NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कांग्रेस का कार्ड, अखिलेश की तस्वीर, लेकिन लाभार्थी सिर्फ़ भाजपा के साथ?
मोदी सरकार ने जिस राशन को गरीबों के लिए फ्री किया है, वह राशन पहले से लगभग न के बराबर मूल्य पर गरीबों को मिल रहा था। तो क्या वजह रही कि लाभार्थी समूह सिर्फ़ भाजपा के साथ गया।
शशि शेखर
23 Mar 2022
Akhilesh yadav

इस स्टोरी के साथ लगी अखिलेश यादव की यह तस्वीर भारतीय राजनीति की सबसे दिलचस्प तस्वीरों में से एक हो सकती है। यह अकेली तस्वीर मतदाताओं के मिजाज और राजनीतिक दलों के कामकाज को समझाने के लिए काफी है। अभी उत्तर प्रदेश में जिस लाभार्थी समूह की बात की गयी (फ्री राशन), क्या वह लाभार्थी समूह वाकई फ्री राशन के कारण भाजपा के साथ चला गया? क्या लाभार्थी समूह वाकई इतना नासमझ है, जो फ्री राशन के खेल को नहीं समझ सका? और क्यों भाजपा, कांग्रेस की बनाई नीतियों के सहारे ही चुनाव-दर-चुनाव जीतती जा रही हैं, लेकिन कांग्रेस अब तक यह नहीं समझ सकी कि हर प्रोपेगेंडा का एक एंटी-प्रोपेगेंडा भी हो सकता है? 

कांग्रेस का कार्ड, आम आदमी के साथ 

मसलन, यह तस्वीर एक राशन कार्ड की है। यह कार्ड राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत बना हुआ है। गौरतलब है कि राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को यूपीए सरकार ने संसद द्वारा पारित किया था। राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013, 10 सितम्‍बर, 2013 को अधिसूचित किया गया था। इसका उद्देश्‍य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को कम कीमत पर अच्‍छी गुणवत्‍ता के खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है। 

इसके तहत, 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी के कवरेज का प्रावधान है। पात्र व्‍यक्‍ति चावल/ गेहूं/मोटे अनाज क्रमश: 3/ 2/1 रुपए प्रति किलोग्राम के मूल्‍य पर 5 किलोग्राम खाद्यान्‍न प्रति व्‍यक्‍ति प्रति माह प्राप्‍त करने का हकदार है। मौजूदा अंत्‍योदय अन्‍न योजना परिवार,जिनमें निर्धनतम व्‍यक्‍ति शामिल हैं, 35 किलोग्राम खाद्यान्‍न प्रति परिवार प्रति माह प्राप्‍त करते रहेंगे। 

दरअसल, यह क़ानून राईट टू फ़ूड (भोजन का अधिकार) आन्दोलन को देखते हुए और गरीबों को भोजन मिलता रहे, इसे ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। तब कांग्रेस के जमाने में जानने के अधिकार, रोजगार के अधिकार, जमीन के अधिकार, जंगल के अधिकार, खाने के अधिकार जैसे मुद्दों पर भी जनआन्दोलन हो जाया करते थे और कमोबेश सरकार इन मांगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मान भी लेती थी। मसलन, वनाधिकार कानून, सूचना का अधिकार कानून, खाद्य सुरक्षा क़ानून आदि। तो अब तक यह स्पष्ट हो गया कि उत्तर प्रदेश में जिस लाभार्थी समूह के बारे में कहा जा रहा है कि इन्हीं की बदौलत भाजपा फिर से सत्ता में वापस आई, उस लाभार्थी समूह के पास कांग्रेस द्वारा पारित क़ानून के तहत बने हुए राशन कार्ड हैं। इस क़ानून के तहत ऐसे कार्डधारियों को 1 से 3 रुपये किलो अनाज मिलता है। (यह कितना फ्री है, आगे देखते है)। 

अखिलेश की तस्वीर  

चुनावी राजनीति में जब तस्वीरों का ही महत्व है, प्रोपेगेंडा ही सत्य है, तो अगर आप गौर से देखेंगे तो इन कार्ड्स पर आपको तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीरें मिलेंगी। चूंकि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून को राज्य सरकारों के द्वारा क्रियान्वित किया जाता है और इसमें राज्य सरकार अपनी तरफ से भी रियायतें दे सकती है, इसलिए राज्य के मुखिया अपनी तस्वीर लगा सकते हैं। तो 2012 में यूपी में अखिलेश यादव सत्ता में आए थे, 2013 में यह क़ानून पास हुआ था, इसलिए अगले 4 साल तक यूपी में अखिलेश यादव ने बड़ी संख्या में अन्त्योदय राशन कार्ड्स पर अपनी तस्वीरें लगवाई। 

तो सवाल है कि क्या अखिलेश यादव को इसका फ़ायदा क्यों नहीं हुआ? क्या तस्वीरों का फ़ायदा नहीं होता? लेकिन यह भी सत्य है कि भाजपा ने जो फ्री राशन (नमक समेत) बटवाया, उस पर भी तो प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की तस्वीरें लगी थी? तो जब उनकी तस्वीरों ने चुनावी फ़ायदा पहुंचाया तो अखिलेश यादव को ये फ़ायदा क्यों नहीं मिला? 

यह सवाल इसलिए है कि मीडिया से ले कर अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों ने उत्तर प्रदेश में लाभार्थी नाम से एक मतदाता समूह की पहचान की थी। तो फिर ये लाभार्थी समूह क्या इतने अनजान और अज्ञानी थे, जिन्हें समझ नहीं आया कि उन्हें ये फ्री राशन क्यों और किस वजह से मिल पा रहा है? या कार्ड पर लगी अखिलेश यादव की तस्वीर भी लाभार्थी समूहों को अपनी तरफ खींचने में नाकामयाब रही। असल में मुद्दा ये है कि अगर तस्वीरें नियम बन चुकी हैं, तो भाजपा के लिए यह नियम सफल, अखिलेश यादव के लिए असफल कैसे रहा?

फ्री राशन और लाभार्थी समूह 
 

एक और कमाल की बात है। यह सच है कि राशन की चोरी अब पहले के मुकाबले घटी है। राशन अब ज्यादातर पात्र परिवारों को मिल पा रहा है और यह सब मुमकिन हुआ है थम इम्प्रेशन (अंगूठा निशान) तकनीक की वजह से, जो सीधे आधार कार्ड से जुडा है। यह वही आधार कार्ड है, जिसके खिलाफ संघ के मुखपत्रों में लंबे-लंबे आर्टिकल छपा करते थे। हालांकि बहुत से जनवादी लोगों और संगठनों ने भी आधार और अंगूठा निशान तकनीक पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि इसकी वजह से बहुत बुजुर्ग और अशक्त लोग राशन से वंचित भी रह गए।

खैर, मोदी सरकार ने जिस राशन को गरीबों के लिए फ्री किया है, वह राशन पहले से लगभग न के बराबर मूल्य पर गरीबों को मिल रहा था। मसलन, अन्त्योदय योजना के तहत 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल क्रमश: 2 और 3 रुपये किलो के हिसाब से मिलता है। अब अगर किसी परिवार को साल भर भी यह फ्री दिया जाए तो अधिकतम उस परिवार को 12 महीने में 85 रूपये प्रति महीने के हिसाब से 1020 रूपये देने होंगे। एक साल में 1020 यानी हर महीने 85 रूपये। इसी तरह पात्र गृहस्थी योजना के तहत प्रति कार्ड प्रति यूनिट 3 किलो गेहूं, 2 किलो चावल दिया जाता है। अब मान लीजिए, एक परिवार में 5 लोग है, तो उन्हें इस वक्त फ्री राशन योजना के तहत 25 किलो अन्न मिल रहा है, जिसकी कीमत 60 रुपये प्रति माह होगी। यानी, एक साल में एक परिवार को औसतन 720 रुपये का फ्री राशन मिल रहा है। तो क्या वाकई उत्तर प्रदेश के लाभार्थी समूह ने साल के 720 रुपये के फायदे के लिए अपने अन्य किसी भी समस्या (गरीबी-बेरोजगारी-महंगाई) को किनारे कर दिया, वह भी तब जब लाभार्थी समूह यह भी देख रहा था कि कार्ड कांग्रेस का बनाया हुआ है, तस्वीर अखिलेश यादव की है? 

निष्कर्ष: 

उपरोक्त तथ्यों को किनारे करते हुए “लाभार्थी समूह” ने भाजपा को सिर्फ और सिर्फ साल के 720 रुपये के फायदे के लिए वोट दिया होगा, ऐसा मानना न सिर्फ गलत होगा, बल्कि उस सच्चाई से मुंह फेरना भी होगा, जिसे शायद हम अब तक न देख पा रहे है या न स्वीकार कर पा रहे हैं। यह राजनीतिक खेल “फ्री राशन” से कहीं आगे जा कर “मानसिकता” के स्तर तक पहुँच चुका है। ऐसे में, अपनी ही उपलब्धियों को लोगों तक सही ढंग से न पहुंचा सकने वाली कांग्रेस क्या “मानसिकता” के स्तर तक पहुँच चुके इस राजनीतिक खेल में टिकी रह पाएगी? 

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Uttar pradesh
AKHILESH YADAV
ration card scheme
Welfare Schemes
up govt
Yogi Adityanath

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License