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यूएस-जर्मन नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन सौदे में तीसरा भागीदार भी है
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बुधवार को हुए इस सौदे का 'गारंटर' बताया जा सकता है।
एम. के. भद्रकुमार
25 Jul 2021
यूएस-जर्मन नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन सौदे में तीसरा भागीदार भी है
समुद्र के नीचे बिछायी जा रही यह नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना तक़रीबन पूरी हो चुकी है

बुधवार को वाशिंगटन और बर्लिन में जारी संयुक्त बयान से संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच विवादास्पद नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन पर समझौता हो गया है।

अमेरिका और जर्मनी दोनों ही इस विवाद को शांत करने को लेकर उत्सुक थे। राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए तो यह विवाद जर्मनी के साथ ट्रान्साटलांटिक साझेदारी को पुनर्जीवित करने के रास्ते में अड़ंगा बना हुआ था जबकि चांसलर एंजेला मर्केल के लिए यह नॉर्ड स्ट्रीम 2 सत्ता में उनके 16 साल की एक गौरवपूर्ण विरासत है।

हालांकि, जिस बात की अनदेखी की जाती है, वह यह है कि बुधवार के समझौते का एक तीसरा पक्ष भी है और वह हैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जिन्हें इस सौदे का 'गारंटर' कहा जा सकता है।  पुतिन आमतौर पर प्रचार से दूर ही रहते हैं, और यह वक़्त 'पूर्व-पश्चिम' रिश्तों के लिहाज़ से बिल्कुल ही एक अच्छा समय नहीं है। वर्ना आदर्श रूप से तो यह पुतिन के साथ बिडेन और मर्केल के लिए ऐतिहासिक तौर पर फ़ोटो खिंचवाने का एक मौक़ा हो सकता था।

मर्केल और पुतिन के बीच इस सौदे को लेकर पहले से ही सावधानी के साथ 'लगातार' काम चल रहा था और बुधवार शाम को यह तब सामने आया जब मर्केल ने एक और बार पुतिन के साथ संपर्क करने के लिए फ़ोन लगाया। क्रेमलिन ने अपनी इस वार्ता के बारे में बयान देते हुए कहा कि पुतिन ने 'इस परियोजना को लागू करने को लेकर जर्मनी की स्थायी प्रतिबद्धता को महसूस किया है, जो कि सही मायने में एक कारोबारी परियोजना है और जर्मनी और बाक़ी यूरोपीय संघ की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए इसे तैयार किया गया है।'

सीधे-सीधे शब्दों में कहा जाये तो पुतिन ने मर्केल की तारीफ़ की और उन्हें एक बार फिर भरोसा दिलाया कि मॉस्को नॉर्ड स्ट्रीम 2 को 'वास्तव' में एक दूसरे को फ़ायदा पहुंचाने वाले कारोबारी उद्यम के रूप में ही देखेगा। इस बयान में इस बात का संकेत दिया गया है कि मर्केल ने हाल ही में अपनी 'सरकारी कामकाजी दौरे' के दौरान व्हाइट हाउस में बिडेन के साथ अपनी बातचीत को लेकर पुतिन को भरोसे में लिया था।

रूस बिल्कुल नहीं चाहेगा कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 परियोजना को स्पष्ट रूप से यूक्रेन की राजधानी कीव के साथ मास्को के इस समझौते से जोड़ा जाये, ताकि सोवियत दौर की इन पाइपलाइनों के ज़रिये यूरोप में गैस के परिवहन के लिए यूक्रेनी इलाक़े का इस्तेमाल जारी रखा जा सके। इस बयान में फिर भी यह स्वीकार किया गया है कि पुतिन ने 2024 की मौजूदा समय सीमा के बाद भी कीव के साथ इस 'समझौते के विस्तार के मौक़े' के तौर पर मर्केल के साथ इस पर चर्चा की है।

निःसंदेह, बुधवार को हुए इस सौदे की यह आधारशिला है। क्रेमलिन के इस बयान को बहुत बारीक़ी से रूस के रचनात्मक दृष्टिकोण की ओर संकेत देते हुए तैयार किया गया है, जो कि बिडेन के लिए मर्केल की इस प्रतिबद्धता के अनुरूप ही है कि यूक्रेन 2024 के बाद भी रूसी गैस आपूर्ति और पारगमन शुल्क का लाभार्थी बना रहेगा।

इसे 'आश्वासन' या 'गारंटी' या 'समझ' या फिर कुछ भी कहें, लेकिन पुतिन ने तो बुधवार के इस सौदे के लिए ज़रूरी आधार तैयार कर लिया है। यह भी रूसी कूटनीति का एक अविश्वसनीय कमाल है। मास्को यहां तीन चीज़ें हासिल करता हुए दिख रहा है।

सबसे पहले, यूक्रेन के साथ हुए इस समझौते को 2024 से आगे बढ़ाने की पुतिन की इच्छा दरअस्ल नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर विवाद को ख़त्म करने को लेकर ख़ास तौर पर मर्केल के लिए एक इशारा है, जबकि वह अभी भी जर्मनी की चांसलर हैं। पुतिन यूक्रेन के साथ जर्मनी के साथ उस विकट सम्बन्ध से भी अवगत हैं, जो कि निश्चित ही रूप से रूस के हित में नहीं है, क्योंकि बर्लिन का मिन्स्क समझौतों को बनाये रखने के लिए कीव पर एक गंभीर असर बना हुआ है।

दूसरा, गज़प्रोम और नाफ़्टोगाज़ यूक्रेन (दोनों ही तेल कंपनियां हैं) के बीच समझौते की आगामी बातचीत के सिलसिले में उच्चतम स्तर पर रूसी आश्वासन क्षेत्रीय रूप से एक विश्वास-निर्माण का ज़रिया बन जाता है, क्योंकि रूस के रणनीतिक हित ऊर्जा के एक भरोसेमंद स्रोत के रूप में अपनी प्रोफ़ाइल और साख को मज़बूत करने में निहित हैं।

हक़ीक़त तो यही है कि पोलैंड से नॉर्वे तक बाल्टिक पाइप गैस पाइपलाइन के डेनिश खंड के लिए परमिट वापस लेने के डेनमार्क के नवीनतम निर्णय के साथ ही पोलैंड को गैस की आपूर्ति जारी रखने के लिहाज़ से रूस के लिए अवसर की एक खिड़की अब भी खुली हुई है, जिसे  वारसॉ रूसी गैस पर निर्भरता ख़त्म करने के लिए जमा कर रहा था।

इसी तरह, यूक्रेन की मदद पहुंचाने वाला रूस का यह रचनात्मक दृष्टिकोण यूरोपीय धारणाओं में उसकी छवि को और बेहतर बना देता है। इसका असर न सिर्फ़ यूरोप के साथ भविष्य के गैस अनुबंध वार्ता पर पड़ सकता है, बल्कि इसका असर यूरोपीय संघ के ऊर्जा बाज़ार के साथ रूस के बाहरी क्षेत्र लेनिनग्राद में भविष्य के किसी भी परमाणु उत्पादन को जोड़ने वाले ऊर्जा सेतु के निर्माण की मास्को की महत्वाकांक्षी योजना पर भी पड़ सकता है।

तीसरा, रूस से गैस की आपूर्ति और गज़प्रोम से कीव की सालाना कमाई यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। वाशिंगटन यूक्रेन के कथित ऊर्जा के स्वरूपों में बदलाव (नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना, हाइड्रोजन का विकास, ऊर्जा दक्षता में बढ़ोत्तरी, कोयले के इस्तेमाल से तौबा करना, कार्बन को लेकर निष्पक्षता, आदि) को लेकर बात करता रहता है, लेकिन यह एक लंबी दौड़ है और आम तौर पर सुधार के लिहाज़ से इस व्यवस्था का रिकॉर्ड विश्वास को प्रेरित नहीं कर पाता है।

इसलिए, राजनीतिक नज़रिये से पुतिन अपनी दूरदृष्टि से मानते रहे हैं कि भूगोल और इतिहास की हक़ीक़तों को देखते हुए यूक्रेन को आख़िरकार रूस के साथ मैत्रीपूर्ण साझेदारी की अहमियत नज़र आयेगी। इसके अलावे, रूस के पास यूक्रेन के साथ रिश्ते को विकसित करने के लिहाज़  से ऊर्जा एक बेशक़ीमती चीज़ है।

अगर रूस भू-राजनीतिक फ़ायदा उठाने के लिए ऊर्जा आपूर्ति के इस्तेमाल की कोशिश करता है,तो यूएस-जर्मन नॉर्ड स्ट्रीम 2 का यह सौदा बर्लिन को रूस को प्रतिबंधित करने को लेकर प्रतिबद्ध कर देता है, लेकिन फिलहाल इस परिकल्पना का कोई ठोस आधार नहीं है। जर्मनी यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने और मॉस्को और कीव द्वारा गैस पारगमन समझौते का विस्तार को सुनिश्चित करने को लेकर भी सहमत हो गया है। इसके अलावा, यूक्रेन की ऊर्जा स्वतंत्रता में सुधार के मक़सद से अक्षय ऊर्जा और इससे जुड़े उद्योगों समेत यूक्रेन की ग्रीन-टेक बुनियादी संरचना को मज़बूत बानाने के लिए जर्मनी "ग्रीन फ़ंड" में 1 बिलियन डॉलर (0.85 बिलियन यूरो) का निवेश करेगा।

वाशिंगटन अब नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के आड़े नहीं आयेगा। बाइडेन प्रशासन का स्पष्ट रूप से मानना है कि एक परियोजना,जो वाशिंगटन के निरंतर दबाव के बावजूद पहले ही पूरी हो चुकी है, उस पर दबाव बनाने से जर्मनी के साथ अमेरिकी रिश्ते अहम तौर पर कमज़ोर होंगे और इसका असर उल्टा होगा। वाशिंगटन ने शायद इस बात पर भी ध्यान दिया होगा कि जर्मनी के भीतर नॉर्ड स्ट्रीम 2 का थोड़ा-बहुत विरोध भले ही आगामी बुंडेस्टाग चुनाव के बाद भी होता रहे, मगर आने वाले दिनों में बर्लिन की कोई भी सरकार इससे पीछे नहीं हटेगी।

इन सबसे ऊपर, हो सकता है कि अमेरिका ने जर्मनी को ऊर्जा सुरक्षा पर यूरोपीय संघ की सहमति के अनुरूप लाने और भविष्य में रूस के साथ ऊर्जा रिश्तों पर यूरोपीय मार्ग छोड़ने से बचने के लिहाज़ से कुछ गुंज़ाइश बचाकर रखी हो। लेकिन, यह तो भविष्य की बात है, सचाई तो यही है कि जर्मनी शक्ति का एक केंद्र है और क़रीब-क़रीब एक महाशक्ति है, और यह तेज़ी से मुखर हो रहा है।

हालांकि, बुनियादी तौर पर एक विरोधाभास भी है। पाइपलाइनों का रणनीतिक रिश्तों के अनुरूप बनाने का इतिहास रहा है। सुदूर अतीत की गूंज भी यहां गूंजेगी। चांसलर विली ब्रांट ने पूर्व सोवियत संघ (1973) से ऊर्जा पाइपलाइन के साथ आगे बढ़ने को लेकर पड़ते अमेरिकी दबाव का विरोध किया था और एक ऐतिहासिक सिलसिले में पूर्वी जर्मनी के साथ उनकी दूरदर्शी नीति ने जर्मनी के एकीकरण का दरवाज़ा खोल दिया था और कोई शक नहीं कि उनकी इसी नीति का नतीजा जर्मनी के एकीकरण के रूप में सामने आया था !

नॉर्ड स्ट्रीम 2 से भी जर्मन-रूसी रिश्ते का बदलना तय है और अमेरिका को इसके साथ रहना सीखना होगा। यहां समस्या यह है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 को ख़त्म करने में अमेरिका की नाकामी जर्मनी पर उसके घटते असर की ओर इशारा करती है। इस गहरे ऊर्जा सम्बन्धों के कारण जर्मन-रूसी साझेदारी में आतने वाली किसी भी तरह की मज़बूती और गहराई से अमेरिका को और नुक़सान होगा।

मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा, "हमारा संयुक्त बयान (बुधवार) एक साफ़-साफ़ संदेश देता है  और संदेश यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी किसी भी सूरत में रूस का यूरोप में भू-राजनीतिक हथियार के रूप में ऊर्जा का इस्तेमाल या यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसकी बढ़ती आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर कुछ भी गड़बड़ होता है,तो हम रूस पर अहम दबाव डालने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं, जिसमें आर्थिक प्रतिबंध और ऊर्जा प्रवाह के क्षेत्र भी शामिल हैं। ”   

बुधवार को संपन्न हुए इस सौदे के बावजूद अमेरिकी कांग्रेस के साथ-साथ यूक्रेन और पोलैंड में भी इस पाइपलाइन को लेकर विपक्षी पार्टियों का ज़बरदस्त विरोध बना हुआ है। ज़ाहिर है, अमेरिका इस जर्मन-रूसी रिश्ते से अपनी नज़रें नहीं हटायेगा और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता रहेगा कि यह रिश्ता उसी हद तक फले-फूले,जिस हद तक अमेरिका चाहता है।

यूएस-जर्मन रिश्तों पर इस नॉर्ड स्ट्रीम 2 का साया सालों तक बना रहेगा। सितंबर के बाद जब मर्केल सेवानिवृत्त होंगी, तो मास्को में उनकी ग़ैर-मौजूदगी को गहरे तौर पर महसूस किया जायेगा। मर्केल ने यूरोप और अमेरिका के बीच ट्रांस-अटलांटिक रिश्तों में लगातार अहम भूमिका निभायी हैं। वह क्रेमलिन और ख़ास तौर पर पुतिन के साथ पश्चिम की एक अहम वार्ताकार भी रही हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

US-German Nord Stream 2 Gas Pipeline Deal has Third Partner

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