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आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
उत्तर प्रदेश: बिजली की बढ़ी दरों के ख़िलाफ़ आंदोलन की तैयारी में किसान
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। सरकार द्वारा सिंतबर महीने में की गई बढ़ोतरी के बाद बिजली 12 फीसदी तक महंगी हो गई है।
असद रिज़वी
30 Sep 2019
protest
प्रतीकात्मक तस्वीर. साभार: न्यूज़वन

उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है। सिंतबर महीने में की गई बढ़ोतरी के बाद बिजली 12 फीसदी तक महंगी हो गई है। प्रदेश में किसान बिजली दरों में भारी वृद्वि के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। किसान संगठन मानते हैं कि हाल में बिजली दरों में भारी हुई वृद्वि से कृषि संकट का सामना कर रहे किसानो पर अतरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

किसानों का आरोप है कि देशभर से उत्तर प्रदेश में बिजली सबसे महंगी है। फिर भी कृषि क्षेत्रों में 10 घंटे से भी कम बिजली सप्लाई मिल रही है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 03 सितंबर को 2019-20 का टैरिफ आर्डर जारी करते हुए नई दरों का ऐलान किया है। सभी श्रेणियों की दरों में कुल मिलाकर औसतन 11.69 प्रतिशत की भरी बढ़ोतरी हुई है।

'नो प्रॉफिट नो लॉस' पर बिजली मुहैया कराने की मांग

किसान संगठनों की मांग है कि बिजली को नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर जनता को उपलब्ध कराना चाहिए। उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव मुकुट सिंह का कहना है, '1948 में बिजली कानून को पेश करते हुए भीमराव आंबेडकर ने बिजली को सामाजिक जरूरत बताते हुए नो प्रॉफिट नो लॉस पर हर नागरिक को बिजली मुहैया कराने का ऐलान किया था। लेकिन अटल बिहारी की सरकार द्वारा नया बिजली क़ानून 2003 बनाकर मुनाफा कमाने वाली निजी कंपनियों के लिए द्वार खोल दिए थे। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 में रामप्रकाश गुप्ता की बीजेपी सरकार ने पूंजीपतियो के हित में बिजली बोर्ड को भंग कर दिया था। यही कारण है की प्रदेश में लगातार बिजली दरों में लगातार भारी वृद्वि हो रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने दूसरी बार यह वृद्वि की है।'

मुकुट सिंह आगे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा सिंचाई के नलकूपों पर 15 प्रतिशत वृद्वि की है लेकिन किसानों को बिजली की सप्लाई 10 घंटे से कम मिल रही है।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र और व्यापारियों पर 15 प्रतिशत तक एवं ग्रामीण क्षेत्र में 25 प्रतिशत तक बिजली दरों में की वृद्वि की गई है। बड़े उद्योगों एवं सरकारी विभागों पर 21 हजार करोड़ रुपये बकाया है। लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जबकि गरीब बकायादारो पर 10 हज़ार रुपये से ज्यादा बकाया होने पर एफआईआर, जेल, कनेक्शन काटने, भुगतान के बाद पुनः जोडने पर 500 रुपये अतिरिक्त लेने आदि जैसी उत्पीड़नात्मक कार्यवाई की जाती हैं।

आंदोलन की तैयारी

मुकुट सिंह ने न्यूज़ क्लिक से बताया कि उनका संगठन प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में बिजली दरों वृद्वि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। किसान सभा ने अब तक इटावा, बांदा, आगरा, गोरखपुर, मऊ और वाराणसी में प्रदर्शन किये गए हैं। अब सभी किसान संगठन सयुक्त रूप से प्रदेश के दूसरे ज़िलों में प्रदर्शन करेंगे। अगर इन प्रदर्शनों के बाद भी सरकार ने बिजली दरों में हुई भारी वृद्वि वापिस नहीं लेती है, तो प्रदेश के किसान एक बड़ा आंदोलन भी करने की तैयारी कर रहे हैं।

वहीं, किसान नेता अलोक वर्मा भी कहते हैं कि बिजली दरों में भारी वृद्वि के ख़िलाफ़ सारे प्रदेश में आंदोलन किया जायेगा। नवम्बर के पहले सप्ताह में योगी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाने की तैयारी की जा रही है।

उन्होंने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुध बिजली कटौती, स्थानीय फाल्ट, फुके ट्रांसफार्मर समय से ना बदलने और कृषि क्षेत्र में 10 घंटे से भी कम बिजली सप्लाई ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।

विद्युत उपभोक्ता परिषद् की मांग

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद् ने भी बिजली दरों में भारी वृद्वि का विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने राज्य विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में की वृद्वि पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग के ही टैरिफ 2017-18 के अनुसार बिजली कंपनियां, उपभोक्ताओं के बकाया 13,337 करोड़ रुपये वापस नही कर रही हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नियामक आयोग ने बिजली दरों में इजाफा क्यों किया?

अवधेश कुमार वर्मा सवाल करते है कि रेगुलेटरी सरचार्ज के नाम पर 2016-17 से अब तक बिजली कंपनियों द्वारा अतिरिक्त वसूले गए करोड़ों रुपये उपभोक्ताओं को वापस दिलाने के बारे में आयोग ने चुप्पी क्यों साध रखी है? उन्होंने कहा की ऐसे कृषि संकट के समय में जब किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है, बिजली की दरों में वृद्वि कृषि से जुड़े लोगों के साथ अन्याय है।

ग्रामीण क्षेत्रों के मीटर्ड उपभोक्ता की बिजली दरें

ग्रामीण क्षेत्रों के मीटर्ड उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 80 से बढ़ाकर 90 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह तथा बिजली दर 3 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 3.35 रुपये प्रति यूनिट किया गया है। 100 यूनिट तक 3.35 की दर रहेगी। 100 यूनिट से ऊपर अलग-अलग स्लैब के लिए 3.85 से 6.00 रुपये प्रतियूनिट की दर होगी। मीटर्ड निजी नलकूप उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 60 से बढ़ाकर 70 रुपये प्रति  हार्सपावर प्रति माह तथा बिजली मूल्य 1.75 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 2.00 रुपये प्रति यूनिट किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों के अनमीटर्ड उपभोक्ता की बिजली दरें  

अनमीटर्ड ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब घरेलू अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को अब 400 रुपये के बजाय 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ेगा। इसके अलावा अनमीटर्ड किसानों को 150 के बजाय 170 रुपये प्रति हार्स पावर प्रतिमाह की दर से भुगतान करना होगा।

शहरी उपभोक्ताओं के बिजली दरों में भारी वृद्वि

बता दें सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज भी 100 से बढ़ाकर 110 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह कर दिया गया है। न्यूनतम बिजली दर 4.90 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 5.50 रुपये कर दिया गया है।


कब कितनी वृद्वि हुई बिजली दर में

2012-13-17.60 प्रतिशत

2013-14-6.58 प्रतिशत

2014-15-8.90 प्रतिशत

2015-16-5.47 प्रतिशत

2016-17-3.18 प्रतिशत

2017-18-12.73 प्रतिशत

2018-19- 00.00 प्रतिशत 

2019-20-11.69 प्रतिशत

* उत्तर प्रदेश बिजली दरों में औसत वृद्वि  (सभी श्रेणियों को मिलाकर)

 


 

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BJP
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