NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
उत्तराखंड : राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर आंदोलन तेज़, पूरे राज्य में हलचल
गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे पर एक बार फिर उत्तराखंड में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। आंदोलनकारियों को जेल भेजे जाने के बाद तो इस आंदोलन ने नये सिरे से रफ़्तार पकड़ ली है।
वर्षा सिंह
13 Jul 2019
आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए भाकपा-माले नेता इंद्रेश मैखुरी।
आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए भाकपा-माले नेता इंद्रेश मैखुरी।

उत्तराखंड की सड़कों पर एक बार फिर गैरसैंण-गैरसैंण के नारे लग रहे हैं। पहाड़ के लोग पर्वतीय राज्य की राजधानी पहाड़ में ही चाहते हैं, मैदानी क्षेत्र में नहीं। सभी का मानना है कि पर्वतीय राज्य की समस्याएं तभी हल होंगी, जब सरकार पहाड़ों की समस्या समझेगी, पहाड़ों के बीच रहेगी। ऐसा तभी संभव होगा जब राजधानी गैरसैंण में होगी।

उत्तराखंड में अलग पर्वतीय राज्य के आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने की मांग चल रही थी। जो गढ़वाल और कुमाऊं दोनों के बीच बसा सुंदर पर्वतीय कस्बा है। लेकिन राज्य बनने के बाद से अब तक की भाजपा-कांग्रेस की सरकारों को देहरादून ही अधिक भाया। जहां से दिल्ली ज्यादा नज़दीक है, लेकिन जहां से पहाड़ सिर्फ दिखाई भर देते हैं।

gairsain3.jpg

आंदोलनकारियों की गिरफ़्तारी से आक्रोश

गैरसैंण और पहाड़ की भावनाओं से सहानुभूति दिखाने के लिए वहां कभी-कभार कैबिनेट बैठकें की गई। विधानसभा सत्र भी किए गए। जो अपनी समयावधि से पहले ही निपटा दिये गये। क्योंकि नेता लोग गैरसैंण के मौसम को बर्दाश्त नहीं पाए। वर्ष 2017 में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित किया। उस समय गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किये गये। चक्का जाम किया गया। आंदोलन के रास्ते पर चलकर अलग राज्य बनने वाली उत्तराखंड की सरकार इस आंदोलन से नाराज़ हो गई। 38 लोगों पर मुकदमे दर्ज किये गये। उन्हें लगातार समन भेजे गए। अदालत में उपस्थित होकर उन्हें ज़मानत लेने को कहा गया लेकिन गैरसैंण के लिए आंदोलन कर रहे इन आंदोलनकारियों ने ज़मानत लेने से इंकार कर दिया और जेल जाने को तैयार हो गए। अब दो साल बाद 10 जुलाई को 38 में से उपस्थित 35 आंदोलनकारियों को 12 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।  

इस पर एक बार फिर राज्य में आक्रोश छा गया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं। गैरसैंण संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष चारु तिवारी कहते हैं कि गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया जाना गैरकानूनी है। सरकार उन पर लगे मुकदमे वापस ले। 10 जुलाई को आंदोलनकारियों को जेल भेजे जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठियां चलाईं। उन्हें हिरासत में लिया।

चारू तिवारी कहते हैं कि गैरसैंण संघर्ष समिति ने ये तय किया है कि अब राज्य भर में आंदोलन तेज़ किया जाएगा। इस संबंध में गैरसैंण के साथ ही देहरादून और अल्मोड़ा में विरोध प्रदर्शन किया गया।

आज, शनिवार को हल्द्वानी में लोग आंदोलनकारियों के पक्ष में खड़े हुए। इसके साथ ही हरिद्वार में दो दिन के पत्रकार सम्मेलन में भी इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। चारू तिवारी ने बताया कि 4 अगस्त को गैरसैंण में महापंचायत बुलायी गई है।

हरीश रावत ने दी गिरफ्तारी

गैरसैंण के आंदोलनकारियों को जेल भेज जाने की खबर जैसे ही देहरादून तक पहुंची, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी 12 जुलाई को गिरफ्तारी देने गैरसैंण पहुंच गए। बड़ी संख्या में मौजूद समर्थकों और ढोल दमाऊ के साथ वे गैरसैंण के लोगों के बीच नज़र आए।

शुक्रवार को गैरसैंण में गिरफ्तारी देने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने फेसबुक पर लिखा कि गैरसैंण में सचिवालय भवन सहित सारे निर्माण कार्य पिछले ढाई साल से ठप पड़े हुए हैं। गैरसैंण की भावना को कुचला जा रहा है और राजधानी की मांग कर रहे लोगों के ऊपर गलत मुकदमे और बड़े-बड़े अपराधिक धाराओं में मुकदमे लगाकर, उनको जेल भेजा गया है। इसके विरोध में उन्होंने लगभग 250-300 लोगों के साथ गिरफ्तारी दी। हरीश रावत ने लिखा कि मजिस्ट्रेट ने हम लोगों को डिटेन किया और सूचना दी है कि जो आंदोलनकारी जेल में बंद थे, वो रिहा किये जा रहे हैं, जो कानूनी प्रॉसेस है, वो पूरा हो रही है। उन्होंने आगे लिखा है कि संघर्ष लंबा है मगर सरकार को मजबूर करेंगे कि वो गैरसैंण की भावना का सम्मान करे। मांगें बहुत साधारण सी हैं, 
जो निर्माण कार्य कांग्रेस के शासन काल में प्रारंभ हुए हैं जिसमें सचिवालय भवन भी है, उसको तत्काल प्रारंभ किया जाए, गैरसैंण को जिला बनाया जाए और आंदोलनकारियों पर जो धाराएं लगाई गई हैं, उन धाराओं को खत्म किया जाए।

उनकी इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चारू तिवारी कहते हैं कि आंदोलनकारियों को छोड़ने का कानूनी प्रॉसेस तो यही है कि वे ज़मानत लें, जिससे उन्होंने इंकार किया है। बाकी बातें हरीश रावत अपने कार्यकाल में भी पूरा कर सकते थे।

हरीश रावत ने हाईजैक किया आंदोलन!

गैरसैंण राजधानी के लिए संघर्षरत लोग कहते हैं कि हरीश रावत उस दिन क्यों नहीं आए जब आंदोलनकारी जेल भेजे जा रहे थे। वे एक दिन बाद क्यों आए। उन्होंने अपनी सरकार के समय गैरसैंण को राजधानी क्यों नहीं बनाया। हरीश रावत की गिरफ्तारी दिखावा भर नज़र आ रही थी। जैसे कि चारू तिवारी कहते हैं कि हरीश रावत ने बड़ी चालाकी से इस पूरे आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश की है। कांग्रेस के पास संसाधन हैं, उनके पास लोग हैं, वे पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, तो उन्होंने पूरा माहौल बनाया। राज्यभर में पुतला दहन करके वे अखबारों में आ गए। लेकिन जो असली आंदोलनकारी हैं, वे संसाधनविहीन है, फिर भी पहाड़ की उम्मीदों को जिंदा रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

gairsain2.jpg

पहाड़ की उम्मीदों की राजधानी होगी गैरसैंण

दरअसल गैरसैँण सिर्फ एक राजधानी का मुद्दा भर नहीं है। बल्कि ये पहाड़ की समस्याओं का हल नज़र आता है। ये माना जाता है कि गैरसैंण में नेता-मंत्री बैठेंगे, तो वे सड़कों और स्वास्थ्य सुविधाएं की समस्या का सामना करेंगे। यहां से उन्हें पहाड़ की मुश्किलें नज़र आएंगी। देहरादून से ये बात समझ नहीं आती।

10 जुलाई को प्रदर्शन के दौरान पुलिस की लाठियां झेलनेवाले सीपीआई-एमएल नेता इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि राज्य आंदोलन के समय से ये मांग रही है कि गैरसैंण राजधानी बननी चाहिए। पर्वतीय राज्य होगा, तो पर्वतीय क्षेत्र में राजधानी होगी। उनका कहना है कि पर्वतों से पलायन-पलायन चीखने वाली सरकार खुद ही पलायन करके बैठी हुई है। सरकार गैरैसैंण में रहेगी तो स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर तमाम चीजों के लिए रास्ता बनेगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो लोगों के लिए सरकार को घेरना आसान होगा।

आज 13 जुलाई को भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के निर्देश पर राज्य में जगह जगह उत्तराखंड विरोधी नीति के लिए सरकार का पुतला दहन किया। इसके साथ ही गैरसैंण में ज़मीन की खरीद पर लगी रोक हटाने के लिए भी राज्य सरकार को घेरा। कांग्रेस के लोगों ने कहा कि भाजपा सरकार के इस निर्णय से न केवल राज्य निर्माण की भावनायें आहत हुई हैं, बल्कि राज्य निर्माण आन्दोलन के शहीदों और आन्दोलनकारियों का भी अपमान हुआ है।

अलग राज्य बनने के बाद आंदोलनकारी भाजपा और कांग्रेस के ख़ेमे में विभाजित हो गए। स्वार्थ की राजनीति में वे पहाड़ की उम्मीदों को पूरा नहीं कर सके। पलायन एक आपदा के रूप में राज्य के सामने है और विश्वभर में उत्तराखंड ही एक ऐसी जगह के रूप में सामने आ रहा है, जहां से जाने वाले लोग वापस लौटकर नहीं आ रहे। क्या एक दिन पहाड़ अपने लोगों से खाली हो जाएंगे, ये इस राज्य की सबसे बड़ी चिंता है। इस चिंता को दूर करने और पहाड़ के सपनों को पूरा करने की उम्मीद का नाम है गैरसैंण।

UTTARAKHAND
Gairsain
Dehradun
Trivendra Singh Rawat
BJP government
Congress
HARISH RAWAT
CPI(ML)
Capital Gairsain

Related Stories

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

उत्तराखंड चुनाव: राज्य में बढ़ते दमन-शोषण के बीच मज़दूरों ने भाजपा को हराने के लिए संघर्ष तेज़ किया

‘(अ)धर्म’ संसद को लेकर गुस्सा, प्रदर्शन, 76 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

देहरादून: प्रधानमंत्री के स्वागत में, आमरण अनशन पर बैठे बेरोज़गारों को पुलिस ने जबरन उठाया


बाकी खबरें

  • general strike
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?
    27 Mar 2022
    भारत के औद्योगिक श्रमिक, कर्मचारी, किसान और खेतिहर मज़दूर ‘लोग बचाओ, देश बचाओ’ के नारे के साथ 28-29 मार्च 2022 को दो दिवसीय आम हड़ताल करेंगे। इसका मतलब यह है कि न सिर्फ देश के विशाल विनिर्माण क्षेत्र…
  • Bhagat Singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    शहीद भगत सिंह के इतिहास पर एस. इरफ़ान हबीब
    27 Mar 2022
    'इतिहास के पन्ने मेरी नज़र से' के इस एपिसोड में नीलांजन ने बात की है इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब से भगत सिंह के इतिहास पर।
  • Raghav Chadha
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: पंजाब में राघव चड्ढा की भूमिका से लेकर सोनिया गांधी की चुनौतियों तक..
    27 Mar 2022
    हर हफ़्ते की प्रमुख ख़बरों को लेकर एकबार फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • jaunpur violence against dalits
    विजय विनीत
    उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप
    27 Mar 2022
    आरोप है कि बदलापुर थाने में औरतों और बच्चियों को पीटने से पहले सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए। पहले उनके कपड़े उतरवाए गए और फिर बेरहमी से पीटा गया। औरतों और लड़कियों ने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि वे…
  • सोनिया यादव
    अपने ही देश में नस्लभेद अपनों को पराया बना देता है!
    27 Mar 2022
    भारत का संविधान सभी को धर्म, जाति, भाषा, वेशभूषा से परे बिना किसी भेदभाव के एक समान होने की बात करता है, लेकिन नस्लीय भेद इस अनेकता में एकता की भावना को कलंकित करता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License