61% एनवाईओबीसी वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन के जरिये भाजपा के इसी वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है। SP ने ओबीसी जनगणना का पासा फेंका है। साथ ही यह भी आरोप लगाए हैं कि भाजपा आरक्षण को खत्म करने की कोशिशों में जुटी हुई है।

सपा की रणनीति

सपा की रणनीति है कि भाजपा के 30-35% फीसदी एनवाईओबीसी मतदाताओं को वो अपनी ओर खींच ले। यदि ऐसा हो जाता है तो भाजपा को 6-7 फीसदी वोट शेयर का नुकसान होगा और इसका सीधा फायदा सपा को होगा। 12-14 प्रतिशत का यह झुकाव पूर्वांचल का सारा समीकरण बदल सकता है।

UP ELections 2022
Narendra modi
PRIYANKA GANDHI VADRA

Related Stories

सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

यूपी चुनाव नतीजे: कई सीटों पर 500 वोटों से भी कम रहा जीत-हार का अंतर

यूपी के नए राजनीतिक परिदृश्य में बसपा की बहुजन राजनीति का हाशिये पर चले जाना

यूपी चुनाव: कई दिग्गजों को देखना पड़ा हार का मुंह, डिप्टी सीएम तक नहीं बचा सके अपनी सीट

जनादेश—2022: वोटों में क्यों नहीं ट्रांसलेट हो पाया जनता का गुस्सा

जनादेश-2022: यूपी समेत चार राज्यों में बीजेपी की वापसी और पंजाब में आप की जीत के मायने

यूपी चुनाव: प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की वापसी

यूपी चुनाव: रुझानों में कौन कितना आगे?


बाकी खबरें

  • Haryana Anganwadi Workers' Protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    हरियाणा: आंगनवाड़ी कर्मचारियों के आंदोलन के 50 दिन पूरे
    28 Jan 2022
    हरियाणा में 8 दिसंबर 2022 को शुरू हुआ आंगनवाड़ी कर्मचारियों के आंदोलन ने अपने 50 दिन पूरे कर लिए हैं. प्रदर्शन कर रही कर्मचारियों का आरोप है कि 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा मानदेय बढ़ाने का वादा आज…
  • manik sarkar
    संदीप चक्रवर्ती
    त्रिपुरा : पूर्व सीएम माणिक सरकार ने मोदी-शाह पर लगाया राज्य के इतिहास से 'छेड़छाड़' का आरोप
    27 Jan 2022
    माणिक सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जनशिक्षा आंदोलन का अपमान किया है, जिस आंदोलन ने त्रिपुरा में रियासती हुकुमत के अंत का रास्ता तैयार किया था।
  • Public Safety Act
    अब्दुल हन्नान
    पब्लिक सेफ़्टी एक्ट: मनमुताबिक़ हिरासत में ली जाने की कार्रवाईयां जारी, नए कश्मीर में असहमति की कोई जगह नहीं
    27 Jan 2022
    कयूम की तरफ़ से जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में रिट पेटिशन लगाई गई थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया था। इसके बाद पेटेंट अपील दाखिल की गई थी।
  •  रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा
    27 Jan 2022
    आंदोलनकारियों पर बर्बर पुलिसिया हिंसा के खिलाफ देशभर के छात्र लामबंद हो रहे हैं। इस बीच बुधवार की देर रात पटना के पत्रकार नगर थाने में पुलिस ने इस प्रदर्शन के पीछे कोचिंग संचालकों की भूमिका को मानते…
  • RELIGIOUS DEATH
    श्रुति एमडी
    तमिलनाडु : किशोरी की मौत के बाद फिर उठी धर्मांतरण विरोधी क़ानून की आवाज़
    27 Jan 2022
    कथित रूप से 'जबरन धर्मांतरण' के बाद एक किशोरी की हालिया खुदकुशी और इसके ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी संगठनों की प्रतिक्रिया ने राज्य में धर्मांतरण विरोधी क़ानून की मांग को फिर से केंद्र में ला दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License